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जानें सीएम भूपेश ने क्यों कही ये बात- जब चना था तो दांत नहीं जब दांत हैं तो चना नहीं - न्यू सर्किट हाउस

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी के न्यू सर्किट हाउस में स्कूल शिक्षा विभाग की 20 योजनाओं का शुभारंभ किया. इसके अलावा बालिकाओं के जीवन कौशल की शिक्षा देने, पांचवी, आठवीं के बच्चों के लिए विशेष कक्षाएं लगाने सहित हनी योजना पर भी मुहर लगाया है.

विभाग के आला अधिकारी के साथ भूपेश बघेल

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Published : Feb 28, 2019, 9:04 PM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी के न्यू सर्किट हाउस में स्कूल शिक्षा विभाग की 20 योजनाओं का शुभारंभ किया. इस दौरान विजयी, निखार, ई-समीक्षा सीएम शहरी साक्षरता कार्यक्रम सहित विभिन्न योजनाओं की भी शुरुआत हुई.

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इसके अलावा उन्होंने बालिकाओं के जीवन कौशल की शिक्षा देने, पांचवी, आठवीं के बच्चों के लिए विशेष कक्षाएं लगाने सहित हनी योजना पर भी मुहर लगाया. इस दौरान शिक्षा मंत्री प्रेम सिंह सहित स्कूल शिक्षा विभाग के आला अधिकारी मौजूद रहे.

मैं पुस्तक का लाभ उठाना चाहता हूं
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब चना था, तो दांत नहीं थे जब दांत है तो चना नहीं है. उन्होंने समय की कमी बताते हुए ये बातें कहीं. उन्होंने कहा की मैं पुस्तक का लाभ उठाना भी चाहता हूं, तो बस गाड़ी में बैठे समय ही मुझे नजर आता है वरना विधानसभा और इतने काम निपटाते-निपटाते थोड़ा भी पढ़ने का मन नहीं होता. फिर भी मैं पुस्तक लाभ लेना चाहूंगा.

इशारे में ही शिक्षाकरियों पर साधा निशाना
उन्होंने कहा कि जिसे जो काम दिया जाता है, उसे छोड़कर सब करता है. वहीं हाल शिक्षाकरियों का है साइकल बांटना, चुनाव करवाना, मतगणना करना इसी में फंसा रहता है और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर उनका ध्यान नहीं जाता. हम सबको आत्म अवलोकन करने की जरूरत है.

बच्चों से कनेक्ट होने की शैली भी आनी चाहिए
विभाग द्वारा एक हजार के प्रश्न बैंक बनाये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा हमारे लिए सबसे जरूरी है, इसके लिए काम करना है. पूरे प्रदेश की स्थिति क्या है, उस पर काम करना है. प्रस्तुतिकरण और वातावरण बहुत जरूरी है. बच्चों से कनेक्ट होने की शैली भी शिक्षकों को आना चाहिए. शिक्षकर्मी लगातार धरना देते हैं. अपने पेट के लिए लड़ते रहेगा, तो कब शिक्षा की गुणवत्ता पर बात होगी. हमें एक वातावरण तैयार करना होगा.

सुनाया शिवतराई का वृतांत
मैं अमरकंटक गया था, वहां से आते हुए मैं शिवतराई में रुका. वहां देखा एक व्यक्ति आधुनिक तीर कमान से बच्चों को प्रैक्टिस करा रहा था. उनसे पूछा, तो उन्होंने बताया कि सर तीर-धनुआ नहीं है, तो इसी से प्रैक्टिस कराते हैं. उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ इतना बताना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ के बच्चों को केवल अवसर चाहिए. दिशा की आवश्यकता है. बहुत टैलेंट है हमारे बच्चों में.

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