रायपुर: छत्तीसगढ़ को लोक प्रदेश के रूप में जाना जाता है. अपनी विशिष्ट परंपराओं और मान्यताओं को सहेजने के उद्देश्य से ही पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का गठन भी किया गया था. हालांकि छत्तीसगढ़ गठन के बाद भी यहां के लोगों के बीच अपनी ही जमीन पर अपनेपन का एहसास कम होने के बजाय बढ़ता गया, लेकिन छत्तीसगढ़ में पिछले साल बनी नई सरकार ने छत्तीसगढ़िया संस्कृति और लोक संस्कृति को सहेजे रखने के लिए कई फैसले लिए हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़िया तीज त्योहारों को बड़े ही भव्य तरीके से मना प्रदेशवासियों को छत्तीसगढ़िया सरकार होने का एहसास दिलाते रहे हैं.
मुख्यमंत्री निवास में पारंपरिक त्योहार मनाने का फैसला
छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद दिसंबर 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी, तो प्रदेश में एक बार फिर ये चर्चा तेज हो गई कि, जिसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ है, वो अब साकार होने वाला है. मतलब एक बार फिर छत्तीसगढ़ अपनी लोक कला, संस्कृति और आदिवासी परंपरा के लिए देश में जाना जाएगा. इसकी झलक भूपेश सरकार के विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह में भी दिखा, जब कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों ने विधानसभा में छत्तीसगढ़ी में ही शपथ ली. हालांकि मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद से जिनकी भी सरकार बनी सभी ने छत्तीसगढ़िया सरकार ही होने का दावा किया, लेकिन वर्तमान सरकार के मुखिया इससे एक कदम आगे बढ़कर मुख्यमंत्री निवास में ही सभी पारंपरिक त्योहारों को मनाने का ऐलान कर दिया.