रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार एक बार फिर से अपने वादों और घोषणाओं को अमल में लाने के लिए विवादों में आ रही है. दरअसल कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 18 साल से ऊपर के तमाम युवाओं के मुफ्त वैक्सीनेशन का ऐलान किया था. योजना एवं सांख्यिकी विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी ने इसका आदेश भी जारी कर दिया है. जिसमें 90 विधायकों की विधायक निधि के 182 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने की घोषणा की गई है. इसके बाद प्रदेश में एक बार फिर राजनीति तेज हो चुकी है. सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि एक बार फिर सरकार अपने वादों को पूरा करने में विधायकों की निधि को खत्म कर रही है.
वैक्सीनेशन पर राजनीति
छत्तीसगढ़ में कोविड वैक्सीनेशन को लेकर एक बार फिर से राजनीति तेज हो चुकी है. दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार ने 18 साल से ज्यादा उम्र के युवाओं के वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र सरकार के ऐलान के बाद छत्तीसगढ़ में भी इसके तैयारी शुरू कर दी है. प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते दिनों ये ऐलान भी कर दिया था कि 18 साल से ज्यादा उम्र के युवाओं के वैक्सीनेशन का पूरा खर्च छत्तीसगढ़ सरकार उठाएगी. इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के तमाम 90 विधायकों की विधायक निधि में कटौती का भी ऐलान कर दिया. बिना देर करते हुए इसके लिए योजना और सांख्यिकी विभाग की ओर से आदेश भी जारी कर दिया गया है. जिसे लेकर अब सियासी हलचल तेज हो गई है.
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भाजपा विधायकों ने जताई आपत्ति
कांग्रेसी विधायकों ने जहां सरकार के इस कदम का स्वागत किया है, वहीं भाजपा विधायक इसके विरोध में उतर गए हैं. भाजपा विधायकों ने कहा है कि विधायक निधि नहीं देने से अब वह अपने विधानसभा क्षेत्र के अस्पतालों में व्यवस्था सुधारने के लिए फंड कहां से लाएंगे. इसके लिए कहां से राशि की मांग करेंगे. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि बिना विधायकों को विश्वास में लिए इस तरह का निर्णय लेना गलत है. कौशिक ने कहा कि विधायक निधि किसी विधायक के लिए आरक्षित राशि नहीं है. यह उस क्षेत्र की जनता की राशि होती है. इस पर विधायक नहीं जनता का अधिकार होता है. इस पैसे से विधायक अपने क्षेत्र में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और अस्पतालों में अन्य सुविधाएं दे रहे हैं. ऐसे में अब विधायकों की अनुशंसा का क्या होगा.
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'राजनीति ना करे बीजेपी'
भाजपा के विरोध को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तर्क दिया है कि केंद्र सरकार ने जब सांसद निधि में कटौती की थी, तो क्या सांसदों से पूछा था. संसदीय सचिव और विधायक विकास उपाध्याय ने कहा है कि 1 मई से 18 साल के उम्र के तमाम युवाओं का वैक्सीनेशन शुरू किया जा रहा है. ऐसे विपरीत समय में छत्तीसगढ़ सरकार यदि कोविड वैक्सिनेशन का पूरा खर्च उठा रही है, तो राजनीति ना करके भाजपा को भी इसका स्वागत करना चाहिए.
'किसी भी योजना के लिए बजट का प्रावधान जरूरी'
इस मसले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा कहते हैं कि सरकार अगर कोई योजना लाती है, तो उसके लिए बजट का प्रावधान करना चाहिए. कई बार राजनीतिक कारणों से घोषणा तो कर दी जाती है, लेकिन बजट का प्रावधान नहीं होता है. सरकार ने 18 साल से ऊपर के लोगों के फ्री वैक्सीनेशन का ऐलान कर दिया है. शशांक शर्मा ने कहा कि सरकार अपनी जनता के वैक्सीनेशन का जिम्मा खुद ले रही है, जो अच्छी बात है. लेकिन इसके लिए दूसरे मद से राशि का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे कहीं ना कहीं दूसरे काम प्रभावित होंगे. फंड का इंतजाम सही ढंग से करके यह काम किया जाएगा, तो इसका फायदा ज्यादा होगा और 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन मिल पाएगी.
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छत्तीसगढ़ सरकार और विवाद का चोली-दामन का नाता
छत्तीसगढ़ में सत्ता संभालने के बाद से ही कांग्रेस सरकार और विवादों का चोली-दामन का नाता रहा है. घोषणापत्र में कांग्रेस ने किसानों के धान को 2500 रुपए समर्थन मूल्य में खरीदने का वादा किया था, उनकी कर्ज माफी का भी वादा था. कांग्रेस सरकार ने किसानों से अपना किया वादा निभाया भी है, लेकिन अब इस साल किसानों को समर्थन मूल्य 2500 रुपए देने को लेकर केंद्र सरकार से लगातार टकराव के हालात बने हैं. 2500 रुपए समर्थन मूल्य को लेकर केंद्र सरकार ने बीच का रास्ता अपनाते हुए राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत खरीदी तो की, लेकिन दूसरे साल लगातार राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार पर दबाव बनाया गया.
अब एक बार फिर से कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीति तेज हो चुकी है. अब 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को भी वैक्सीन लगने की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी को फ्री वैक्सीनेशन का ऐलान कर दिया. इसके लिए राशि जमा करने की शुरुआत विधायक निधि की कटौती से शुरू हुई है. हो सकता है आगे सरकार को और भी कई फंड में कटौती करना पड़े.