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Jyotiba phhole Jayanti : छ्त्तीसगढ़ के नेताओं ने ज्योतिबा फुले को किया नमन

11 अप्रैल को पूरे देश में समाज सुधारक और शिक्षा की दिशा में क्रांति लाने वाले ज्योतिबा फुले की जयंती मनाई जा रही है.ज्योतिबा फूले ने शिक्षा के साथ नारी शिक्षा को भी सर्वोपरि माना. उन्होंने महिलाओं को शिक्षित बनाने के लिए पहले स्कूल की स्थापना की थी.

Jyotiba phhole Jayanti
ज्योतिबा फुले को राजनेताओं ने किया नमन

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Published : Apr 11, 2023, 3:47 PM IST

रायपुर : ज्योतिबा गोविंदराव फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को भारत के खानवाडी (पुणे )में हुआ था. गोविंदराव की मां का नाम चिमनाबाई और पिता का नाम गोविंदराव था.एक साल की उम्र में ही मां का साथ छूट गया. इसके बाद इनके पालन पोषण के लिए सगुणाबाई ने जिम्मेदारी संभाली. आगे चलकर इन्हें महात्मा फुले और ज्यतिबा फुले नाम प्रसिद्धी मिली. गोविंदराव का परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से आकर बसा था. यहां आकर इन्होंने फूलों का काम शुरू किया.गोविंदराव फूल और गजरा माला बनाकर बेचा करते थे.इसलिए इनका नाम फुले पड़ा.

ज्योतिबा की शिक्षा :ज्योतिबा ने मराठी भाषा में शिक्षा प्राप्त की. लेकिन जाति भेद के कारण बीच में ही इनकी पढ़ाई छूट गई. 21 वर्ष की उम्र में ज्योतिबा ने अंग्रेजी भाषा में मात्र 7वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की. शिक्षा के क्षेत्र में औपचारिक रूप से कुछ करने के उद्देश्य से ज्योतिबा ने 1848 में एक स्कूल खोला. स्त्री शिक्षा और उनकी दशा सुधारने के क्षेत्र में ये पहला कदम था. लेकिन समस्या ये थी कि, स्कूल में लड़कियों को पढ़ाने वाली शिक्षिका नहीं थी.इसलिए ज्योतिबा ने अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को शिक्षा देकर पढ़ाने के काबिल बनाया. जिसके बाद सावित्रीबाई भारत की पहली महिला अध्यापिका बनीं.आज उनके जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ के राजनेताओं ने भी श्रद्धांजलि दी है.

ज्योतिबा फुले की जयंती पर कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ने, उन्हें याद किया.कुमारी शैलजा ने कहा कि, ''महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी के द्वारा महिलाओं, शोषित और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए किए गए कार्य अविस्मरणीय हैं.''आज उनकी जयंती कर उन्हें सादर नमन करती हूं.''

ज्योतिबा फुले की जयंती पर सीएम भूपेश बघेलने कहा कि, ''महान समाज सुधारक, विचारक, लेखक और दार्शनिक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन. ज्योतिबा फुले जी ने महिलाओं और दलितों के उत्थान के लिए कई कार्य किए. दलितों के प्रति भेदभाव समाप्त कर उन्हें समाज में स्थान दिलाने के लिए महात्मा फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की. उन्होंने न सिर्फ महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया, बल्कि अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले जी को भी शिक्षा दिलाई. जिससे वे भारत की पहली अध्यापिका बनीं. महात्मा फुले समाज को अंधविश्वास और कुप्रथाओं से मुक्त करना चाहते थे. वे जाति व्यवस्था और उस पर आधारित भेदभाव के प्रबल विरोधी थे. उन्होंने समाज को कुरीतियों से मुक्ति दिलाने के लिए सभी वर्गों की शिक्षा पर बल दिया.''

मंत्री ताम्रध्वज साहू ने ट्वीट कर कहा कि, ''महान समाज सुधारक, विचारक व सामाजिक क्रांति के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि.ज्योतिबा फुले जी के विचार और उनका क्रांतिकारी संदेश आज भी समाज का मार्गदर्शन करते हैं.''

रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ने भी ज्योतिबा फुले को नमन किया है. ढेबर ने कहा कि ''गरीब और शोषित समाज के उत्थान के लिए, आजीवन लड़ाई लड़ने वाले महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर कोटिशः नमन. महिलाओं के अधिकारों एवं शिक्षा के लिए किये गए आपके संघर्ष को सदैव याद किया जाता रहेगा."

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