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जन्माष्टमी के लिए मंदिर सज-धजकर तैयार, भजन-कीर्तन और नृत्य-संगीत से गूंज रही राजधानी

सूबे की राजधानी रायपुर समेत पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसको लेकर सभी राधा-कृष्ण मंदिरों को सजाया गया है.

Preparations completed in dozens of Radha-Krishna temples in the capital
राजधानी के दर्जनों राधा-कृष्ण मंदिर में तैयारी पूरी

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Published : Aug 30, 2021, 3:50 PM IST

Updated : Aug 30, 2021, 11:15 PM IST

रायपुर :राजधानी रायपुर में सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मंदिरों में सुबह से ही भजन-कीर्तन हो रहे हैं. भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं. मंदिरों की भव्य सजावट की गई है. रंग-बिरंगे परिधानों में श्रद्धालुओं के मंदिर पहुंचने से मंदिर की रौनक बढ़ गई है. वहीं जवाहर नगर स्थित राधा-कृष्ण मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप कान्हा का 251 लीटर दूध से अभिषेक किया गया. राजधानी के करीब 10 से अधिक राधा-कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. कन्हैया को अलग-अलग मंदिरों में अलग-अलग तरह के झूलों में सजाया जाएगा, जिसमें चांदी का झूला लोगों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहेगा.

रात 12 बजे होगा भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का कार्यक्रम

राजधानी सहित पूरे देश में सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का कार्यक्रम रात्रि 12:00 बजे होगा. इसके पहले मंदिरों में भजन-कीर्तन और बच्चों द्वारा नृत्य-संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी. भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के बाद महा आरती होगी. राधा-कृष्ण मंदिर में आयोजित कार्यक्रम कोविड गाइड-लाइन को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है.

कोविड गाइड-लाइन को ध्यान में रख सादगी से मनेगा उत्सव

रायपुर के टाटीबंध स्थित इस्कॉन मंदिर समता कॉलोनी के राधा-कृष्ण मंदिर, खाटू श्याम मंदिर, पुरानी बस्ती के गोपाल मंदिर और बूढ़ा तालाब के गोकुल चंद्रमा मंदिर में भी जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पूरी सादगी और शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जाएगा. सामान्य दिनों की तुलना में राधा-कृष्ण के इन मंदिरों में जन्माष्टमी पर भक्तों की भीड़ अपेक्षाकृत कम ही रहेगी.

क्यों खास है कृष्ण जन्माष्टमी

हिंदुओं के प्रसिद्ध ग्रंथ महाभारत के अनुसार द्वापर युग में पृथ्वी पर अन्याय काफी बढ़ गया था. अपने ही अपनों के खून के प्यासे हो गए थे. मथुरा के राजा कंस को यह श्राप था कि उसकी बहन देवकी की आठवीं संतान उसका वध करेगी. इस भय से उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव को जेल में बंद कर दिया था. एक-एक कर उसने उनके सात संतान की हत्या कर दी, लेकिन उसके न चाहने के बाद भी भगनान श्रीकृष्ण ने देवकी-वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया और कंस का वध किया. चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था, तभी से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाने लगी.

Last Updated : Aug 30, 2021, 11:15 PM IST

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