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छत्तीसगढ़ के वो मंदिर और TOURIST PLACES, जहां आप 2020 का स्वागत कर सकते हैं

हर कोई अपने-अपने तरीके से न्यू ईयर का वेलकम करना चाहता है. कोई मंदिर जाकर भगवान से आशीर्वाद लेगा, कोई मस्जिद में दुआ मांगेगा, किसी की चाहत गुरुद्वारे पर माथा टेककर पूरी होगी, तो कोई चर्च में प्रेयर करेगा.

छत्तीसगढ़ के मंदिर और TOURIST PLACES
छत्तीसगढ़ के मंदिर और TOURIST PLACES

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Published : Dec 31, 2019, 11:43 AM IST

Updated : Dec 31, 2019, 6:32 PM IST

रायपुर : नया साल यानी कि नई उम्मीद, नई ऊर्जा, नए संकल्प, नई खुशियों और नई जिन्दगी की आशा. नए साल के स्वागत के लिए दुनिया बेकरार है. हर कोई अपने-अपने तरीके से न्यू ईयर का वेलकम करना चाहता है. कोई मंदिर जाकर भगवान से आशीर्वाद लेगा, कोई मस्जिद में दुआ मांगेगा, किसी की चाहत गुरुद्वारे पर माथा टेककर मिलेगी तो कोई चर्च में प्रेयर करेगा. इसके साथ ही साथ टूरिस्ट प्लेस भी लोगों के लिए बाहें फैलाए खड़े हैं. आइए आप भी छत्तीसगढ़ के उन पर्यटन स्थलों के बारे में जानिए, जहां आप नए साल को सेलीब्रेट कर सकते हैं.

छत्तीसगढ़ के मंदिर और TOURIST PLACES

छत्तीसगढ़ की धरती पर मंदिरों की नगरी बसती है, यहां एशिया का नियाग्रा है. यहां देवियों के नाम से शहर जाने जाते हैं. यहां आदिवासियों के नाम से जंगल जाने जाते हैं, तो आइए आपको बताते हैं अद्भुत और आश्चर्यचकित कर देने वाले छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों के बारे में.

राजपूरी झरना
कैलाश गुफा

मंदिरों में दर्शन कर करें नए साल की शुरुआत
नए साल पर आप रायपुर के महामाया मंदिर जा सकते हैं. अंबिकापुर- सरगुजावासियों की आराध्य देवी महामाया की महिमा अपरंपार है, यहां आप अपनी मनोकामना लेकर जा सकते हैं. बिलासपुर की मां महामाया मंदिर के दर्शन कर भी आप नए साल की शुरुआत कर सकते हैं. दंतेवाड़ा के मां दंतेश्वरी मंदिर, धमतरी की बिलाईमाता मंदिर, राजनांदगांव के मां बम्लेश्वरी मंदिर, महासमुंद के मां चंडीदेवी मंदिर पहुंचकर नए साल की शुरुआत की जा सकती है.

रतनपुर मंदिर


भोरमदेव-भोरमदेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है. यह मंदिर कबीरधाम जिले में स्थित है.पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा, नागर शैली में बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. 7वी शताब्दी से 11वी शताब्दी में बने इस मंदिर को नागवंश के राजा रामचंद्र ने बनवाया था. इस पुरात्तविक धरोहर को देखने हर रोज हजारों की संख्या में यहां पर्यटक पहुंचते हैं.

भोरमदेव

सिरपुर- महासमुंद जिले में बसा सिरपुर पुरातात्विक अवशेषों से समृद्ध है. यहां के प्रसिद्द लक्ष्मणेश्वर मंदिर और गंधेश्वर मंदिर को देखने विदेशों से भी लोग आते हैं. इस ऐतिहासिक मंदिर के चारों तरफ आपको पुराने शिलालेख, भगवान की मुर्तियां और खुदाई से निकाले गए कई प्राचिन अवशेष देखने को मिलेंगे.

सिरपुर

मैनपाट-सरगुजा के अंबिकापुर में स्थित ये सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है. हरी-भरी वादियों और सुंदर दृश्यों से भरा मैनपाट घूमने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है. यहां सालभर ठंड का मौसम होता है इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है. कोहरे से ढकी वादियां बरबस ही मन मोह लेती है और सुकुन का अनुभव कराती हैं. मैनपाट को 'मिनी तिब्बत' के नाम से भी जाना जाता है. 1962 में यहां तिब्बतियों को शरणार्थियों के रुप में बसाया गया था.

मैनपाट

अचानकमार टाइगर रिजर्व-बिलासपुर जिले में बसा अचानकमार, मैकल पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है. कहा जाता है कि यहां जाने का सबसे अच्छा वक्त नवंबर से जून तक होता है. साल 1975 में इस अभयारण की स्थापना हुई और साल 2009 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया. बंगाल टाइगर, तेंदुआ, चीतल, हिरण और नील गाय के साथ ही कई जानवरों की प्रजातियां देखने को मिलेंगी.

अचानकमार टाइगर रिजर्व

चंपारण -राजधानी रायपुर स्थित चंपारण को चंपाझर के नाम से भी जाना जाता है. यह वल्लभ संप्रदाय के सुधारक और संस्थापक संत वल्लभाचार्य का जन्म स्थान है. संत वल्लभाचार्य के सम्मान में यहां एक सुंदर मंदिर का निर्माण कराया गया है. वहीं चंपकेश्वर महादेव का मंदिर यहां का विशेष आकर्षण है.

चंपारण

चित्रकोट- बस्तर की पहचान कहे जाने वाले चित्रकोट को भारत का नियाग्रा कहा जाता है. बस्तर की जीवन रेखा कहे जाने वाली इंद्रावती नदी में बसे इस खूबसूरत जलप्रपात को देखने देश-विदेश से रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं. 95 फीट ऊंचे इस जलप्रपात का सुंदर नजारा देखने के लिए जुलाई से अक्टूबर तक का महीना सबसे सटीक होता है.

चित्रकोट

राजिम- महानदी, पैरी और सोंढुर नदी का संगम हो होने की वजह से यह जगह छत्तीसगढ़ का त्रिवेणी संगम कहलाता है. यहां होने वाले कुंभ मेले से लोगों की अपार आस्थाएं जुड़ी हुई हैं और राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है. यहां के प्रसिद्ध राजीव लोचन मंदिर में भगवान विष्णु प्रतिष्ठित हैं. संगम के बीच में कुलेश्वर महादेव का विशाल मंदिर भी है.

राजिम

गंगरेल बांध-धमतरी जिले से 15 किलोमीटर दूर स्थित इस बांध को रविशंकर जलाशय के नाम से भी जाना जाता है. इस बांध में 14 गेट हैं. बांध की असली सुंदरता तो बारिश के मौसम में ही देखने मिलती है. यहां माता अंगारमोती का मंदिर भी है, जहां माना जाता है कि भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यहां पर हजारों सैलानी बांध घूमने और माता के दर्शन को आते हैं.

गंगरेल बांध

जंगल सफारी - राजधानी रायपुर में सरकार द्वारा कृत्रिम जंगल सफारी का निर्माण किया गया है. इसमें बियर सफारी भी है, जिसमें भालुओं को रखा गया है. इसके अलावा यहां बाघ, शेर और हिरण को देखा जा सकता है.

Last Updated : Dec 31, 2019, 6:32 PM IST

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