रायपुर : नया साल यानी कि नई उम्मीद, नई ऊर्जा, नए संकल्प, नई खुशियों और नई जिन्दगी की आशा. नए साल के स्वागत के लिए दुनिया बेकरार है. हर कोई अपने-अपने तरीके से न्यू ईयर का वेलकम करना चाहता है. कोई मंदिर जाकर भगवान से आशीर्वाद लेगा, कोई मस्जिद में दुआ मांगेगा, किसी की चाहत गुरुद्वारे पर माथा टेककर मिलेगी तो कोई चर्च में प्रेयर करेगा. इसके साथ ही साथ टूरिस्ट प्लेस भी लोगों के लिए बाहें फैलाए खड़े हैं. आइए आप भी छत्तीसगढ़ के उन पर्यटन स्थलों के बारे में जानिए, जहां आप नए साल को सेलीब्रेट कर सकते हैं.
छत्तीसगढ़ की धरती पर मंदिरों की नगरी बसती है, यहां एशिया का नियाग्रा है. यहां देवियों के नाम से शहर जाने जाते हैं. यहां आदिवासियों के नाम से जंगल जाने जाते हैं, तो आइए आपको बताते हैं अद्भुत और आश्चर्यचकित कर देने वाले छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों के बारे में.
मंदिरों में दर्शन कर करें नए साल की शुरुआत
नए साल पर आप रायपुर के महामाया मंदिर जा सकते हैं. अंबिकापुर- सरगुजावासियों की आराध्य देवी महामाया की महिमा अपरंपार है, यहां आप अपनी मनोकामना लेकर जा सकते हैं. बिलासपुर की मां महामाया मंदिर के दर्शन कर भी आप नए साल की शुरुआत कर सकते हैं. दंतेवाड़ा के मां दंतेश्वरी मंदिर, धमतरी की बिलाईमाता मंदिर, राजनांदगांव के मां बम्लेश्वरी मंदिर, महासमुंद के मां चंडीदेवी मंदिर पहुंचकर नए साल की शुरुआत की जा सकती है.
भोरमदेव-भोरमदेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है. यह मंदिर कबीरधाम जिले में स्थित है.पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा, नागर शैली में बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. 7वी शताब्दी से 11वी शताब्दी में बने इस मंदिर को नागवंश के राजा रामचंद्र ने बनवाया था. इस पुरात्तविक धरोहर को देखने हर रोज हजारों की संख्या में यहां पर्यटक पहुंचते हैं.
सिरपुर- महासमुंद जिले में बसा सिरपुर पुरातात्विक अवशेषों से समृद्ध है. यहां के प्रसिद्द लक्ष्मणेश्वर मंदिर और गंधेश्वर मंदिर को देखने विदेशों से भी लोग आते हैं. इस ऐतिहासिक मंदिर के चारों तरफ आपको पुराने शिलालेख, भगवान की मुर्तियां और खुदाई से निकाले गए कई प्राचिन अवशेष देखने को मिलेंगे.
मैनपाट-सरगुजा के अंबिकापुर में स्थित ये सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है. हरी-भरी वादियों और सुंदर दृश्यों से भरा मैनपाट घूमने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है. यहां सालभर ठंड का मौसम होता है इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है. कोहरे से ढकी वादियां बरबस ही मन मोह लेती है और सुकुन का अनुभव कराती हैं. मैनपाट को 'मिनी तिब्बत' के नाम से भी जाना जाता है. 1962 में यहां तिब्बतियों को शरणार्थियों के रुप में बसाया गया था.