रायपुरःछत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh government)की घोषणा पर अमल करते हुए शिक्षा विभाग ने संविधान दिवस के अवसर पर भारतीय संविधान (Indian Constitution) से जुड़ी बातों (Constitution with curriculum in schools) को छात्र-छात्राओं को बताने की नई पहल शुरू(Giving knowledge to children related to the constitution ) की है. इसके तहत स्कूलों में प्रार्थना के बाद संविधान की प्रस्तावना का वाचन (Reading of Preamble of Constitution after prayer in schools) किया गया और बच्चों को संविधान से संबंधित जानकारियां दी गई. ये महज 1 दिन की कवायद नहीं, बल्कि सतत चलने वाली प्रक्रिया के तहत इस कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई है.
बच्चों को दो लघु पुस्तिका बांटी गई
मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप एससीईआरटी द्वारा 'भारत का संविधान ' और 'हम भारत के लोग ' नामक लघु पुस्तिका (Constitution of India and We the People of India book by SCERT ) छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम (Chhattisgarh Textbook Corporation) की ओर से प्रकाशित कर स्कूलों में निःशुल्क वितरित कराई गई है. भारतीय संविधान से बच्चों को परिचित कराने के लिए स्कूलों में पहले सप्ताह संविधान की प्रस्तावना, दूसरे सप्ताह मौलिक अधिकार और तीसरे सप्ताह संविधान में उल्लेखित मौलिक कर्तव्य, चौथे सप्ताह राज्य के नीति निर्देशक तत्व को समाहित किया गया है.
महापुरुषों से जुड़े विषयों पर बच्चों को विशेष जानकारी
शासन के निर्देशानुसार प्रत्येक सोमवार राज्य के समस्त शैक्षिक संस्थाओं में प्रार्थना के उपरांत संविधान के प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी. यह पहला अवसर नहीं है जब राज्य सरकार ने किसी महापुरुष से जुड़े विषयों को बच्चों के बीच जानकारी देने की पहल की हो. बल्कि इससे पहले भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़े विषयों को लेकर विभिन्न आयोजन किए गए थे. सरकार ने स्कूलों में गांधी जी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिए और रघुपति राघव राजा राम का रोजाना गायन करने का भी आदेश दिया है.
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महापुरुषों के बारे में चर्चा से हो जाती है सियासत गर्म
इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर रायपुर के दीनदयाल ऑडिटोरियम में संगोष्ठी का आयोजन किया गया था, जिसमें मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सौरव बाजपेयी ने बच्चों के सामने इंदिरा गांधी के जीवन और उनके व्यक्तित्व के बारे में जानकारियां दी थी. इसी तरह पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की जयंती के अवसर पर 8 नवंबर को लोकवाणी के तहत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों से रेडियो में बातचीत भी की थी. जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई थी.
ऐसे मामलों पर होने लगी थी सियासी बयानबाजी
मामले में भाजपा के कुछ नेताओं का आरोप है कि सरकार शिक्षा के जरिये कांग्रेस विचारधारा को बच्चों तक पहुंचाने के लिए उनके उपर दबाव डाल रही. हालांकि संविधान दिवस के कार्यक्रम को लेकर भाजपा भी मानती है कि बच्चों को इसका ज्ञान होना चाहिए. वहीं, शिक्षाविदों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. शिक्षाविद नागेंद्र दुबे ने कहा कि हर एक विद्यार्थी को संविधान की जानकारी होनी चाहिए.जितनी अधिक जानकारी बच्चों को संविधान की होगी, समाज उतना ही बेहतर होगा. संविधान हमारा मूल ग्रथ होना चाहिए. बच्चों तक संविधान को ले जाने की यह बहुत अच्छी पहल है.
महापुरुषों को पार्टी से जोड़ना उचित नहीं
इस विषय पर नागेंद्र दुबे कहते हैं कि यह दुर्भाग्य है कि आज के समय में महापुरुषों को भी विचारधारा में बांट दिया गया है. महापुरुष जिन्होंने देश में अहम भूमिका निभाई है, उन्हें किसी पार्टी विशेष से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, चाहे वह वीर सावरकर हो चाहे वह गांधी और नेहरू हो, यह उचित आलोचना नहीं है. इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप नहीं रखना चाहिए.
सभी जानकारों ने विषय को पाठ्यक्रम से जोड़ने में जताई सहमति
यानी कि कुल मिलाकर जानकारों का मानना है कि एजुकेशन इंस्टीट्यूशन किसी भी विचारधारा को प्रमोट करने के लिए एक उपयुक्त और कारगर माध्यम भी माना जाता है. क्योंकि जो बच्चे यहां पर पढ़कर निकलते हैं. वे उसी विचारधारा से प्रभावित होते हैं. ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार जब सत्ता में काबिज होती है. तो वे इस माध्यम का इस्तेमाल करने से नहीं चूंकती. इसी के तहत कई पाठ्यक्रम और कार्यक्रम जोड़े जाते हैं. अपने सुविधानुसार हटाए जाते हैं. जानकरों का कहना है कि इस माध्यम का इस्तेमाल कई सालों से किया जा रहा है.