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छत्तीसगढ़ में हर साल औसतन 10 जवान डिप्रेशन की वजह से कर रहे आत्महत्या - छत्तीसगढ़ की ताजा खबरें

कांकेर में खराब खाने की शिकायत को लेकर सीएएफ के जवान ने वीडियो वायरल किया है. हाल ही में छत्तीसगढ़ में ही एक जवान ने अपने साथी जवानों पर एके 47 से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी, जिसमें चार जवानों की मौत हो गई थी. मनोवैज्ञानिक इन सबकी वजह तनाव और डिप्रेशन (stress and depression) को बताते हैं.

Every year in Chhattisgarh an average of 10 jawans are committing suicide due to depression
छत्तीसगढ़ में हर साल औसतन 10 जवान डिप्रेशन की वजह से कर रहे आत्महत्या

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Published : Dec 6, 2021, 10:13 PM IST

Updated : Dec 6, 2021, 10:36 PM IST

रायपुर :सोशल मीडिया पर छत्तीसगढ़ के एक जवान का वीडियो (Viral Video of CAF Jawan) तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में जवान ने मेस में दिये जाने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाया है. छत्तीसगढ़ में जवान भोजन, अवकाश और अन्य परेशानियों को लेकर तनाव में रहते हैं. इसी तरह के तनाव और परेशानियों के चलते कई जवान और पुलिस के बड़े अधिकारी आत्महत्या जैसे कदम भी उठाने को मजबूर हो जाते हैं. कुछ तो कैंप में मौजूद अपने साथियों की ही हत्या कर देते हैं. हाल में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें से ज्यादातर मामलों का कारण तनाव ही रहा है. पिछले 14 सालों में करीब 139 जवान तनाव के चलते अपना जीवन समाप्त कर चुके हैं.

छत्तीसगढ़ में हर साल औसतन 10 जवान डिप्रेशन की वजह से कर रहे आत्महत्या

हालांकि जवानों को तनाव से दूर रखने के लिए उन्हें आला अधिकारियों ने मनोरंजन के तमाम साधन उपलब्ध कराएं हैं. समय-समय पर उनकी काउंसेलिंग भी की जाती है, लेकिन फिर भी इस तरह की घटनाएं लगातार देखने को मिल जाती हैं.


14 साल में राज्य पुलिस के 91 तो अर्द्धसैनिक बल के 48 जवानों ने की आत्महत्या

साल-दर-साल जवानों की आत्महत्या का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 2007 से 2021 तक 139 जवानों ने आत्महत्या की है. इनमें वह आंकड़ा भी शामिल है, जिसमें जवानों ने अपने ही साथियों की गोली मारकर हत्या कर दी है. इनमें 91 जवान राज्य पुलिस के हैं जबकि 48 अर्द्धसैनिकबल के. सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले बस्तर संभाग (Most cases of suicide of soldiers in Bastar) के सामने आए हैं. आंकड़ों की मानें तो छत्तीसगढ़ में तैनात राज्य पुलिस व अर्धसैनिक बलों के औसतन 10 जवान हर साल डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या कर (Average every year in Chhattisgarh 10 jawans committing suicide due to depression) रहे हैं.

लगातार बढ़ रहे हैं जवानों की खुदकुशी और आत्मघाती कदम के मामले

सुरक्षाबल सूत्रों की मानें तो साल 2020 से लेकर इस वर्ष सितंबर महीने तक सीआरपीएफ में जवानों के अंदर सुसाइड और आत्मघाती कदम के 101 मामले दर्ज किये गए हैं. यह संख्या 2017, 2018 और 2019 को मिलाकर 116 मामलों की तुलना में चौंकाने वाली हैं. 2020 में CRPF में आत्महत्या के 60 मामले मिले. जबकि इस साल 41 ने खुदकुशी कर ली. साल 2018 और 2019 में यह आंकड़ा क्रमश: 36 और 42 था.

जवानों के बीच बढ़ती फायरिंग की घटनाएं

इसी साल नवंबर से 9 महीने पहले जगदलपुर में CRPF जवान ने साथियों पर फायरिंग की थी. इसमें एक जवान की मौत हुई, जबकि दूसरा घायल हो गया था. इससे पहले साल 2012 में दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ जवान ने सोते हुए साथी जवानों पर फायरिंग की थी. इसमें 4 जवानों की मौत हो गई थी.

साल 2017 से 2019 तक का आंकड़ा

साल 2007 से साल 2019 तक की स्थिति के मुताबिक सुरक्षा बल के 201 जवानों ने आत्महत्या की है. इसमें राज्य पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं. साल 2020 में करीब 7 से ज्यादा जवानों ने खुदकुशी की.

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कार्य चुनौतीपूर्ण : वर्णिका शर्मा

मनोवैज्ञानिक वर्णिका शर्मा कहती हैं कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दायित्व का निर्वहन करना एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है. क्योंकि यह एक संघर्षग्रस्त क्षेत्र होता है. वहां पर समायोजन से लेकर वहां की भौगोलिक स्थिति में अपने आप को फिट बिठाना चुनौती होती है. यह एक दिन या दो दिन की बात होती तो बात अलग है, लेकिन रूटीन बन जाए तो निश्चित ही एक प्रकार से तनाव की स्थिति बन जाती है. वैसे छत्तीसगढ़ में जवानों के साथ अमानवीय व्यवहार विशेषकर भोजन को लेकर नहीं होते. अधिकारी इसकी जांच जरूर करेंगे.



मानसिक थकान भी बड़ी वजह

मनोवैज्ञानिक के तौर पर आकलन करें तो हम सिर्फ खाने को टारगेट करके नहीं देखते हैं. हम देखते हैं कि उस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के संयोजन से इंसानों में मानसिक थकान की परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है. अब एक व्यक्ति जो मानसिक थकान के दौर से गुजर रहा है, उसमें निश्चित ही चिड़चिड़ापन आ जाता है. उन्हें लगता है कि एक और समझौता करना है. क्या अब खाने में भी हमें समझौता करना पड़ेगा. तब उनके मन की भावनाएं बाहर आ जाती हैं, ऐसी स्थिति में जवान वीडियो बनाकर वायरल करने पर मजबूर हो जाते हैं.


फैक्ट फाइल

  • 22 जनवरी 2019 को बीजापुर के पुलिस लाइन में पदस्थ 13वीं बटालियन के जवान नंदकिशोर चौधरी ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली.
  • 11 जुलाई 2019 को बीजापुर के पुलिस लाइन में पदस्थ सहायक आरक्षक अनिल टोप्पो ने सर्विस राइफल से खुद को गोली मार ली.
  • 12 मार्च 2020 को माना पीटीएस में नव आरक्षक कोसा वंजामी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
  • 9 अप्रैल 2020 को कोयलीबेड़ा कैंप में उत्तर प्रदेश का रहने वाला जवान प्रदीप शुक्ला ने सर्विस रिवाल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.
  • 28 नवंबर 2020 को बीजापुर में पदस्थ सीएएफ आरक्षक दिनेश शर्मा ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली.
  • 29 नवंबर 2020 को पामेड़ में पदस्थ आरक्षक ने सर्विस राइफल से खुद को गोली मार ली.
  • 29 नवंबर 2020: कांकेर के पुसपाल थाने में तैनात सीएएफ के जवान दिनेश वर्मा ने खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली. दिनेश वर्मा पुसपाल थाने में तैनात था और दुर्ग जिले के भिलाई का रहने वाला था.
  • 30 नवंबर 2020 को एएसआई सन्नू मालवीय ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
  • 9 दिसंबर 2020 अंतागढ़ में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. जवान स्वराज पीएल नाम केरल के वायनाड का रहने वाला था.
  • 18 मार्च 2021 को सीएएफ की 9वीं बटालियन के आरक्षक धर्मेंद्र गवेल ने नारायणपुर में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली.
  • 11 अगस्त 2021 को बालोद जिले में पदस्थ जवान मनीष नेताम ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
  • 10 नवंबर 2021 को सुकमा जिले के लिंगनपल्ली कैंप में सीआरपीएफ के एक जवान ने अपने चार साथियों को एके-47 से भून डाला था.
Last Updated : Dec 6, 2021, 10:36 PM IST

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