रायपुर:दीपों का पर्व दिवाली 24 अक्टूबर सोमवार के दिन मनाया जाएगा. भारतीय सनातन परंपरा में दीपावली पर्व का विशेष महत्व है. संपूर्ण भारत वर्ष में इस पावन पर्व को उत्साह और उमंग से मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्री रामचंद्र लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे. इसी खुशी में अयोध्या वासी घर-घर दीपक और प्रकाश जलाकर इस अमावस रात को प्रकाशमय बना दिया था. तब से यह परंपरा निर्बाध गति से मनाई जा रही है. आज के शुभ दिन सभी वर्ग सभी समाज के लोग आनंद और उत्साह के साथ अपने घरों दुकानों फैक्ट्री जगहों पर चारों ओर दीपक जलाकर आतिशबाजी कर इस पर्व को मनाते हैं. महालक्ष्मी की उपासना का यह पर्व मिठाइयों और रंग बिरंगी आतिशबाजी नवीन वस्त्रों नवीन वाहन और अपरिमित उमंग के साथ मनाया जाने वाला श्रेष्ठतम पर्व है. आज के दिन लोग स्थाई संपत्ति की कामना के लिए महालक्ष्मी की पूजा करते हैं.
Diwali Puja 2022: दीपों का पर्व दीपावली पर ऐसे करें लक्ष्मी देवी की पूजा
Diwali Puja 2022: 24 अक्टूबर सोमवार के दिन शाम को 6:47 से लेकर रात्रि 8:46 तक स्थिर लग्न में महालक्ष्मी की पूजा करना सर्वोत्तम माना गया है, इसके साथ ही मिथुन लग्न जो कि रात्रि 8:46 से रात्रि 10:59 तक रहेगा. इस समय में भी महालक्ष्मी जी की पूजा करना शुभ है. Auspicious time for Diwali Puja 2022
दिवाली में पूजा का शुभ मुहूर्त: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "वृषभ लग्न की बेला में लक्ष्मी जी की पूजा करना सर्वोत्तम माना गया है. 24 अक्टूबर सोमवार के दिन शाम को 6:47 से लेकर रात्रि 8:46 तक स्थिर लग्न में महालक्ष्मी की पूजा करना सर्वोत्तम माना गया है, इसके साथ ही मिथुन लग्न जो कि रात्रि 8:46 से रात्रि 10:59 तक रहेगा. इस समय में भी महालक्ष्मी जी की पूजा करना शुभ है. मध्य रात्रि में 1:13 से लेकर सुबह 3:24 तक सिंह लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा की जा सकती है. इसके साथ ही लाभ और अमृत चौघड़िया में सुबह 9:00 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक का चौघड़िया भी लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ है, इसी तरह शुभ चौघड़िया प्रातः 9:00 से प्रातः 10:30 तक रहेगा. लाभ और अमृत चौघड़िया दोपहर 3:00 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक की लक्ष्मी जी की पूजा के लिए अनुकूल माने गए हैं."
दीपावली पर लक्ष्मी पूजा की विधि: इन मुहुर्तों में यह ध्यान रखें कि महालक्ष्मी की पूजा विधानपूर्वक हो. महालक्ष्मी मंत्र, लक्ष्मी गायत्री मंत्र, कनकधारा स्रोत, श्री सुक्तम, लक्ष्मी सुक्तम, पुरुष सूक्तम आदि मंत्रों के द्वारा लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. इसके साथ ही पूजन सामग्री में लाई बताशा सिंघाड़ा कमल का फूल कमल का गट्टा, गोमती चक्र, चंदन, रोली, कुमकुम, सिंदूर, बंधन, गोपी चंदन, अक्षत और दीपक के माध्यम से महालक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. महालक्ष्मी जी को मिष्ठान बहुत प्रिय है. अक्षत दूध और शर्करा से बनी हुई मीठी खीर भगवान लक्ष्मी जी को चढ़ाई जाती है. इसी तरह अमावस्या के शुभ प्रभाव में खीर का खाना भी बहुत शुभ माना गया है. लाई बताशा सिंघाड़ा धान की बालियां आदि सामग्री अर्पित कर महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. घर के मंदिर में मां लक्ष्मी की पूजा करते समय यह ध्यान रखें कि मुख्य दीपक शुद्ध घी से जलाया जाए. शेष दीपक तेल से भी जलाई जा सकती है. दीपावली पर्व में आतिशबाजी करते समय सावधानीपूर्वक आतिशबाजी करें.