रायपुर:साल 2021 की अंतिम संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi of 2021) मनाई जा रही है. इस दिन सभी देवी देवताओं में प्रथम पूजनीय गणेश (first worshiped ganesh) जी की पूजा की जाती है. इस बार बुधवार को संकष्टी चतुर्थी का पर्व है. बुधवार भगवान गणेश की पूजा का दिन है. इसलिए इसका महत्व काफी बढ़ जाता है. आज के दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में विराजमान रहेंगे. मातंग योग के साथ यह चतुर्थी व्रत मनाया जाएगा. पुष्य नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ नक्षत्र माना गया है. पुष्य में रेवती भद्रा वैधृति योग भी बन रहा है. शाम को 4:52 पर भद्रा निवृत हो जाएगा. आज के त्यौहार में चंद्र उदय के बाद चंद्रमा को दर्शन और अर्ध देकर व्रत का समापन किया जाता है. आज चंद्रमा का उदय रात 8 बजकर 10 मिनट में होगा.
संकष्टी चतुर्थी की शुभ मुहूर्त और पूजा विधि यह भी पढ़ें:ShaniDev Pooja Vidhi: कर्म के देवता शनि की इस विधि से कीजिए पूजा, दूर होंगे कष्ट
इस दिन व्यापार की शुरुआत को शुभ माना गया है
आज के शुभ दिन नवीन व्यापार प्रारंभ करना नए अनुबंध की मित्रता और शुभ चीजें खरीदना शुभ माना गया है. पुष्य नक्षत्र का प्रभाव होने से आभूषण, रत्न, जवाहरात और उपयोगी बर्तन भी खरीदने का विधान है. आज के दिन स्वर्ण और चांदी भी खरीदा जाता है. पुष्य नक्षत्र अनेक शुभ कार्यों के लिए उत्तम कोटि का माना गया है.
भगवान गणेश की पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी में भगवान गणेश की पूजा होती है. लंबोदर महाराज को गंगाजल से स्नान कराकर आचमन कराना चाहिए. दूध, गंगा, जल, पंचामृत, दही और शहद आदि से भगवान गणेश का अभिषेक किया जाता है. सिंदूर, बंधन, रोली, कुमकुम, अबीर और गुलाल आदि से गणेश भगवान का अभिषेक करना चाहिए. विघ्नहर्ता भगवान को मोदक के लड्डू बहुत प्रिय हैं. 11, 21 आदि शुभ अंकों के साथ लड्डू का भोग लगाना चाहिए.
भगवान गणेश को दूब की माला बहुत ही प्रिय है. दूर्वा और दूब की माला चढ़ाए जाने पर गौरी पुत्र बहुत प्रसन्न होते हैं. केला, ऋतु फल और मक्खन आदि का भोग भी विघ्नहर्ता को लगाया जाता है. गणेश को लाल पीले या दूब से बनी हुई माला भी पहनाई जाती है.
यह भी पढ़ें:मार्गशीर्ष पूर्णिमा : आज करें भगवान विष्णु की पूजा, शुभ रहेगा रविवार सुबह दान देना
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
आज के शुभ दिन गणेश सहस्त्रनाम, गणेश चालीसा, अथर्वशीर्ष गणेश की (Atharvashirsh Ganesh Aarti) आरती पूरे उत्साह और मंगल के साथ गाने चाहिए. संपूर्ण परिवार को यह त्यौहार एक रखने का कार्य करता है. आज के शुभ दिन घर में पवित्रता, शुद्धता और शांति बनाकर रखनी चाहिए. रात 8:10 से चंद्र उदय होगा. इसके बाद ही चंद्रमा का दर्शन कर चंद्रमा को जल अर्पण करने के बाद व्रत तोड़ सकते हैं. विघ्नहर्ता समस्त बाधाओं को दूर करने वाले हैं. अतः इस व्रत को अनंत उत्साह के साथ करना चाहिए.