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जानें होलिका दहन और होली के लिए शुभ मुहूर्त और इसका महत्व - छत्तीसगढ़ में होली

रायपुर के ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा ने बताया कि होलिका दहन इस साल 28 मार्च रविवार को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 28 मार्च को शाम 5:36 बजे से रात्रि 8:54 बजे तक रहेगा. होली वास्तव में अग्निहोत्र या यज्ञ का वृहद रूप है. मंत्र के माध्यम से अग्नि का आह्वान कर पूर्वाभिमुख होकर अग्नि को ससम्मान दीए में स्थापित कर होलिका दहन करना चाहिए.

Auspicious muhurta for Holika Dahan and Holi
होलिका दहन और होली के लिए शुभ मुहूर्त

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Published : Mar 26, 2021, 7:36 AM IST

Updated : Mar 28, 2021, 12:48 PM IST

रायपुर: इस साल होली का त्योहार 29 मार्च (सोमवार) को मनाया जा रहा है. होलिका दहन होली से ठीक एक दिन पहले 28 मार्च (रविवार) को किया जाएगा. इस साल होली त्योहार कोरोना संक्रमण की वजह से फीकी रहने वाली है. होली खेलने से पहले प्रशासन की सख्त गाइडलाइंस का पालन करना होगा. रायपुर समेत प्रदेश के बड़े शहरों में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए शासन- प्रशासन ने होलिका दहन और होली सादगीपूर्ण तरीके से मनाए जाने के निर्देश दिए हैं. हम आपको बता रहे हैं होलिका दहन और होली के लिए शुभ मुहूर्त.

होलिका दहन और होली के लिए शुभ मुहूर्त

रायपुर के ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा ने बताया कि होलिका दहन इस साल 28 मार्च रविवार के दिन होगा. होली वास्तव में अग्निहोत्र या यज्ञ का वृहद रूप है. ओम भू भुर्वव: स्व: मंत्र के माध्यम से अग्नि का आह्वान कर पूर्वाभिमुख होकर अग्नि को ससम्मान दीए में स्थापित कर होलिका दहन किया जाता है. किसी मैदानी क्षेत्र में अग्नि सजाई जाती है, तो वह मैदान के आग्नेय कोण में होनी चाहिए. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 28 मार्च को शाम 5:36 बजे से रात्रि 8:54 बजे तक रहेगा.

होलिका दहन से पर्यावरण संतुलित और शुद्ध होता है

होलिका दहन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री आम की लकड़ी, पीपल की लकड़ी और अधिक मात्रा में गाय के गोबर से बने कंडे की माला से होलिका जलाई जाने पर वायु का पूर्ण शोधन होता है. यह वास्तव में पर्यावरण को संतुलित रखने में सहायक होता है. गाय का शुद्ध घी प्रदूषण को पूरी तरह से नियंत्रित करता है. यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है. शक्कर की माला, लाई, बताशे और अन्य चीजों की यज्ञ में आहुति देनी चाहिए. होलिका दहन से प्राण अपान वायु का शुद्धिकरण होता है.

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नजर उतारना और उबटन लगाना क्यों जरूरी है

होली पूर्णिमा वास्तव में तंत्र-मंत्र की सिद्धि का पर्व है. इसमें मंत्र विशेष रूप से सिद्ध किए जाते हैं. शरीर में हल्दी, मुल्तानी मिट्टी, बेसन आदि का लेप लगाकर शरीर को शुद्ध किया जाता है. लेप को निकालकर होलिका में भस्म करने की भी परंपरा है. शरीर में तेल को लगाकर स्नानादि करने से केमिकल वाले रंगों के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है. फिटकिरी आदि के माध्यम से नजर उतारने का भी रिवाज है. काले तिल को रोगी व्यक्ति के शरीर में 21 बार घुमाकर सरोवर या फिर तालाब में डालने की भी परंपरा है. होली के पर्व में नजर उतारना सिद्ध होता है.

कुंभ और तुला राशि के जातकों को विवाद से बचना होगा

भस्म हुई होलिका के राख से भी अला-बला और नजर दोष को उतारा जाता है. छानी हुई राख को मस्तक, कंठ और हृदय सहित शरीर के अन्य हिस्सों में लगाया जाता है. महीन राख को पानी में मिलाकर पीने से पेट के रोग से छुटकारा मिलता है. इस होली के कार्यक्रम में कुंभ और तुला राशि के जातक विवाद और अप्रिय स्थिति से बचने का प्रयास करें.

Last Updated : Mar 28, 2021, 12:48 PM IST

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