अमावस्या को लेकर कई तरह की है मान्यताएं, जानिए कब शुभ और कब अशुभ माना जाता है ये दिन
अमावस्या को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं कि इस दिन क्या करना शुभ होगा और क्या करना अशुभ. इस बारे में ईटीवी भारत ने पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी से बातचीत की. उन्होंने अमावस्या से जुड़ी कई शुभ और अशुभ संकेत के बारे में बताया.
रायपुर:अमावस्या एक ऐसा शब्द या फिर कहें ऐसा नाम है, जिसे सुनते ही मन में एक सिहरन और अजीब सा डर का अहसास कराने लगता है. अमावस्या को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी लोगों के मन भी होती हैं. अमावस्या पर क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए. इन तमाम सवालों का जवाब हम कभी वेदों और ग्रंथों में ढूंढते हैं तो कभी पुरोहितों से जानते हैं. हिंदू पंचांग के मुताबिक अमावस्या का दिन हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तारीख को पड़ता है. अमावस्या की तारीख पर कोई न कोई व्रत त्योहार जरूर होता है. मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितरों का आना होता है, और उस दिन श्राद्ध कर्म और तर्पण करने से पितरों को मुक्ति प्राप्त होती है.
अमावस्या को लेकर मान्यताएं:अमावस्या को लेकर कई तरह की मान्यताएं सालों से लोगों के दिलों दिमाग में रही हैं. कभी शुभ कार्य को लेकर तो कभी अशुभ लक्षणों को लेकर. ऐसा माना जाता रहा है कि अमावस्या के दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए उसका अशुभ फल मिलता है, मन पर बुरा प्रभाव भी पड़ता है. खासकर जिनका मन अशांत होता है उसके लिए तो माना जाता है कि चंद्रमा का दर्शन करना बेहद बुरा साबित होता है. जबकी वहीं ये माना जाता है कि अमावस्या के दिन अपने प्रियजनों का श्राद्ध करने से उनको मुक्ति प्राप्त होती है.
दान से सुधरता है परलोक: इस बारे में धर्म और ज्योतिष के जानकार पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी कहते हैं कि, "अमावस्या के दिन अगर अपने प्रियजनों जिनको की हम खो चुके हैं, उनका तर्पण करते हैं तो उनको न सिर्फ मुक्ति मिलती है. तिल और सोने चांदी के दान से उनका परलोक भी सुधरता है, उसका पुण्य लाभ पितरों तक पहुंचता है."
क्यों नहीं करना चाहिए शुभ कार्य:पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी कहते हैं कि, "अमावस्या के दिन देवों के देव शिव की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए, इसका शुभ फल हमें मिलता है. प्रिया शरण के मुताबिक अमावस्या के दिन किसी भी शुभ कार्य में हाथ नहीं डालना चाहिए. अमावस्या के दिन किया गया शुभ कार्य भी अशुभ फल देता है. अमावस्या के दिन न सिर्फ ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया जाना चाहिए बल्कि जीवों पर भी दया दृष्टि रखनी चाहिए. "
सालों से चली आ रही धार्मिक मान्यताओं का समाज पर अपना खास असर होता है. मान्यता के मुताबिक अमावस्या के दिन मांस और मदिरा दोनों का सेवन पूरी तरह से वर्जित होता है. गरिष्ठ भोजन के तौर पर लहसुन और प्याज का इस्तेमाल भी अमावस्या के दिन नहीं करने की मान्यता है. ऐसा माना जाता है कि अमवास्या के दिन पितरों का तर्पण करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए अपने केश भी कटवाने चाहिए. अमावस्या दिन झाड़ू नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि अमावस्या के दिन झाड़ू खरीदने से मां लक्ष्मी नाराज होतीं हैं.