रायपुर:कोरोना संक्रमण काल में देश भर में आर्थिक तंगी के चलते कई लोगों के व्यवसाय और कामकाज ठप पड़ गए. आर्थिक तंगी और बढ़ती महंगाई के कारण शिक्षा प्रभावित हुई. प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले पालकों को भी बड़ी परेशानी हुई. कई परिजन अपने बच्चों की फीस भी इस दौरान नहीं पटा पाए. वहीं प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस और कोरोना काल के दरमियान फीस से राहत ना देने के बाद परिजनों ने ही स्कूल खोलने की तैयारी की है.
रायपुर के टाटीबंध में खोला जा रहा स्कूल: रायपुर के टाटीबंध में छत्तीसगढ़ पालक संघ द्वारा स्कूल खोला जा रहा है. इस स्कूल मैं पहले साल कोई मासिक फीस नहीं ली जाएगी. यह स्कूल नर्सरी से मिडिल क्लास तक संचालित किया जाएगा. छत्तीसगढ़ पालक संघ के जिला अध्यक्ष धीरज दुबे ने बताया कि "यह स्कूल ऐसे बच्चों और उनके पालकों के लिए खोला गया है. जिनका व्यवसाय कोरोना काल में बंद हो गया, या उनके घर में काम करने वाले व्यक्ति का निधन हो गया है. धीरज दुबे ने बताया कोरोना संक्रमण काल में बहुत से लोगों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है".
अभिभावकों ने यहां खोला स्कूल कई लोग हुए आर्थिक तंगी के शिकार:धीरज दुबे ने बताया कि " कोरोना की मार ऐसी पड़ी की लोग आर्थिक तंगी के शिकार हो गए. कई लोगों को एक समय का भोजन भी नसीब नहीं हो रहा था. ऐसी स्थिति हम परिजन अपने बच्चों के स्कूल की फीस पटाने में भी सक्षम नहीं थे. जिन लोगों ने फीस नहीं पटाई थी प्राइवेट स्कूल द्वारा उन बच्चों की टीसी रोक दी गई और उनकी अंकसूची भी नहीं दी गई. प्राइवेट स्कूल द्वारा परिजनों पर भी फीस का प्रेशर दिया जा रहा है. ऐसे बालकों के बच्चों के लिए यह स्कूल खोली है. यह स्कूल पूर्णता पालकों की तरफ से ही संचालित की जाएगी".
इस स्कूल में फीस रखी गई कम: धीरज दुबे ने बताया कि स्कूल में हमने कम फीस रखी है. जिसे हर कोई दे सकता है. अगर शहर के निजी स्कूलों से इस स्कूल की फीस को कंपेयर किया जाए तो मिडिल स्कूल के बच्चे की सालभर की फीस लगभग 15 हजार से 18 हजार रुपए के बीच होगी. हमारे स्कूल सीबीएसई से एफिलेटेड है यहा एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई होगी.
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100 बच्चो का हुआ एडमिशन: छत्तीसगढ़पालक संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि रायपुर में अभी 100 बच्चों का एडमिशन हो गया है और एडमिशन जारी है लगातार लोग यहां जानकारी लेने आ रहे हैं और अपने बच्चों का एडमिशन करवा रहे हैं. धीरज दुबे ने बताया कि "हमने अपनी स्कूल का नाम सिटी प्राइड (School Name City Pride) रखा है ,हम चाहते हैं कि हमारा स्कूल शहर का गौरव बने इसलिए यहां सभी तरह की व्यवस्थाएं की जा रही है. ताकि एक बच्चे को पूरी सुविधा मिल पाय और वह अच्छे से अच्छी शिक्षा यहां से ग्रहण करें".
बिना टीसी के बच्चों का भी होगा एडमिशन:पालक संघ के जिलाध्यक्ष ने बताया कि ऐसे स्कूल में खास बात यह है कि यहां प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को बिना ट्रांसफर सर्टिफिकेट के ही एडमिशन दिया जाएगा. अगर कोई विद्यार्थी यहां एडमिशन लेना चाहता है तो उन्हें जन्म प्रमाण पत्र या पिछली कक्षा के मार्कशीट के आधार पर प्रवेश मिल जाएगा.
फीस भी छात्रों में डिवाइड होगी:इस स्कूल की खास बात यह भी है कि जब स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ेगी वैसे ही फीस भी छात्र में डिवाइड की जाएगी. अगर बच्चों की संख्या बढ़ती है तो आगे चलकर स्कूल की फीस भी कम होगी जिसका फायदा पालकों को मिलेगा जो परिजन अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस होने की वजह से नहीं पढ़ा पा रहे हैं वह अपने बच्चों को यहां आसानी से पढ़ा पाएंगे.
नो प्रॉफिट नो लॉस के सिद्धांत पर होगा स्कूल का संचालन:संघ के जिलाध्यक्ष ने बताया कि "हमारा स्कूल नो प्रॉफिट नो लॉस के सिद्धांत पर चलेगा, शिक्षा विभाग द्वारा भी सभी प्राइवेट स्कूल को इसी सिद्धांत पर स्कूल संचालित करने के उद्देश्य से ही परमिशन दी जाती है. लेकिन उनके द्वारा मनमानी फीस पालकों से वसूली जा रही है. हम प्राइवेट स्कूल को भी यह दिखाना चाहते हैं कि कम फीस में अच्छी से अच्छी शिक्षा किस तरह से दी जा सकती है"
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पालकों को राहत पहुंचाने के लिए खोला गया स्कूल:छत्तीसगढ़ पालक संघ के जिला अध्यक्ष धीरज दुबे ने बताया कि "इस स्कूल का संचालन पालक संघ के पदाधिकारियों द्वारा चालकों को राहत पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. निजी स्कूल में एडमिशन फीस के नाम पर मोटी रकम लेने के साथ ही मासिक फीस के रूप में भी बड़ी रकम ली जाती है. आर्थिक तंगी के कारण पालक अपने बच्चों को पढ़ाने में असमर्थ हो रहे हैं. इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ पालक संघ द्वारा स्कूल खोलने का फैसला लिया गया.