रायपुर :दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा संघ के बैनर तले दिवंगत पंचायत शिक्षक की विधवाओं ने अपनी 1 सूत्रीय मांग अनुकंपा नियुक्ति को लेकर सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ने को मजबूर है. राजधानी में 20 अक्टूबर से दिवंगत पंचायत शिक्षक के परिजन अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं. 24 अक्टूबर से आमरण अनशन की शुरुआत भी हो गई है. इस आमरण अनशन में बैठी विधवाओं की तबीयत भी खराब हो चुकी है.और कुछ को हॉस्पिटल में भी इलाज करवाना पड़ रहा है. कांग्रेस ने सरकार बनते ही इनको अनुकंपा नियुक्ति देने का वादा किया था, लेकिन सरकार बने लगभग 4 साल बीतने को है. बावजूद इसके आज तक दिवंगत पंचायत शिक्षक के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाई. इसी मांग को लेकर खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन करने के साथ ही रात गुजारने और खाने पीने को मजबूर (movement of widows of panchayat teachers) है.
पंचायत शिक्षकों की विधवाओं का आंदोलन जुलाई 2021 में दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा संघ के बैनर तले दिवंगत पंचायत शिक्षक के परिजन 58 दिनों का प्रदर्शन किए थे. इस प्रदर्शन में विधानसभा घेराव करने के साथ ही मुख्यमंत्री निवास का घेराव कफन ओढ़कर प्रदर्शन लोगों के जूते पालिश करके सरकार के खिलाफ विरोध जताया था. इसके बाद एक कमेटी गठित की गई थी जो 3 महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करने वाली थी, लेकिन आज 13 महीने बाद भी दिवंगत पंचायत शिक्षक के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाई है. जिसके कारण इन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही (anukampa niyukti movement of widows) है.
रोते हुए दर्द किया बयां :दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा संघ की प्रदेश अध्यक्ष माधुरी मृगे ने "रोते और बिलखते हुए अपना दर्द बयां किया और सरकार के खिलाफ नाराजगी और आक्रोश भी उनकी आंखों में देखने को मिला. उनका कहना है कि 24 अक्टूबर से ज्योति जगत और शांति साहू नाम की दिवंगत पंचायत शिक्षक की विधवा आमरण अनशन पर हैं. जिनकी तबीयत भी लगातार खराब होती जा रही है, उन्होंने बताया कि सरकार से सिर्फ और सिर्फ अनुकंपा नियुक्ति चाहते हैं. इसी मांग को लेकर 20 अक्टूबर से राजधानी में फिर से एक बार अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. ऐसे में अब उन्हें चिंता सताने लगी है कि सरकार अपने आश्वासन को कब पूरा करेगी. रोते बिलखते हुए उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्य उत्सव का आयोजन राजधानी में बड़े धूमधाम से हो रहा है. एक तरफ लोग खुशियां मना रहे हैं वहीं दूसरी तरफ दिवंगत शिक्षक के परिजन बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं."
पति की मौत के बाद हालात हुए बदतर : जांजगीर-चांपा जिले की बबीता केवट ने बताया कि "साल 2011 में उसके पति की दोनों किडनी खराब हो जाने की वजह से उसे 1 साल तक डायलिसिस पर रखा गया था. साल 2012 में बबीता केवट ने अपनी एक किडनी अपने पति को दे दी. किडनी ट्रांसप्लांट में लगभग 15 लाख रुपए का खर्च आया था, जिसमें मकान और जमीन भी उसे बेचनी पड़ी थी, आखिरकार साल 2018 में उसके पति की मौत हो गई, जिसके बाद से परिवार की आर्थिक स्थिति और भी खराब होती चली गई. आज रोजी मजदूरी करके परिवार पालने को मजबूर है."
आमरण अनशन के दौरान बिगड़ी विधवा महिला की तबीयत :बसना जिला महासमुंद से आई ज्योति जगत ने बताया कि "24 अक्टूबर से लगातार आमरण अनशन पर बैठी हुई है. इस दौरान उन्होंने अन्न भी ग्रहण नहीं किया है, जिसके कारण उसे कमजोरी आने के साथ ही ओमेटिंग भी होने लगी है. अपना इलाज करवाने हॉस्पिटल जाना पड़ा. सोमवार से जूस और पानी पीकर आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर है, अब सिर्फ और सिर्फ सरकार से अनुकंपा नियुक्ति लेकर ही जाएंगे या फिर उनकी लाश उनके घर जाएगी."
खुले आसमान के नीचे हो रहा आंदोलन : जशपुर जिले के दिवंगत के परिजन अमर गुप्ता ने बताया कि "20 अक्टूबर से अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर प्रदर्शन करने के साथ ही रात गुजारना पड़ रहा है. ठंड का दिन होने के कारण ठंड का एहसास भी होने लगा है. रात के समय सांप बिच्छू और तमाम तरह की परेशानी इन्हें झेलनी पड़ रही है. कुछ खाद्य सामग्री प्रदर्शनकारी अपने साथ लेकर आए हैं. जब तक खाद्य सामग्री रहेगी तब तक इनका भोजन होता रहेगा. उसके बाद इनका खाना पीना भी भगवान भरोसे रहेगा."
अनुकंपा नियुक्ति के नियम है कठिन :सरकार के द्वारा दिवंगत पंचायत शिक्षक के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए निर्धारित अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता बीएड डीएड और टीईटी की परीक्षा देनी होगी. जिसके आधार पर ही उनको अनुकंपा नियुक्ति मिल सकेगी. सरकार द्वारा कठिन मापदंड तय किए गए हैं, जिसके चलते उन्हें आज तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाई है. दिवंगत पंचायत शिक्षक के आश्रित परिवारों के पास दो वक्त की रोजी रोटी के साथ ही परिवार पालने के लिए भी पैसे नहीं है. ऐसे में डीएड बीएड और टीईटी की परीक्षा कहां से देंगे.
संविलियन वाले शिक्षाकर्मियों को मिली अनुकंपा नियुक्ति : प्रदेश सरकार ने 1 जुलाई 2018 को शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया था, ऐसे परिवार के मुखिया का निधन होने पर उनके आश्रितों को सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति दे दी है. साल 2006 से 2018 के बीच जितने पंचायत शिक्षकों के निधन हुए हैं, उनके आश्रितों को अब तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाई है. जिसके कारण इन आश्रित परिवारों को सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है
कितने आश्रितों को चाहिए नौकरी :पूरे प्रदेश में लगभग 935 दिवंगत पंचायत शिक्षक की विधवाएँ और बच्चें हैं जो अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि डीएड बीएड और टीईटी की अनिवार्यता को शिथिल करते हुए सभी दिवंगत पंचायत शिक्षक के परिजनों को उनके शैक्षणिक योग्यता के अनुसार तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी या फिर सहायक शिक्षकों के पद पर अथवा प्रयोगशाला शिक्षक के पदों पर और ग्राम पंचायत में सचिव के पदों पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए. जिससे वे अपना और अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें. raipur latest news