रायपुर: हर साल 13 अप्रैल का दिन भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष के सबसे काले दिनों में से एक है. जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस के दिन लोग साल 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग में मारे जाने वाले शहीदों को याद करते हैं और बलिदान को याद करते हैं. भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में यह घटना एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखी जाती है. जलियांवाला बाग नरसंहार को साल 2023 में 104 साल पूरे हो गए हैं. जलियांवाला बाग नरसंहार स्वतंत्रता संघर्ष के दौर की एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने गांधी को भारतीय राष्ट्रवाद और ब्रिटेन से स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया था.
jallianwala bagh massacre: जलियांवाला बाग नरसंहार की 104वीं बरसी, जानें इस दिन क्या हुआ था - jallianwala bagh hatyakand
13 अप्रैल के दिन को जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह इतिहास की एक ऐसी घटना थी, जिसने आजाद भारत के सपने में ताकत भर दी. इस साल 2023 उस दुखद घटना के 104 साल पूरे होने का प्रतीक है, जिसे भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाता है.
जलियांवाला बाग नरसंहार: 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग (अमृतसर) में इकट्ठा होकर दो राष्ट्रवादी नेताओं, सत्य पाल और डॉ सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान ब्रिटिश सेना के अधिकारी, जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ जलियांवाला बाग में घुसकर अपने सैनिकों को बिना किसी चेतावनी के गोली चलाने के आदेश दिए थे. चेतावनी दिए बिना गोली चलाने से लोग तितर-बितर हो गए. सौनिक गोला-बारूद खत्म होने तक लगातार दस मिनट तक गोलियां बरसाते रहे. जिसके बाद ब्रिटिश सैनिक वहां से चले गए. इस घटना में 1,650 राउंड फायर किए गए, जिसमें 500 से ज्यादा लोग मारे गए. हालांकि ऑफ रिकॉर्ड 2000 लोगों के मारे जाने की बात कही गई थी. घटना में 1500 से ज्यादा लोग घायल भी हुए थे. आज भी उस जगह को सहेज कर रखा गया है, जहां यह घटना हुई थी.