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बीजेपी का अभेद किला है छत्तीसगढ़ की ये सीट, 1991 के बाद नहीं मिली हार

बात छत्तीसगढ़ की उस सीट की जिस पर कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने हाथ आजमाया, मशक्कत की लेकिन 1991 के बाद आज तक वो बीजेपी के इस अभेद किले को भेद नहीं पाई.

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Published : May 25, 2019, 8:12 PM IST

बीजेपी मुख्यालय

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर लोकसभा के लिहाज से छत्तीसगढ़ की सबसे हाईप्रोफाइल सीटों में से एक थी. इस सीट पर दोनों ही पार्टियों के बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी थी.

बीजेपी का अभेद किला बनी रायपुर लोकसभा सीट


वर्तमान और पूर्व महापौर के बीच था मुकाबला
कांग्रेस ने जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पसंद रायपुर के महापौर प्रमोद दुबे को टिकट दिया था, वहीं भाजपा ने पूर्व मेयर और भाजपा ने पार्टी के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल के खेमे से आने वाले सुनील सोनी को टिकट देकर मैदान पर उतारा था.

पहले राउंड की बढ़त रही बरकरार
भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुनील सोनी ने पहले राउंड से जो बढ़त बनाई वह अंत तक कायम रखी. विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा ने नए चेहरे को उतारकर एक दांव खेला था, जो पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में जाता दिखा.


बड़े अंतर से हारी कांग्रेस
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि वो लोकसभा चुनाव में 11 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करेगी. लेकिन ऐसा हो न सका. रायपुर लोकसभा सीट पर हर किसी की निगाह टिकी हुई थी, लेकिन यह सीट भी कांग्रेस बड़े अंतर से हार गई.


चार में तीन सीट कांग्रेस के पास
इस लोकसभा सीट में रायपुर नगर निगम के साथ ही चार विधानसभा सीट आती हैं, जिनमें से तीन पर कांग्रेस के ही विधायक हैं. रायपुर नगर निगम के 70 वार्डों में से 37 में कांग्रेस के पार्षद हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या खुद मेयर प्रमोद दुबे भीतरघात के कारण हारे.


साथियों ने नहीं की मदद
अपने ही साथी नेताओं यानी, विधायक-पार्षदों ने मदद नहीं की. प्रदेश के शीर्ष नेताओं के रायपुर को लेकर अतिआत्मविश्वास की वजह रही. अब कांग्रेस को इन सभी पर मंथन करने की जरूरत है, क्योंकि यह हार बहुत बड़ी है. जबकि माना जा रहा था कि हार चाहे जिसकी भी हो पर हार का अंतर बहुत कम रहेगा.


'हार से उबर पाना थोड़ा मुश्किल'
रायपुर उत्तर में कुलदीप जुनेजा, रायपुर पश्चिम में विकास उपाध्याय, रायपुर ग्रामीण में कद्दावर नेता सत्यनारायण शर्मा कांग्रेस के विधायक हैं. अब सवाल इन पर भी है. प्रमोद दुबे को इस हार से इन वजहों से उबर पाना थोड़ा मुश्किल जरूर होगा.


3 लाख से ज्यादा वोटों से मिली जीत
भाजपा प्रत्याशी सुनील सोनी ने 3 लाख 48 हजार 238 मतों से कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद दुबे को शिकस्त दी. 21 राउंड में कुल 1393201 मतों की गिनती पूरी हुई. राउंडवार प्रत्याशियों को मिले मतों का अध्ययन किया जाए तो सोनी ने एक बार भी दुबे को बढ़त लेने नहीं दी. हर राउंड के बाद बढ़त इतनी बढ़ गई कि दुबे की हार तय दिखाई पड़ने लगी. मायूसी कांग्रेस प्रत्याशी, उनके कार्यकर्ताओं में मतगणना स्थल पर साफ दिखाई दे रही थी.


दिग्गजों के क्षेत्र में मिली अच्छी बढ़त
5 महीने पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की यहां 9 में से 6 सीटें थी. एक जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और केवल 2 सीटें भाजपा के पास है. भाजपा प्रत्याशी को कांग्रेसी दिग्गजों के क्षेत्र में भी अच्छी बढ़त मिली है.


1991 के बाद बीजेपी का गढ़ बना रायपुर
दरअसल कांग्रेस 1991 के बाद से रायपुर लोकसभा की सीट नहीं जीत पाई है. विधानसभा चुनाव में मिली बढ़त के बाद कांग्रेस को यहां पर जीत की उम्मीद थी, लेकिन रायपुर लोकसभा में कांग्रेस की हसरत पूरी नहीं हो पाई. कांग्रेस ने भाजपा को हराने के लिए पिछले 7 चुनाव में लगातार हर बार प्रत्याशी बदलकर मैदान पर उतारा, लेकिन कांग्रेस को हमेशा ही मुंह की खानी पड़ी है.


इन प्रत्याशियों को मिली हार
जिन प्रत्याशियों का हार मिली उनमें प्रत्याशियों में कांग्रेस के कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल, श्यामा चरण शुक्ल, धनेंद्र साहू, सत्यनारायण शर्मा और वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल रहे हैं. इस बार उम्मीद थी कि भाजपा ने यहां वर्तमान सांसद की टिकट काटकर में चेहरे को उतारा था ऐसे में कांग्रेस को लग रहा था कि यह फार्मूला उनके पक्ष में जाएगा. लेकिन नतीजों ने सब तरह के दांवपेंच को उल्टा कर दिया.

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