रायपुर: 21 वीं सदी का दूसरा दशक छत्तीसगढ़ के लिए काफी उतार चढ़ाव से भरा रहा. यहां कई ऐसी घटनाएं घटी जिसने प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया तो राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित किया. इन घटनाओं में सबसे ज्यादा घटना झीरम घाटी की थी जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया.
झीरम घाटी कांड
25 मई 2013 को बस्तर के झीरम में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सली हमला कर दिया. इस हमले में नक्सलियों ने कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ प्रदेश स्तर के टॉप लीडरशिप को मौत के घाट उतार दिया. इस नक्सली हमले में कुल 35 नेताओं की मौत हुई थी. तत्कालीन पीसीसी चीफ नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार को नक्सलियों ने अपना निशाना बनाया. शक की सूई छत्तीसगढ़ के पहले और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर भी घूमी
2013 का विधानसभा चुनाव
साल 2013 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इतिहास रच दिया. बीजेपी ने चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाई और तीसरी बार डॉ रमन सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके साथ ही रमन सिंह का राष्ट्रीय राजनीति में कद और बढ़ गया.
अंतागढ़ टेप कांड
12 सितंबर 2014 को अंतागढ़ में उपचुनाव हुआ. इस चुनाव में यहां बीजेपी कांग्रेस के अलावा 13 उम्मीदवार मैदान में थे. लेकिन ऐन वक्त पर कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार ने चुनाव से नाम वापस ले लिया. जिससे कांग्रेस दूसरा उम्मीदवार नहीं खड़ा कर पाई और बीजेपी ने यहां से चुनाव जीत लिया. इस मामले से जुड़ा टेप दिसंबर 2015 में मीडिया में आया. जिसके बाद उपचुनाव में खरीद फरोख्त का खुलासा हुआ. जिसमें 7 करोड़ के लेन देने की बात सामने आई थी. आज भी इस मामले में जांच जारी है