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SPECIAL: दो डॉक्टर्स और एक वकील के बीच मरवाही का महासमर - केके ध्रुव कांग्रेस प्रत्याशी

मरवाही चुनाव में अब कुछ ही दिन शेष हैं. भारतीय जनता पार्टी ने जहां डॉक्टर गंभीर सिंह और कांग्रेस ने डॉक्टर के के ध्रुव पर दांव आजमाया है, वहीं पिता अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई सीट पर अमित जोगी खुद उतर रहे हैं. अमित जोगी 15 अक्टूबर को मरवाही उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करेंगे. डॉ. केके ध्रुव ने कांग्रेस की तरफ से नामांकन दाखिल कर दिया है. 15 अक्टूबर को अमित जोगी और 16 अक्टूबर को डॉ. गंभीर सिंह पर्चा दाखिल करेंगे.

Amit Jogi, kk durw and Gambhir Singh will contest marwahi byelections
मरवाही का महासमर

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Published : Oct 13, 2020, 8:48 PM IST

Updated : Oct 13, 2020, 9:39 PM IST

रायपुर:मरवाही के महासमर में भारतीय जनता पार्टी ने जहां डॉक्टर गंभीर सिंह और कांग्रेस ने डॉक्टर के के ध्रुव पर दांव आजमाया है, वहीं पिता अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई सीट पर अमित जोगी खुद उतर रहे हैं. मरवाही को जोगी का गढ़ कहा जाता है. पूर्व सीएम अजीत जोगी यहां से विधायक थे. कुछ दिन पहले उनकी बहू ऋचा जोगी जाति मामले में फंस गई, जिसके बाद उनके बेटे अमित ने खुद वहां से चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

दो डॉक्टर्स और एक वकील के बीच मरवाही का महासमर

अमित जोगी के बारे में सब जानते हैं कि वे अजीत और रेणु जोगी के बेटे हैं. 7 अगस्त 1977 को जन्मे अमित कई साल से सक्रिय राजनीति में हैं. 2013 से 2016 तक मरवाही से विधायक रहे फिर कांग्रेस ने इन्हें पार्टी से निकाल दिया. विवादों से नाता रहा है और अभी जेसीसी (जे) की कमान संभाल रहे हैं. लेकिन दिलचस्प ये है कि भाजपा और कांग्रेस ने जिन चेहरों पर किस्मत आजमाई है, वे दोनों डॉक्टर हैं. डॉक्टर गंभीर सिंह और डॉक्टर के के ध्रुव ने चिकित्सा के क्षेत्र में लंबी सेवा दी है. वहीं अमित जोगी ने दिल्ली से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद रायपुर की पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से एलएलबी की है.

पढ़ें- मरवाही के महासमर में उतरे अमित जोगी, 15 अक्टूबर को दाखिल करेंगे नामांकन

डॉक्टर गंभीर सिंह का करियर-

  • मरवाही विकासखंड के लट कोनी खुर्द गांव के रहने वाले गंभीर सिंह 11 जून 1968 में गौड़ परिवार में जन्मे और प्राथमिक शिक्षा गांव में ही पूरी करने के बाद 1999 में भारतीय रेलवे के जनरल सर्जन बने.
  • वे ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में भी सेवा दे चुके हैं. 2005 में रायपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में विभागाध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी.
  • गंभीर सिंह की पत्नी मंजू सिंह जानी-मानी डॉक्टर हैं.
  • गंभीर सिंह के पिता प्रेम सिंह गोंडवाना आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले चुके हैं.
  • साल 2013 के चुनाव में भी गंभीर सिंह का नाम बीजेपी की ओर से प्रमुखता से था लेकिन बाद में समीरा पैकरा को प्रत्याशी बनाया गया.

पढ़ें- मरवाही उपचुनाव: BJP ने डॉ. गंभीर सिंह को मैदान में उतारा


के के ध्रुव का करियर-

  • डॉक्टर कृष्ण कुमार ध्रुव ने राजनीति में कदम रखने के लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया है. वे मरवाही विकासखंड में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के रूप में पदस्थ थे.
  • कृष्ण कुमार ध्रुव बलौदाबाजार जिले के नटूवा गांव के रहने वाले हैं. जिनकी प्रारंभिक शिक्षा बालको कोरबा में हुई. बाद में वे जबलपुर के मेडिकल कॉलेज से उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. इनके पिता स्वर्गीय देव सिंह एसईसीएल कोरबा में कर्मचारी थे. वहीं मां पीला बाई हाउस वाइफ थीं.
  • केके ध्रुव के 3 बच्चे हैं, जिसमे मंझला बेटा मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है. छोटा बेटा बीएससी सेकंड ईयर का छात्र है, वहीं बड़ी बेटी मरवाही ब्लॉक में ही शिक्षाकर्मी हैं.
  • डॉ. ध्रुव साल 2001 से लगातार मरवाही में ही कार्यरत रहे.

पढ़ें- कांग्रेस सरकार के काम से जनता खुश, हम जीतेंगे चुनाव: केके ध्रुव

अपनी-अपनी जीत का दावा

भाजपा जहां इसे त्रिकोणीय मुकाबला नहीं मान रही है, वहीं कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत से जीत का दावा किया है. प्रत्याशी गंभीर सिंह कहते हैं कि उन्हें विश्वास है कि वह इस बार मिथक तोड़ देंगे. शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि इनका प्रमुख मुद्दा होगा, जिसे यह मतदाताओं के बीच लेकर जाएंगे. वहीं तमाम विरोध के बीच कांग्रेस प्रत्याशी के के ध्रुव सरकार के काम को लेकर लोगों के बीच जाएंगे. उनका दावा है कि पिछले 2 साल के सरकार के काम से लोग खुश हैं इसलिए जीत उनकी ही होगी. देखना होगा मरवाही में इस बार जोगी परिवार अपना गढ़ बचा पाता है या फिर दोनों में से किसी एक डॉक्टर को मौका मिलने वाला है.

Last Updated : Oct 13, 2020, 9:39 PM IST

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