रायपुर:मरवाही के महासमर में भारतीय जनता पार्टी ने जहां डॉक्टर गंभीर सिंह और कांग्रेस ने डॉक्टर के के ध्रुव पर दांव आजमाया है, वहीं पिता अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई सीट पर अमित जोगी खुद उतर रहे हैं. मरवाही को जोगी का गढ़ कहा जाता है. पूर्व सीएम अजीत जोगी यहां से विधायक थे. कुछ दिन पहले उनकी बहू ऋचा जोगी जाति मामले में फंस गई, जिसके बाद उनके बेटे अमित ने खुद वहां से चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
अमित जोगी के बारे में सब जानते हैं कि वे अजीत और रेणु जोगी के बेटे हैं. 7 अगस्त 1977 को जन्मे अमित कई साल से सक्रिय राजनीति में हैं. 2013 से 2016 तक मरवाही से विधायक रहे फिर कांग्रेस ने इन्हें पार्टी से निकाल दिया. विवादों से नाता रहा है और अभी जेसीसी (जे) की कमान संभाल रहे हैं. लेकिन दिलचस्प ये है कि भाजपा और कांग्रेस ने जिन चेहरों पर किस्मत आजमाई है, वे दोनों डॉक्टर हैं. डॉक्टर गंभीर सिंह और डॉक्टर के के ध्रुव ने चिकित्सा के क्षेत्र में लंबी सेवा दी है. वहीं अमित जोगी ने दिल्ली से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद रायपुर की पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से एलएलबी की है.
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डॉक्टर गंभीर सिंह का करियर-
- मरवाही विकासखंड के लट कोनी खुर्द गांव के रहने वाले गंभीर सिंह 11 जून 1968 में गौड़ परिवार में जन्मे और प्राथमिक शिक्षा गांव में ही पूरी करने के बाद 1999 में भारतीय रेलवे के जनरल सर्जन बने.
- वे ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में भी सेवा दे चुके हैं. 2005 में रायपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में विभागाध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी.
- गंभीर सिंह की पत्नी मंजू सिंह जानी-मानी डॉक्टर हैं.
- गंभीर सिंह के पिता प्रेम सिंह गोंडवाना आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले चुके हैं.
- साल 2013 के चुनाव में भी गंभीर सिंह का नाम बीजेपी की ओर से प्रमुखता से था लेकिन बाद में समीरा पैकरा को प्रत्याशी बनाया गया.