रायपुर: छत्तीसगढ़ में दावत-ए-इस्लामी संस्था (Dawat-e-Islami Organization Chhattisgarh) को जमीन देने का मामला थम गया है. क्योंकि इस मामले को लेकर लेकर पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सरकार दावत-ए-इस्लामी संस्था को जमीन देने की तैयारी कर रही है. जिसके जबाव में अनुविभागीय दंडाधिकारी देवेंद्र पटेल ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि प्रारंभिक स्थिति में इस जमीन के आवेदन को रद्द कर दिया गया है.
जमीन का आवेदन रद्द
अनुविभागीय दंडाधिकारी देवेंद्र पटेल ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि दावत-ए-इस्लामी संस्था को जमीन का आवंटन नहीं हुई है. इसे प्रारंभिक अवस्था में रद्द कर दिया गया है. रायपुर के अनुविभागीय दंडाधिकारी देवेंद्र पटेल ने इसका एलान किया है. देवेंद्र पटेल का कहना है कि प्रारंभिक स्थिति में इस जमीन के आवेदन को रद्द कर दिया गया है. देवेंद्र पटेल ने बताया कि आवेदक संस्था दावत-ए-इस्लामी की ओर से सैय्यद कलीम ने सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए बोरियाखुर्द में खसरा नंबर 10 के लिए हेक्टेयर भूमि के आवंटन के लिए आवेदन पत्र दिया था. लेकिन विज्ञापन प्रकाशन के बाद आवेदक ने तहसीलदार के न्यायालय में मौजूद होकर अपना आवेदन ये कहकर वापस ले लिया कि उन्होंने गलती से रकबा 10 हेक्टेयर लिख दिया था. जबकि उन्हें केवल 10 हजार वर्गफुट जमीन की ही जरूरत है.
दावत-ए-इस्लामी जमीन आवंटन केस: बृजमोहन अग्रवाल के सवाल पर रायपुर प्रशासन का बयान, जमीन का आवंटन हुआ रद्द
संबधित अधिकारी को नोटिस
आवेदक ने कहा कि आवेदन पत्र में खसरा नंबर भी गलत लिखा गया है. इसके बाद तहसीलदार कोर्ट ने आवेदन को रद्द कर दिया. यह पूरा मामला प्रारंभिक स्थिति में ही रद्द कर दिया गया है. इश्तिहार प्रकाशन में हुई त्रुटि के लिए प्रभारी अधिकारी भू आवंटन एवं अत्तिरिक्त तहसीलदार को नोटिस जारी किया जा रहा है.
ऐसी संस्था 'आतंक' फैलाने का करती है काम: बृजमोहन अग्रवाल
बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कहा था कि सरकार पाकिस्तान की दावत ए इस्लाम को छत्तीसगढ़ में समुदायिक भवन बनाने के लिए 10 हेक्टेयर जमीन देने की तैयारी कर रही है. बीजेपी नेता ने आरोप लगाया था कि ऐसी ही संस्था देश में आतंक फैलाने का काम करती है. बृजमोहन अग्रवाल ने यह भी कहा था कि ऐसी बहुत सारी संस्थाएं हैं. जिनके आवेदन 10 साल से पेंडिंग है लेकिन उन सभी को छोड़ सरकार इस संस्था को जमीन क्यों देने की तैयारी कर रही है.
10 साल पुराने आवेदन को छोड़ इस संस्था को जमीन देने की तैयारी-अग्रवाल
बृजमोहन अग्रवाल ने दावत-ए-इस्लामी पर विदेशी फंडिंग के जरिए आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है. अग्रवाल ने आरोप लगाया कि बघेल सरकार ने 10 सालों से पेंडिंग पड़े आवेदन को छोड़कर इस संस्था को जमीन देने की तैयारी कर ली है. जिस पर कई सवाल उठ रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2020 में आवेदन करने वाली इस संस्था को जमीन देने की तैयारी चल रही है. इसके लिए इश्तिहार छपवाया गया है. बघेल सरकार यह बताए कि इस संस्था का हेड क्वार्टर कहां है.
क्या है दावत-ए- इस्लामी संगठन
दावत-ए-इस्लामी पाकिस्तान में स्थित एक सुन्नी इस्लामी संस्था है. पूरी दुनिया मे इसके कई संस्थान हैं. जहां इस्लाम से जुड़ी पढ़ाई की जाती है. इसकी स्थापना 1981 में कराची में हुई थी. मौलाना अबू बिलाल मुहम्मद इलियास अत्तर इसके संस्थापक माने जाते हैं.
दावत-ए-इस्लामी संस्था का जमीन आवंटन प्रारंभिक अवस्था में रद्द- रायपुर प्रशासन
दावत-ए-इस्लामी संस्था को जमीन का आवंटन नहीं हुआ, यह प्रारंभिक अवस्था में रद्द कर दिया गया है. रायपुर के अनुविभागीय दंडाधिकारी देवेंद्र पटेल ने इसका एलान किया है. देवेंद्र पटेल का कहना है कि प्रारंभिक स्थिति में इस जमीन के आवेदन को रद्द कर दिया गया है. देवेंद्र पटेल ने बताया कि आवेदक संस्था दावत-ए-इस्लामी छत्तीसगढ़ रायपुर की ओर से सैय्यद कलीम ने सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए बोरियाखुर्द में खसरा नंबर 10 के लिए हेक्टेयर भूमि के आवंटन के लिए आवेदन पत्र दिया था. लेकिन इश्तिहार प्रकाशन के बाद आवेदक ने तहसीलदार के न्यायालय में मौजूद होकर अपना आवेदन ये कहकर वापस ले लिया कि उन्होंने गलती से रकबा 10 हेक्टेयर लिख दिया था. जबकि उन्हें केवल 10 हजार वर्गफुट जमीन की ही जरूरत है. आवेदक ने कहा कि आवेदन पत्र में खसरा नंबर भी गलत लिखा गया है. इसके बाद तहसीलदार कोर्ट ने आवेदन को रद्द कर दिया. यह पूरा मामला प्रारंभिक स्थिति में ही रद्द कर दिया गया है. इश्तिहार प्रकाशन में हुई त्रुटि के लिए प्रभारी अधिकारी भू आवंटन एवं अत्तिरिक्त तहसीलदार को नोटिस जारी किया जा रहा है.