छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

हरिद्वार महाकुंभ: 13 अखाड़ों ने 'धर्म ध्वजा' की लकड़ियों का किया चयन, जानें महत्व - धर्म ध्वजा से कैसे होती है पहचान

अखाड़ों में लहराती धर्मध्वजाएं महाकुंभ क्षेत्र में सहज ही आकर्षित कर लेती हैं. धर्मध्वजा अखाड़ों की आन, बान और शान का प्रतीक हैं. अखाड़े किसी भी कीमत पर धर्मध्वजा का झुकना स्वीकार नहीं करते हैं.

Haridwar Mahakumbh 2021
हरिद्वार महाकुंभ 2021

By

Published : Jan 31, 2021, 9:21 AM IST

हरिद्वार: जब भी कुंभ, सिंहस्थ, अर्धकुंभ या माघ का मेला लगता है, ये साधु-संन्यासी उसका एक अभिन्न अंग होते हैं. कोई साधु कई दशकों से एक पैर पर खड़ा है तो कोई सिर्फ जल पीकर ही जिंदा रहता है. धूनी रमाए, घनी जटाओं वाले ये साधु अपनी वेश-भूषा की वजह से लोगों को जहां थोड़ा डराते हैं वहीं आकर्षित भी करते हैं. हिंदू धर्म के ये अखाड़े अपने प्रारंभिक रूप से बहुत बदल चुके हैं. लेकिन इनका मूल अभी भी धर्म की रक्षा में ही निहित है. इसके साथ ही धर्म ध्वजा का स्वरूप भी अभी तक बरकार है.

हरिद्वार में महाकुंभ की तैयारी

महाकुंभ मेले में मौजूद 13 अखाड़ों में प्रवेश करते ही अनेक तरह के साधु-संन्यासियों के दर्शन होते हैं. धर्म ध्वजा अखाड़ों की धार्मिक पहचान है, जो दूर से दिखाई देती है. कुंभ शुरू होने से पहले तमाम अखाड़े नगर प्रवेश के बाद अपनी धर्म ध्वजा छावनियों में स्थापित करते आये हैं. जिसके लिए एक विशेष कद-काठी के पेड़ के तने को जंगल से काटकर लाया जाता रहा है. अखाड़ों की छावनियों में स्थापित होने वाली धर्म ध्वजाओं को लगाने के लिए 52 हाथ की लकड़ी का प्रयोग किया जाता रहा है.

ये भी पढ़ें:महाकुंभ 2021 के लिए तैयार हरिद्वार, भव्य और दिव्य होगा मेला इस बार

इसी क्रम में 30 जनवरी को मेला प्रशासन के साथ सभी तेरह अखाड़ों के साधु-संतों ने देहरादून के छिदरवाला के जंगलों से अपने अपने अखाड़ा में स्थापित होने वाली धर्म ध्वजा की लकड़ियों का चयन किया है. अब मेला प्रशासन द्वारा सभी अखाड़ों में धर्म ध्वजा की लकड़ियां पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी. जिसके बाद पूजा-अर्चना कर धर्म ध्वजा ससम्मान अखाड़ों में स्थापित की जाएगी. अखाड़ों की छावनियों में स्थापित होने वाली धर्म ध्वजाओं को लगाने के लिए 108 फीट से 151 फीट तक की लकड़ी का प्रयोग किया जाता रहा है.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि सभी 13 अखाड़ों के प्रमुख ने धर्म ध्वजा के लिए लकड़ियों का चयन किया है. सभी अखाड़ों की धर्म ध्वजा स्थापित करने की अपनी अपनी परंपरा है. कोई अखाड़ा 52 हाथ की लकड़ी पर धर्म ध्वजा स्थापित करता है तो कोई उस से छोटी लकड़ी पर धर्म ध्वजा स्थापित करता है.

धर्म ध्वजा से कैसे होती है पहचान

अलग-अलग अखाड़ों की धर्म ध्वजा अलग होती है. जैसे महानिर्वाणी अखाड़े की ध्वजा लाल रंग की होती है. वहीं दिगंबर अखाड़े की ध्वजा में पांच रंग होते हैं जहां सबसे ऊपर लाल, फिर केसरिया, सफेद, हरा और सबसे नीचे काला रंग होता है. निर्मोही अखाड़े की ध्वजा केसरिया रंग की होती है. हर अखाड़े की ध्वजा का रंग ही उसकी पहचान है. कुंभ के मेले में सूर्योदय के साथ यह ध्वजा फहराई जाती है और शाम को सूर्यास्त के साथ इसे उतार किया जाता है.

अखाड़ों में लहराती धर्मध्वजाएं महाकुंभ क्षेत्र में सहज ही आकर्षित कर लेती हैं. यह धर्मध्वजा अखाड़ों की आन, बान और शान का प्रतीक हैं. अखाड़े किसी भी कीमत पर धर्मध्वजा का झुकना स्वीकार नहीं करते हैं.

वहीं, कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत का कहना है कि सभी तेरह अखाड़ों ने धर्म ध्वजा की लकड़ियों का चयन किया है. अखाड़ों की बताई जगह पर प्रशासन लकड़ियों को पहुंचा देगा. क्योंकि माना जाता है कि धर्म ध्वजा स्थापित होने के बाद ही अखाड़ों में मेले की शुरुआत होती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details