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SAFF Championship: छत्तीसगढ़ की पहली महिला अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट में बनेगी रैफरी

south Asian football tournament खेलों के मामले में छत्तीसगढ़ नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है. सुपर क्रॉस बाइक रेसिंग चैंपियनशिप, चैस का इंटरनेशनल टूर्नामेंट ये ऐसी चैंपियनशिप है जिसका पहली बार छत्तीसगढ़ में आयोजन हुआ. छत्तीसगढ़ की डायरी में उपलब्धि का एक और पन्ना जुड़ गया है. प्रदेश की बेटी आकांशा सोनी SAFF Championship में रैफरी के लिए चयनित हुई है. Akansha Soni of Chhattisgarh

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अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट में रैफरी बनेगी आकांशा सोनी

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Published : Oct 27, 2022, 7:44 PM IST

रायपुर:भारत में लगातार खेलों को बढ़ावा देने के लिए टूर्नामेंट ऑर्गेनाइज किए जा रहे हैं. क्रिकेट के साथ-साथ फुटबॉल, हॉकी, कबड्डी जैसे अन्य खेलों को भी भारत में अब तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है. भारत के सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिला खिलाड़ी भी पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रही है. छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी पूरी दुनिया में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर रहे हैं. ऐसी ही एक छत्तीसगढ़ की बेटी आकांक्षा सोनी का चयन साउथ एशियन गेम्स अंडर 15 गर्ल्स फुटबॉल चैंपियनशिप में रैफरी के लिए किया गया है. ETV भारत ने रैफरी आकांक्षा सोनी से खास बातचीत की. आइए जानते है उन्होंने क्या कहा

छत्तीसगढ़ की पहली महिला अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट में बनेगी रैफरी

सवाल :- कब से शुरू किया फुटबॉल खेलना, किस का सपोर्ट मिला?

जवाब :- जब मैं 11 साल की थी तब मैंने अपना स्कूल चेंज किया था. जे.आर दानी गर्ल्स स्कूल में छठवीं क्लास में मेरा एडमिशन हुआ. तभी से मैंने फुटबॉल खेलना शुरू किया. मुझे फुटबॉल खेलना नहीं आता था इसीलिए शुरू शुरू में मुझे बहुत मुश्किलें हुई. लेकिन धीरे धीरे मैंने फुटबॉल खेलना सीखा. मेरे घर से मुझे हमेशा सपोर्ट मिला और मेरे मम्मी पापा ने कभी मुझे खेलने से नहीं रोका. इसी वजह से मैंने फुटबॉल में नेशनल लेवल तक टूर्नामेंट्स खेले हैं. भाई बहन ने जरूर बोला कि पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दो खेल पर ज्यादा ध्यान नहीं तो लेकिन मम्मी पापा के सपोर्ट से मुझे हौसला मिला.

अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट में रैफरी बनेगी आकांशा सोनी

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सवाल :- अब तक कितने टूर्नामेंट खेल चुके हैं?

जवाब :- जब मैं फुटबॉल खेलती थी तब मैं स्टॉपर यानी मैन डिफरेंस हुआ करती थी. मैंने अंडर-17 , अंडर-19 , जूनियर टूर्नामेंट, सीनियर टूर्नामेंट मिलाकर कुल 15 से 16 नेशनल टूर्नामेंट खेले हैं. नेशनल टूर्नामेंट खेलने के दौरान मुझे रैफरी बनने का भी ऑफर आया. 2013 के समय भारत में फुटबॉल ज्यादा पॉपुलर नहीं था और भारत की रैंकिंग भी विश्व में ज्यादा अच्छी नहीं थी. मेरे कोच ने मुझे रैफरी बनने का ऑफर दिया और मैंने रैफरी बनना स्वीकार किया. 2013-14 मैं मैंने रैफरी की कोचिंग ली और 2015 के बाद से मैंने नेशनल टूर्नामेंट में रैफरी बनना शुरू किया.

आकांशा सोनी

सवाल :- यह पहली बार होगा जब छत्तीसगढ़ की बेटी नेशनल फुटबॉल टूर्नामेंट में रैफरी बनेगी ?

जवाब :- यह पहली बार है कि जब मैं इंटरनेशनल टूर्नामेंट में रैफरी के तौर पर जा रही हूं। छत्तीसगढ़ की मैं शायद पहली लड़की हूं जो अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट में रैफरी करूंगी। यह टूर्नामेंट 1 नवंबर से 11 नवंबर तक बांग्लादेश में ऑर्गेनाइज होगा जिसमें साउथ एशियन टीमें हिस्सा लेंगी।


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