रायपुर: छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में ज्यादातर आदिवासियों और जंगलों के आस पास रहने वाले लोग गर्मियों के दिनों में अपनी आजीविका चलाने के लिए महुआ इकट्ठा करने जाते हैं. वहीं तपती गर्मियों के दौरान जंगलों की ओर जाकर महुआ इकठ्ठा करते हैं और उसे बेचते है. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने 17 रुपए प्रति किलो के भाव से महुआ खरीदी करने का निर्णय लिया है. सरकार के इस फैसले को पूर्व मुख्यमंत्री और जेसीसी (जे) सुप्रीमो अजीत जोगी ने घोर अपराध बताया है.
सरकार जनता के साथ कर रही है अन्याय :अजीत जोगी - corona virus news
अजीत जोगी ने कहा कि, सरकार ने महुआ का भाव तय किया है जो घोर अन्याय हैं. प्रदेश में सरकार ने 17 रुपए प्रति किलो महुआ का भाव तय किया है, जबकि मध्यप्रदेश में इसका भाव 35 रुपए प्रति किलो है.
अजीत जोगी ने कहा कि, सरकार ने महुआ का भाव तय किया है जो घोर अन्याय हैं. प्रदेश में सरकार ने 17 रुपए प्रति किलो महुआ का भाव तय किया है, जबकि मध्यप्रदेश में इसका भाव 35 रुपए प्रति किलो है. अगर बाजारों के लिए उसे खुला छोड़ दिया जाए तो 40 रुपए से कम में नहीं बिकेगा. छत्तीसगढ़ प्रदेश में महुआ की इकोनॉमी करीब एक हजार करोड़ रुपए की है. बस्तर से सरगुजा तक हर जगह आदिवासी और अन्य जाति के लोग तपती धूप में महुआ बिनते हैं और बेचते हैं. राज्य सरकार आदिवासियों का और जंगल के आसपास रहने वाले अन्य जाति के लोगों का बहुत बड़ा नुकसान कर ही है.
'यह फैसला असहनीय है'
17 रुपए किलो का भाव देना किसी भी तरह से जस्टिफाई नहीं किया जा सकता. यह महुआ के मूल्य से आधे से भी कम है. अजित जोगी ने कहा कि, 'सरकार से बार-बार निवेदन कर रहा हूं कि मध्य प्रदेश की सरकार जितना मूल्य दें, उतना समर्थन मूल्य दें'. वहीं व्यापारी को खुला छोड़ेंगे तो 35-40 रुपए से कम में नहीं खरीदेगा.