रायपुर :छत्तीसगढ़ के कर्मचारी संगठन मांगों को लेकर लगातार हड़ताल पर जा रहे हैं. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है. वैसे-वैसे आंदोलन तेज होता जा रहा है. वहीं आंदोलन को दबाने के लिए चाहे पूर्ववर्ती सरकार हो या फिर वर्तमान सरकार , उनके द्वारा आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून यानी (Essential Services Maintenance Act) एस्मा लगाया जाता है. जिसके बाद इस हड़ताल को तोड़ने की कोशिश की जाती है.ऐसे में सवाल उठता है कि एस्मा क्या है. किन परिस्थितियों में लगाया जाता है, एस्मा लगाए जाने के बाद कर्मचारियों के पास क्या अधिकार है, क्या वे इसके खिलाफ न्यायालय में जा सकते हैं या नहीं , किस तरह का सजा का प्रावधान है.इन सभी सवालों के जवाब ईटीवी भारत ने जानने की कोशिश की है. ईटीवी भारत की टीम ने चीफ लीगल एंड डिफेंस काउंसिल आशीष कुमार श्रीवास्तव से एस्मा को लेकर जानकारी ली.
Raipur News: एस्मा लागू होने के बाद कर्मचारियों के पास क्या है रास्ता ? - एस्मा लागू होने के बाद
छत्तीसगढ़ में हड़ताल कर रहे कर्मचारियों पर सरकार ने एस्मा लागू किया है. ये जानना बेहद जरुरी है,कि एस्मा का क्या प्रावधान है.इसके लागू होने के बाद कर्मचारियों पर कितना असर इसका पड़ सकता है. Essential Services Maintenance Act
सवाल : आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) क्या होता है ?
जवाब : आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) आवश्यक सेवाओं से संबंधित होता है. इसका संबंध राज्य सरकार और लोक सेवक से होता है. इसके तहत अति आवश्यक सेवाओं में किसी तरह का व्यवधान रोक उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. इसके तहत हड़ताल कर काम को प्रभावित करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ सरकार साधारण या विशेष एस्मा लागू कर सकती है. जिसके तहत हड़ताल पर गए कर्मचारियों को वापस काम पर लाने की कोशिश की जाती है.कर्मचारियों को हड़ताल के लिए उकसाने का काम भी जिनके द्वारा किया जाता उन पर भी कार्रवाई का प्रावधान है. जो हड़ताल में भाग लेते हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाती है, इसके अलावा उन लोगों पर भी कार्रवाई की जाती है जो हड़ताल आंदोलन प्रदर्शन के लिए सहयोग करते है या राशि मुहैया कराते हैं.
सवाल : एस्मा क्या समूह पर लगाया जाता है ,या फिर दो चार लोगों के खिलाफ भी एस्मा की कार्रवाई की जा सकती है?
जवाब : इसमें तीनों प्रकार के लोग शामिल हैं ,जो कर्मचारी हड़ताल पर हैं ,जो कर्मचारी को हड़ताल के लिए उकसा रहे हैं, और जो इन्हें फंडिंग कर या किसी भी रूप में मदद कर रहे हैं, इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
सवाल : यदि एस्मा लगाया जाता है तो उस दौरान क्या कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा सकता है या फिर उनके खिलाफ किसी अन्य तरह की कार्रवाई की जा सकती है ?
जवाब : एस्मा के जरिए अति आवश्यक सेवाओं को प्रभावित करने वालों को राज्य सरकार दंडित करने का प्रयास करती है, और जब भी ऐसा होता है तो कानून के तहत जो उनके अधिकार है उसे प्राप्त करने के लिए वह न्यायालय की शरण में जा सकते हैं
सवाल: एस्मा लगाए जाने के बाद क्या कर्मचारी या संबंधित व्यक्ति न्यायालय की शरण में जा सकता है, या नही ?
जवाब : एस्मा एक्ट में जो प्रावधान नहीं है उसमें वे संवैधानिक अधिकार के लिए उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय में जाकर हड़ताली कर्मचारी अपनी बात रख सकते हैं, ऐसा नहीं है कि न्यायालय जाने का उनका अधिकार नहीं है , लेकिन अति आवश्यक सेवाओं को बाधित करने पर राज्य सरकार कर्मचारियों के हड़ताल को तोड़ने ओर सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए निर्णय लेती है, वह लोकहित में होता है।
सवाल : अति आवश्यक सेवाओं के तहत स्वास्थ्य, सुरक्षा सहित कुछ अन्य विभाग आते हैं. लेकिन कई ऐसे विभाग हैं. जो अति आवश्यक सेवाओं के अंतर्गत नहीं आते, क्या उन संस्थाओं के हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ भी सरकार एस्मा लगा सकती है?
जवाब : अति आवश्यक सेवाएं जो लोकहित या लोक सेवाओं से संबंधित हैं. राज्य का कर्तव्य होता है कि हर व्यक्ति के पक्ष में राज्य और लोकहित से संबंधित जो सेवाएं हैं उसे निरंतर रूप से दिया जाए, लेकिन जब यह चीजें कर्मचारियों के द्वारा हड़ताल किए जाने पर बाधित होती है.तो ऐसे कर्मचारियों को भी लोकहित को ध्यान रखते हुए लोकहित से संबंधित सेवाओं को पूर्णत प्रतिबंधित नहीं करना.जब ऐसी परिस्थितियां निर्मित होती है. तभी मजबूरी में सरकार साधारण या विशेष एस्मा लगाने का फैसला लेती है.
सवाल : एस्मा लागू होने के बाद क्या कर्मचारी आगे कहीं अपील कर सकता है या नहीं?
जवाब :ऐसा नहीं है यदि उन्हें एस्मा के अंतर्गत सेवा से अलग कर दिया जाता है. या फिर सर्विस से हटाया जाता है. उनके पास संवैधानिक अधिकार है. यदि उन संवैधानिक अधिकारों के तहत न्यायालय के द्वारा यदि कर्मचारी के पक्ष में कोई निर्णय दिया जाता है. तो उसे राज्य सरकार मानती है।
सवाल :एस्मा का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ किस तरह सजा का प्रावधान है ?
जवाब :अति आवश्यक सेवाओं से संबंधित यदि कोई कर्मचारी हड़ताल में भाग ले रहा है, उस व्यक्ति के विरुद्ध 6 माह का कारावास और 1000 रुपये जुर्माने तक का प्रावधान है. जो व्यक्ति इन कर्मचारियों को उकसाने का काम कर रहा है. उस व्यक्ति के खिलाफ 1 वर्ष की सजा और 2000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है. जो व्यक्ति इस हड़ताल को समर्थन दे रहा है सहयोग कर रहा है पैसे मुहैया करा रहा है. उसके खिलाफ 1 वर्ष की सजा और 2000 रुपए का जुर्माना का प्रावधान है.