रायपुर: कोरोना संकट को दौर में उद्योग-व्यापार के साथ लगभग सभी काम प्रभावित रहा है, हालांकि अनलॉक के बाद कई सेक्टर को खोल दिया गया है. इन सबके बीच एक सेक्टर ऐसा है जो अबतक कोरोना का कहर झेल रहा है और इसके खुलने का आगे भी फिलहाल कोई आसार नहीं दिख रहा है. हालांकि अब इसके कुछ विकल्प निकाले जा रहे हैं. ये शिक्षा का क्षेत्र है और इसका विकल्प ऑनलाइन क्लास के रूप में देखा जा रहा है.
ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पहले सरकार ने पहल की और बच्चों की पढ़ाई के लिए कई विकल्प लाए गए. जो शहरी क्षेत्रों में तो कुछ हद तक कामयाब रहा, लेकिन ग्रामीण अंचलों में लगभग फेल हो गया है. दरअसल, ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों को मोबाइल और नेटवर्क के साथ मोबाइल डेटा की जरूरत है, जो ग्रामीण अंचल के बच्चों के पास लगभग नहीं के बराबर उपलब्ध है. कुछ बच्चों के पास उपलब्ध है भी तो नेटवर्क नहीं मिलना उनके सामने बड़ी समस्या बनकर उभरी है. इसे देखते हुए अब स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा नई पहल की गई है, जिसमें बच्चों को लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाया जाएगा. इसे कुछ ग्रामीण अंचलों में लिए शुरू भी कर दिया गया है.
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कितने स्कूलों में लाउडस्पीकर से हो रही है पढ़ाई
रायपुर जिले के 357 स्कूलों में लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई हो रही है. इसमें अभनपुर के 147, आरंग के 105, धरसींवा ग्रामीण के 82, धरसींवा शहरी के 13 और तिल्दा के 10 स्कूलों में लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई हो रही है. इन 357 स्कूलों में लगभग 25 हजार बच्चों को लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है.
क्या हैं फायदे ?
शिक्षा विभाग कहता है, लाउडस्पीकर से जब बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, तो ऐसे में बच्चों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन आसानी से करवाया जा सकता है, क्योंकि लाउडस्पीकर से आवाज तेज होती है. ऐसे में बच्चे यदि दूर भी बैठे होंगे तब भी उन्हें सुनाई देगा. ऐसे में 2 गज की दूरी को आसानी से मेंटेन किया जा सकता है.