SPECIAL REPORT :फर्जी जाति प्रमाण पत्र वाले 267 अफसरों-कर्मचारियों की कुंडली तैयार, कार्रवाई की लटकी तलवार - dismiss all government servants holding fake or false caste certificates
छत्तीसगढ़ में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी करने वाले 267 कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटकी है. सीएम भूपेश बघेल ने ऐसे फर्जी जाति प्रमाणपत्र धारी सरकारी सेवकों को सेवा से बर्खास्त करने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.
फर्जी जाति प्रमाण पत्र
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Published : Nov 15, 2020, 4:22 PM IST
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Updated : Nov 15, 2020, 7:47 PM IST
रायपुर:छत्तीसगढ़ बनने के बाद से ही लगातार फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी पाने की शिकायतें आती रही हैं. सर्व आदिवासी समाज ने सरकार से लगातार मांग की है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए लोग सरकारी नौकरियों में जमे हुए हैं और इस पर कार्रवाई नहीं की जा रही है.
आदिवासियों का हक मार रहे फर्जी आदिवासी
इसे लेकर सर्व आदिवासी समाज ने सरकार को बकायदा ऐसे अधिकारियों की कुंडली भी सौंपी थी. इसके बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए काम कर रहे शासकीय सेवकों पर कार्रवाई का मूड बना लिया है.
फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में जोगी परिवार पर कसा शिकंजा !
छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए मरवाही उपचुनाव के दौरान अमित जोगी और ऋचा जोगी का जाति प्रमाण पत्र रद्द किया गया था. जिसके बाद उनका नामांकन फॉर्म भी निरस्त हुआ. इस मामले के बाद प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे सरकारी नौकरी कर रहे लोगों पर कार्रवाई की मांग तेज हो गई है. सर्व आदिवासी समाज ने इसके बाद लगातार सरकार पर दबाव भी बनाया है. ETV भारत से चर्चा करते हुए सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक और पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने भी विशेष इंटरव्यू में फर्जी आदिवासियों पर कार्रवाई की मांग की थी.
वर्षों से आदिवासी अपने अधिकार से वंचित
सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक बीपीएस नेताम ने बताया कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद भी आदिवासी समाज लगातार छला जा रहा है. इतने सालों में आदिवासी समाज के साथ संघर्ष होता रहा है. फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर असली आदिवासियों का हक मारा जा रहा है. वह अब अपने अधिकारों से वंचित हो गए हैं. जो लोग फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी में आ गए हैं उनको अधिकारियों की ओर से ही लगातार संरक्षण मिलता है. जीएडी की ओर से सख्ती के बाद अब ऐसे लोग डर तो रहे हैं. लेकिन बाद में वह कोर्ट से स्टे लाकर काम पर बने हुए हैं.
सीएम ने दिए कार्रवाई के निर्देश
छत्तीसगढ़ शासन ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर कार्यरत शासकीय कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त करने की तैयारी की है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसे फर्जी जाति प्रमाण पत्रधारी शासकीय सेवकों को जिन्हें न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त नहीं है, उन्हें सेवा से तत्काल बर्खास्त करने के भी निर्देश दे दिए हैं. साथ ही स्थगन आदेश प्राप्त सभी प्रकरणों में महाधिवक्ता छत्तीसगढ़ के माध्यम से जल्द सुनवाई करने के लिए उच्च न्यायालय से भी अनुरोध करने की तैयारी की जा रही है.
कई अहम पदों पर बैठे फर्जी आदिवासी !
सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति रायपुर को वर्ष 2000 यानी छत्तीसगढ़ के निर्माण से लेकर 2020 तक फर्जी जाति प्रमाण पत्र के कुल 926 प्रकरण प्राप्त हुए थे, जिनमें से 659 प्रकरणों का निराकरण किया गया है. वहीं शेष 267 प्रकरणों में जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं, जिनको संबंधित विभागों को कार्रवाई के लिए भेजा गया है. सामान्य प्रशासन विभाग के सूत्रों के मुताबिक इनमें से अधिकांश प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और स्थगन आदेश प्राप्त है. जो गलत पाए गए हैं इन प्रकरणों में उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्ति के बाद कई अधिकारी- कर्मचारी अभी भी महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं.
आदिवासी युवाओं के हक के लिए लंबी लड़ाई
सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कुमार नागवंशी कहते हैं कि सर्व आदिवासी समाज समय-समय पर प्रशासन को फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में कार्रवाई को लेकर शिकायत करता आया है. यहां 20 सालों से चाहे भाजपा की सरकार हो या कांग्रेस की सरकार हो. जाति प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़ा कर ऐसे कर्मचारी,अधिकारी आदिवासियों का हक मारकर सरकारी पदों पर काम कर रहे हैं. उन्हें बड़े पदों पर बैठे बड़े लोग बचाते रहे हैं. सर्व आदिवासी समाज ने हाल ही में 250 फर्जी प्रमाण पत्र धारकों की सूची सीएम भूपेश बघेल को सौंपी है. उन्होंने बताया कि आदिवासियों के हक ना मिलने से आदिवासी युवा परेशान हैं. समाज चिंतित है. आदिवासियों को संवैधानिक तरीके से आरक्षण का जो अधिकार मिला है उसका भी हनन छत्तीसगढ़ में किया जा रहा है.
क्या मिल पाएगा आदिवासियों को उनका हक?
छत्तीसगढ़ में राज्य बनने के बाद से ही लगातार आदिवासियों के अधिकारों को लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियां भले ही बयानबाजी करती रही हैं, लेकिन आदिवासियों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. यही वजह है कि सर्व आदिवासी समाज की ओर से लगातार सरकार की ओर से भी ऐसे फर्जी आदिवासियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई थी. अब प्रदेश सरकार ने सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से ऐसे तमाम अधिकारी कर्मचारियों की कुंडली बनाकर कार्रवाई करने के लिए लिखा है, जिसमें जांच पड़ताल के बाद कार्रवाई की जा सकती है. देखने वाली बात यह है कि लंबे समय से जो लोग आदिवासियों के अधिकारों का हनन करके मलाईदार पदों पर जमे हुए हैं उनसे क्या इतने सालों की रिकवरी हो पाएगी.
किस विभाग में कितने फर्जी अफसर जमे
स्कूल शिक्षा विभाग
44
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग
15
सामान्य प्रशासन विभाग
14
कृषि विभाग
14
ग्रामोद्योग विभाग
12
जल संसाधन विभाग
14
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग