रायपुर:प्राचीन समय से ही ऋषि मुनि वास्तु के सिद्धांतों को जानने, समझने और पालन करने वाले रहे (According to Vastu east direction is kept empty) हैं. ऋषिगण पूर्णता वैज्ञानिक तार्किक और अनुभव सिद्ध प्रयोगों के द्वारा हमारे जीवन शैली को निर्धारित करते रहे हैं. ऋषि-मुनियों ने ही या प्रतिपादित किया कि पूर्व दिशा को मकान बनाते समय पूर्णता खाली रखना है. इस दिशा को जब हम खाली रखते हैं. तो सूर्य का प्रकाश वेंटीलेशन सूर्य की ऊर्जा ऊष्मा और तेज रहने वाले सदस्यों को पर्याप्त मात्रा में मिलता है.
पूर्व दिशा में सूर्य की उपस्थिति के कारण नकारात्मक जीवाणु का खात्मा:ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि सूर्य की उपस्थिति के कारण छोटे-मोटे कीट पतंगे नकारात्मक जीवाणु वातावरण से स्वाभाविक रूप से नष्ट हो जाते हैं. जिससे हम आरोग्य को प्राप्त होते हैं. पूर्व का हिस्सा खाली रहने पर यह मैदान बागवानी व्यायाम योग प्राणायाम करने के लिए उपयुक्त हो जाता है. सूर्य की उपस्थिति में योग प्राणायाम वर्जिश व सामान्य कसरत करने पर सूर्य की ऊर्जा अनेक विटामिन जैसे विटामिन B12 विटामिन बी सिक्स विटामिन डी और अनेक पोषक तत्व शरीर को प्राप्त होते रहते हैं, जिससे शरीर मजबूत बनता है.
पूर्वाभिमुख होकर सूर्य को जल देने से अनंत शक्तियां विकसित होती है:पूर्व दिशा को खाली रखने पर सूर्य को जल देने की भी क्रिया अच्छी तरह से संपन्न हो पाती है. सूर्य को अर्घ्य देने का विधान लाखों सालों से है. विभिन्न मंत्रों के माध्यम से जब पूर्वाभिमुख होकर जल देते हैं. तो सूर्य की अनंत शक्तियां हममें विकसित हो जाती है. पूर्व दिशा के खाली रखने पर ही जल के स्रोत जैसे बोर अंडर ग्राउंड टंकी कमल के फूल के लिए टंकी जलप्रपात छोटे झरने का विकास संभव हो पाता है.
दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में रसोई कक्ष का स्थान होना चाहिए:इसी तरह दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में पाकशाला को रखने का विधान है. सुबह 10 बजे के बाद सूर्य की किरणें आग्नेय कोण में स्पष्ट रूप से पड़ती है. आग्नेय कोण में रसोई कक्ष का स्थान माना गया है. इस क्षेत्र में माताएं बहने सुबह से उठकर कार्य करती है. उन्हें भी सूर्य का तेज बल शक्ति उर्जा और ऊष्मा क्षेत्र में लगातार मिलती रहती है, जिससे उनका शरीर पुष्ट और विकसित होते रहता है.