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अलविदा 2019: छत्तीसगढ़ के वो 'सितारे', जो छोड़ गए हमें यादों के सहारे

इस साल ने हमसे 6 बड़े कलाकार छीन लिए हैं. प्रदेश के 'चार्ली चैप्लीन' कहे जाने वाले नत्थू दादा, जिन्हें याद करके सीएम भूपेश बघेल भी भावुक हो गए वो मिथिलेश साहू, सूरज तिवारी, आशीष चंद्र, देवीलाल नाग और अमरदास जैसे कला के पुजारियों को 2019 हमसे दूर ले गया.

छत्तीसगढ़ के सितारे
छत्तीसगढ़ के सितारे

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Published : Dec 30, 2019, 4:11 PM IST

Updated : Dec 31, 2019, 11:05 PM IST

रायपुर: 2019 बस खत्म होने वाला है कई खट्टी-मीठी यादें अपने साथ बटोरे ये साल छत्तीसगढ़ के कलाकारों के लिए भी कई मायने में खास रहा. एक तरफ जहां कई कलाकार हमें यादों के सहारे छोड़कर चले गए, वहीं कुछ फिल्में ऐसी भी आईं जिन्हें मल्टीप्लेक्स में जगह मिली.

अलविदा 2019

इस साल ने हमसे 6 बड़े कलाकार छीन लिए हैं. प्रदेश के 'चार्ली चैप्लीन' कहे जाने वाले नत्थू दादा, जिन्हें याद करके सीएम भूपेश बघेल भी भावुक हो गए वो मिथिलेश साहू, सूरज तिवारी, आशीष चंद्र, देवीलाल नाग और अमरदास जैसे कला के पुजारियों को 2019 हमसे दूर ले गया.

नत्थू दादा को नमन
सबसे पहले याद करते हैं नत्थू दादा को. 150 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके नत्थू दादा ने 70 साल की उम्र में राजनांदगांव के पास अपने गांव रामपुर में अंतिम सांस ली. उनकी हाइट लगभग 2 फुट थी. वे कई महीनों से बीमार थे. गरीबी और पैसों के अभाव में नत्थू दादा इलाज कराने में असहाय थे. सिस्टम ने ध्यान नहीं दिया और ये कलाकार हमसे बहुत दूर चला गया, बेहतरीन अभिनय सजी फिल्में छोड़कर.

याद आएंगे मिथलेश साहू
छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध गायक मिथलेश साहू का निधन भी इसी वर्ष हुआ. रायपुर के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. मिथलेश साहू लंबे समय से बीमार चल रहे थे. रायपुर में इलाज के दौरान उन्होंने हमें सदा के लिए विदा कह दिया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनका जाना अपनी व्यक्तिगत क्षति बताई. सीएम उन्हें याद कर रो भी पड़े थे. मिथलेश साहू गरियाबंद जिले के बारूका गांव के रहने वाले थे. छत्तीसगढ़िया के बीच अपनी मधुर आवाज से छत्तीसगढ़ी गीतों के जरिए उन्होंने अलग पहचान बना रखी थी.

सूरज तिवारी का जाना और पूनम तिवारी का हमें रुला जाना
छत्तीसगढ़ के युवा कलाकार सूरज तिवारी की मौत हृदय रोग की वजह से हो गई. उनके अंतिम क्षणों में उनकी मां पूनम तिवारी ने उन्हें छत्तीसगढ़ का लोक गीत 'चोला माटी के राम' गाकर नम आंखों से विदाई दी. सूरज तिवारी अपने माता-पिता की राह पर चलते हुए लोक कला को अपनाया था. गायन और वादन के साथ-साथ अभिनय में भी पारंगत थे. राजनांदगांव में रंग छत्तीसगढ़ के नाम से संस्कृति संस्था चलाने वाले सूरज ने इस साल इस दुनिया से विदा ले ली.

यादों में आशीष शेन्द्र
छत्तीसगढ़ के जाने-माने कलाकार आशीष से भी इस साल हमारा साथ छोड़कर चले गए. वे लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. पहली बार उन्होंने छत्तीसगढ़ की जाने-माने फिल्म 'मोर छैया भुइयां' में काम किया था.

देवी लाल नाग भी छोड़कर गए
कन्हरपुरी निवासी लोक संगीतकार और चरित्र अभिनेता देवीलाल नाग का देहावसान भी इस वर्ष हुआ. उनके निधन की खबर से लोक कला की जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी. नाग हारमोनियम के मास्टर होने के साथ ही साथ अभिनय भी किया करते थे.14 वर्ष की उम्र से ही महिला की भूमिका में लोक कला और संगीत के क्षेत्र में कला यात्रा की शुरुआत कर चुके थे. दाऊ मंदाराजी की हवेली नाच पार्टी में रहते हुए नाग ने हारमोनियम बजाना सीखा और इसमें पारंगत हो गए.

अमरदास मानिकपुरी का निधन हुआ
बॉलीवुड की सिने कलाकार आमिर खान की फिल्म पीपली लाइव के चोला माटी के हे राम गीत में मांदर की थाप देने वाले अमर दास मानिकपुरी भी इस साल हमारा साथ छोड़ गए. लंबे वक्त से बीमार चल रहे अमरदास मानिकपुरी ने 75 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. अमरदास छत्तीसगढ़ के वो कलाकार हैं, जिन्होंने हबीब तनवीर के साथ काम किया.

Last Updated : Dec 31, 2019, 11:05 PM IST

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