रायपुर: डिजिटल इंडिया के तहत आज देश में सभी क्षेत्रों को डिजिटल करने का प्रसास किया जा रहा है. हर क्षेत्र को हाईटेक बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है. इसी के तहत राज्य अब एजुकेशन की ओर आगे बढ़ा जा रहा है. अगर बात की जाए छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों की तो, सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी में भी डिजिटल एजुकेशन की ओर जोर दिया जा रहा है. प्रदेश के स्टूडेंट्स को कंप्यूटर और प्रोजेक्टर के जरिए पढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.
हाईटेक एजुकेशन के क्षेत्र में अगर राजधानी रायपुर की बात की जाए तो जिले में लगभग 200 के आसपास सरकारी स्कूलों में डिजिटल तरीके से पढ़ाई संचालित हो रही है, जिसमें हायर सेकेंडरी और सेकेंडरी स्कूलों में बच्चों की अधिकतर क्लासेस प्रोजेक्टर और कंप्यूटर के माध्यम से ली जा रही है.
कोरोना काल में 'पढ़ाई तुंहर द्वार' का सहारा
मौजूदा स्थिति में स्कूल कोरोना वायरस की वजह से पिछले सात महीनों से बंद हैं, जिससे शिक्षा पर खासा असर हुआ है, लेकिन ऐसे हालातों में पढ़ाई जारी रखने के लिए 'पढ़ाई तुंहर द्वार' के तहत सभी बच्चों की ऑनलाइन क्लास ली जा रही है. 'पढ़ाई तुंहर द्वार' योजना के तहत प्रदेश में लगभग 22 लाख बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है, जिन्हें करीब डेढ़ लाख शिक्षक उनसे ऑनलाइन जुड़कर पढ़ा रहे हैं. इसमें जिले के 90 प्रतिशत शिक्षक और छात्र ऑनलाइन क्लास के लिए रजिस्टर है. रायपुर जिले के पहली से बारहवीं कक्षा तक के लगभग 3 लाख छात्रों ने ऑनलाइन क्लास के लिए रजिस्टर किया है.
21 लाख से अधिक छात्रों ने कराया पंजीयन
ऑनलाइन कक्षाओं के लिए पूरे प्रदेश से 21 लाख 16 हजार से अधिक छात्र और 2 लाख से ज्यादा टीचर्स ने खुद का पंजीयन करवाया है. शुरुआती 50 दिनों में करीब 1 लाख 15 हजार से ज्यादा छात्र इस दौरान ऑनलाइन जुड़े. 9वीं से 12वीं तक रोजाना विद्यार्थियों का औसत करीब 3000 रहा. इस बीच हर दिन 4 क्लास हो रही है. इसका शेड्यूल एक हफ्ते पहले जारी हो जाता है. हर क्लास में करीब 650 बच्चे पढ़ रहे हैं. राज्य स्तर पर केवल 9वीं से 12वीं तक की क्लासेस हो रही है. इनमें 10वीं और 12वीं के छात्रों का आज तक सबसे ज्यादा 10वीं में हिंदी और गणित की क्लास में बच्चों ने ज्यादा रुचि दिखाई है.