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केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर 12 आईएएस अफसर, प्रदेश में bureaucrat का टोटा - lack of bureaucrat in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ कैडर के 12 आईएएस इन दिनों केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं. जिससे छत्तीसगढ़ में सीनियर अफसरों का टोटा हो गया है. आईये जानते हैं रिटायर्ड आईएसस अफसर बीकेएस रे से इस बारे में...

12 IAS officers on deputation to center Government
रिटायर्ड आईएसस अफसर बीकेएस रे

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Published : Sep 14, 2021, 9:56 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ कैडर के 12 आईएएस इन दिनों केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं. छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से यह पहला अवसर है, जब इतनी बड़ी संख्या में सीनियर आईएएस डेपुटेशन (Senior IAS Deputation) पर हैं. इससे पहले 10 से ज्यादा आईएएस कभी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर नहीं रहे. 12 सीनियर आईएएस अफसरों के केंद्र में डेपुटेशन (Deputation) पर जाने से, छत्तीसगढ़ में सीनियर अफसरों का टोटा हो गया है. खासकर प्रमुख सचिव और सचिव पदों के लिए आईएएस अफसर कम हो गए हैं. जिसका सीधा असर कामकाज पर पड़ सकता है.

रिटायर्ड आईएसस अफसर बीकेएस रे

पहली बार सचिव पद पर सुब्रमण्यम को मिला जिम्मा

छत्तीसगढ़ कैडर के किसी आईएएस को पहली बार केंद्र में सचिव पद का जिम्मा मिला है. उनका नाम है बीवीआर सुब्रमण्यम (BVR Subramaniam). सुब्रमण्यम 1987 बैच के ऑफिसर हैं. भाजपा शासनकाल में 2-3 वर्षों तक एसीएस होम के पद पर पदस्थ रहे. बाद में केंद्र सरकार ने उन्हें महत्वपूर्ण जवाबदारी देते हुए जम्मू कश्मीर के राज्यपाल (Governor of Jammu and Kashmir) ओएसडी बना दिया गया था. उसके बाद वहां के मुख्य सचिव पर रहते हुए उन्होंने सेवाएं दी. कुछ महीने पहले केंद्र में सचिव पद की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है. फिलहाल वह वर्तमान में वाणिज्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग के सचिव के पद पर पदस्थ हैं.

छत्तीसगढ़ कैडर के अधिकारी कई महत्वपूर्ण विभागों में पदस्थ

प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ 4 आईएएस वर्तमान में अतिरिक्त सचिव के पद पर हैं. 1993 और 94 बैच के इन अफसरों के पास 4 महत्वपूर्ण विभाग हैं. इनमें 93 बैच के अमित अग्रवाल वित्त सेवाएं, 94 बैच की ऋचा शर्मा वन पर्यावरण, निधि छिब्बर उद्योग और विकासशील स्वास्थ्य मंत्रालय में पदस्थ हैं.

रायपुर में कलेक्टर रहे डॉक्टर रोहित यादव वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव (Joint Secretary in the Prime Minister Office) का जिम्मा देख रहे हैं. सुबोध सिंह खाद्य और हाल ही में गए सोनमणि बोरा, भू संसाधन विभाग (land resources department) में पदस्थ हैं. वहीं ऋतु सेन स्कूल शिक्षा और अमित कटारिया शहरी विकास मंत्रालय में उप सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. रजत कुमार और संगीता पी भी प्रतिनियुक्ति पर हैं.

बड़ी संख्या में सीनियर अफसरों के जाने से राज्य पर पड़ेगा असर

रिटायर्ड आईएएस अफसर बीकेएस रे (Retired ISS officer BKS Ray) ने बताया कि बड़े स्तर पर काफी सीनियर अफसर केंद्र के प्रतिनियुक्ति पर गए हैं. मैं उन सभी को जानता हूं. प्रतिनियुक्ति पर जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. पहले यह होता है कि केंद्र शासन प्रतिनियुक्ति के लिए एक छानबीन समिति बनाता है, जो उपर्युक्त पाया जाता है. उनको चयन करते हैं. यह अफसर सचिव स्तर या अपर सचिव स्तर पर चयनित किया जाता है. यदि केंद्र शासन उसे चयनित कर लेता है. उसके बाद राज्य शासन को रिक्वेस्ट करता है. क्या हमारे यहां प्रतिनियुक्ति पर आएंगे. आप क्या उन्हें छोड़ सकते हैं, तब राज्य शासन अधिकांश हां कह देते हैं.

कभी- कभी विशेष परिस्थिति में मना भी कर देता है. अभी जो स्थिति बनी है मेरी राय में तो यह थोड़ा गंभीर प्रतीत होता है. इतने सारे अफसर यदि केंद्र शासन पर प्रतिनियुक्त पर जाएंगे तो राज्य पर इसका असर निश्चित रूप से पड़ेगा. क्योंकि जूनियर स्तर पर संकट नहीं है. सीनियर स्तर पर यानी सेक्रेटरी लेवल पर एक एक सेक्रेटरी पर 4-5 विभाग की जिम्मेदारी होगी. ऐसे में वह क्या क्या देख पाएगा. एक राज्य शासन स्तर पर एक दो विभाग हो जाए तो ठीक है, लेकिन 3,4,5 विभाग की जिम्मेदारी मिलने पर उसका असर बहुत अच्छा नहीं होगा. इस स्थिति को सुधार की आवश्यकता है.

एक अफसर 5 विभाग नहीं देख सकता

रिटायर्ड आईएसस अफसर बीकेएस रे (Retired ISS officer BKS Ray) बताते हैं कि जो खाली पड़े पद है, उसे शासन को पूर्ति करने की आवश्यकता है. कभी-कभी एक अधिकारी के पास एक विभाग होता है, लेकिन अब यहां एक के पास पांच है, यह जो विसंगति है, उसे दूर करने की जरूरत है. एक अधिकारी 5 विभाग नहीं देख सकता है क्योंकि यह बहुत ही मुश्किल काम है. उन्हें मंत्रियों के साथ मुलाकात करनी होती है, टिका टिप्पणी करना पड़ता है. फाइलों का अध्ययन करना होता है. हमारी राय में प्रतिनियुक्ति पर जाना एक प्रक्रिया है, वह चलता रहेगा. लेकिन प्रतिनियुक्ति के समय राज्य शासन प्रतिनियुक्ति के लिए उनको मुक्त कर देता है. उसके पहले शासन को देखना पड़ेगा कि उसका असर क्या पड़ेगा. शासन चाहे तो नहीं भी कर सकता है.

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