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Jalandhar का बेमिसाल Bhavya: 10 साल की उम्र में चित्रकारी के नए कीर्तिमान रचे

Little Artist Of Jalandhar: जालंधर के 10 साल के बेमिसाल भव्य (Bhavya) अपनी चित्रकारी के दम पर काफी फेमस हो गए हैं. कोरोना काल में लॉकडाउन में उन्होंने समय पर सदुपयोग किया और दर्जनों चित्र बना दिए. आज भव्य अपने हुनर से पंजाब ही नहीं पूरे देश में जाने जाते हैं.

Little Artist Of Jalandhar
Jalandhar का बेमिसाल Bhavya

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Published : Nov 14, 2021, 9:09 AM IST

जालंधर/रायपुर: चित्रकारी किसी का शौक होता तो किसी का पेशा, तो किसी का जुनून. लेकिन सुंदर चित्र हर किसी के मन को भा जाते हैं. जालंधर के भव्य (Bhavya) भी मन को मोह लेने वाले चित्र बनाते हैं. 5वीं कक्षा के छात्र बेमिसाल भव्य ने कोरोना लॉकडाउन में घर बैठकर इतने सुंदर चित्र बनाए, कि लोग देखते ही रह गए. अपने चित्रकारी से भव्य अब काफी फेमस हो गए हैं.

Jalandhar का बेमिसाल Bhavya

Little Artist Of Jalandhar:चित्रकारी से फेमस हुए भव्य

जालंधर के रोज गार्ड इलाके में नील बत्रा (Bhavya) रहते हैं. इनकी स्टेशनरी की दुकान है. परिवार में पत्नी वंदना, बड़ा बेटा तनीश और छोटे बेटा भव्य हैं. नील काफी सालों से यहां रहते हैं, लेकिन अब लोग उन्हें भव्य के पापा के नाम से ज्यादा जानते हैं. क्योंकि भव्य ने छोटी सी उम्र में चित्रकारी का वो हुनर दिखाया है, जिसकी चर्चा पंजाब सहित पूरे देश में हो रही है. साल के भव्य ने अपने छोटे हाथों से समाज के प्रसिद्ध लोगों के चित्र बनाए हैं. अब तो कई लोग उनसे खुद चित्र बनाने का आग्रह करते हैं.

Little Artist Of Jalandhar:6 साल की उम्र से बना रहे हैं पेंटिंग

भव्य बताते हैं कि उन्होंने 6 साल की उम्र में पेंटिग (Bhavya) बनाना शुरु किया था. अब तक वो कई महान शख्सियतों के चित्र बनाकर उन्हें भेंट कर चुके हैं. उन्होंने भगत सिंह, राजगुरु, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जैसी हस्तियों की पेंटिंग बनाई है.

Little Artist Of Jalandhar:माता पिता को भव्य पर गर्व

भव्य के पिता नील बत्रा का कहना है कि उनके बेटे की कला ने उन्हें पूरे इलाके (Bhavya) में मशहूर कर दिया है . आज वे खुद भव्य बत्रा के माता-पिता के नाम से जाने जाते हैं. आज इलाके के कई बच्चे उनसे यह हुनर ​​सीखना चाहते हैं. नील बत्रा को अपने बेटे भव्य पर गर्व है.

Little Artist Of Jalandhar:भव्य का संदेश

जिस उम्र में छोटे बच्चे अपने माता-पिता से परियों की कहानियां सुनते हैं, उस(Bhavya) उम्र में भव्य दूसरे बच्चों को इंस्पायर कर रहे हैं. भव्य चाहते हैं कि दूसरे बच्चे भी समय का सदुपयोग करके कुछ कर दिखाएं, जिससे देश को उन पर गर्व हो.

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