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SPECIAL: रामनामी समाज, जिसने सबकुछ कर दिया राम के नाम

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Published : Jan 25, 2021, 2:23 PM IST

Updated : Jan 25, 2021, 5:25 PM IST

रामनामी समाज के लोगों ने अपने पूरे शरीर राम का नाम गुदवा रखा है. वे कपड़े भी राम के नाम का ही पहने हैं...आखिर ये ऐसा क्यों करते हैं ?, क्या है इनकी कहानी ? कैसी है भगवान राम के प्रति इनकी अटूट आस्था? जानिए राम भक्त रामनामी से...पढ़िये पूरी खबर...

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नंदेली गांव में रामनामी भजन मेला का आयोजन

रायगढ़:राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट. अंत समय पछताएगा, जब प्राण जाएंगे छूट. संत कबीर के ये दोहे रामनामी समाज पर फिट बैठते हैं. भगवान राम की भक्ति डूबा यह समाज के लोगों में राम के प्रति ऐसी आस्था है कि ये न सिर्फ कपड़े बल्कि अपने पूरे शरीर पर राम नाम को उकेर रखा है. शरीर का हर हिस्सा प्रभु राम को समर्पित कर दिया है. कहते हैं, रामनामी समाज के लोग भगवान राम की भक्ति में लीन रहते हैं. शरीर पर राम नाम गुदवाने की भी एक कहानी है.

जिसने सबकुछ कर दिया राम के नाम

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हर वर्ष हिंदी महीने के माघ महीने की एकादशी को अखिल भारतीय रामनामी समाज महाभजन मेला का आयोजन करता है. इस बार भी रायगढ़ के नंदेली गांव में रामनामी भजन मेला का आयोजन किया गया है. मेला में रामनामी समाज के हजारों लोग शामिल होने पहुंचे हैं. मेले में प्रदर्शनी भी लगाई गई है.

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क्यों गुदवाना पड़ा शरीर पर राम का नाम ?

रामनामी समाज के जानकार बताते हैं, आजादी से पहले 1885 के आसपास एक विशेष समुदाय के लोगों को मंदिर में जाने से रोका जाता था. अगर कभी मंदिर के भीतर चले जाते थे, तो भारी दंड भुगतना पड़ता था. ऐसे में इस समुदाय के लोगों ने भगवान राम के लिए आस्था दिखाया और अपने शरीर में पांव के नाखून से लेकर सिर तक हर जगह राम का नाम गुदवा लिया. तभी से इस समाज के लोग अपने भावी पीढ़ी में भी राम के प्रति आस्था जागृत कर रहे हैं.

महिलाएं भगवान राम के नाम करती हैं श्रृंगार

रामनामी समाज की महिलाएं भी भगवान राम को समर्पित होती हैं. ये महिलाएं अपने पति के होते हुए भी भगवान राम के नाम का श्रृंगार करती हैं. अगर इनके पति की अकाल मृत्यु हो जाती है तो ये महिलाएं अपनी बाकी के जीवन को राम को समर्पित कर देती हैं.

112 वर्षों से करते आ रहे हैं मेले का आयोजन

रामनामी समाज के लोगों ने बताया आजादी से पहले 1911 में इस भजन मेला का आयोजन किया गया था. रामनवमी मेला हर वर्ष माघ महीने के एकादशी को होता है. 3 दिनों तक चलता है. भगवान राम के नाम वाले खंबेनुमा आकृति की पूजा करते हैं. रामनामी समाज के साधकों के पास रामायण और उनके समाज के द्वारा लिखी गई किताबें रहती है. हर वर्ष भजन मेला महानदी के किसी एक छोर पर होता है. कभी नदी के इस किनारे तो कभी दूसरे किनारे पर मेला लगता है.

रामनामी हमेशा सिर पर रखते हैं मोर मुकुट

रामनामी हमेशा सिर पर मोर मुकुट रखते हैं. शरीर पर हाथ से लिखा हुआ राम के नाम का सफेद चोगा ओढ़े रहते हैं. इसके अलावा उनके परिवेश में और कुछ नहीं रहता. सफेद कपड़ा और उस कपड़े में लिखा काले रंग से राम नाम.

नदी किनारे में भजन का कारण

कई साल पहले जब भजन मेला का आयोजन नहीं होता था. तब समाज के लोग नाव के सहारे नदी पार कर रहे थे. तभी अचानक नदी का जलस्तर बढ़ गया. नाव बीच में डूबने लगा. तब उन्होंने भगवान राम को याद किया. उनसे कहा कि जान बचाने और सब को सकुशल पहुंचाने पर हर वर्ष उनके नाम से भव्य मेले का आयोजन करेंगे. इसीलिए हर साल रामनामी समाज के लोग भजन मेला का आयोजन करते हैं.

डॉक्यूमेंट्री बनाने वाले रामनामी समाज को देखकर हैरान

हैदराबाद से आए डॉक्यूमेंट्री बनाने वाले सतीश बताते हैं कि वे पिछले 3 साल से रामनामी समाज के लोगों के साथ हैं. वे इन लोगों पर फोटो डॉक्यूमेंट्री बना रहे हैं. उनके फोटो डॉक्यूमेंट्री से चुने 120 फोटो की प्रदर्शनी भी इस बार लगी है. जिसकी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तारीफ भी की है. उन्होंने बताया कि वे मूलतः छत्तीसगढ़ के बारे में ज्यादा नहीं जानते, लेकिन रामनामी समाज के लोगों के साथ मिलकर पिछले 3 साल से काम कर रहे हैं.

राम के प्रति गहरी आस्था

सतीश ने बताया कि राम के प्रति इनकी आस्था बहुत गहरी है. शरीर के हर अंग में राम का नाम लिखा है. वे अपने भावी पीढ़ी को भी आस्था से जोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने मेला तो कई देखे, लेकिन इस तरह से मेला नहीं देखा. जहां लोग आस्था के लिए जुड़ते हैं. इतनी गहरी आस्था शायद कहीं हो.

Last Updated : Jan 25, 2021, 5:25 PM IST

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