जांजगीर चांपा: मड़वा पावर प्लांट के सामने भू विस्थापित और पुलिस के साथ तनाव की स्थिति अब काबू में है. सभी अधिकारियों को पुलिस ने बाहर निकल लिया है. साथ ही मड़वा गेट के सामने की जगहों को पुलिस छावनी के रूप में तब्दील कर दिया गया है. इस घटना में 20 से अधिक पुलिस अधिकारी और जवानों को चोट आई है. वहीं भू विस्थापित भी घायल हुए हैं. पुलिस उपद्रवियों की तलाश कर रही है. मड़वा प्रबंधन के सुरक्षा अधिकारी की रिपोर्ट पर 4 उपद्रवियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है. पुलिस ने कुछ उपद्रवियों को गिरफ्तारी किया है. बिलासपुर ,रायगढ़ का पुलिस बल भी बुलाया गया है. पुलिस ने रेलवे लाइन ,प्लांट गेट और कलेक्ट्रेट की सुरक्षा बढ़ा दिया है.
मड़वा प्लांट में सामान्य हालात: पुलिस और विस्थापितों के बीच मामला शांत, छुड़ाए गए एसपी और कलेक्टर
मड़वा प्लांट में भू विस्थापितों की ओर से किए गए उपद्रव के बाद देर रात पुलिस लाइन से बल मौके पर पहुंचा और उपद्रवियों को वहां से खदेड़ा और प्लांट के गेट पर पुलिस ने कब्जा कर लिया. इस दौरान प्लांट के अंदर बंधक बने अधिकारियों को मुक्त कराया गया. वहीं उपद्रवी रात में अंधेरा का फायदा उठाकर गांव के रास्ते से फरार हो गए. जिनकी पुलिस तलाश कर रही है.
छावनी में तब्दील हुआ मड़वा पावर प्लांट उपद्रवियों की तलाश कर रही पुलिस
कलेक्टर ने बताया कि लंबे समय से चले आ रहे आंदोलन को बातचीत कर सुलझाने का प्रयास किया जा रहा था. प्लांट के मजदूरों की स्थिति खराब थी. जिन्हें इलाज के लिए ले जाना था. रास्ता नहीं मिलने पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी का छिड़काव किया गया. जिसके बाद भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया और पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की. साथ ही कार, बस को आग के हवाले कर दिया. उपद्रवियों ने शासकीय संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया है. फिलहाल पुलिस अपना काम कर रही है.
मामला अभी भी शांत भी नहीं हुआ है कि भू विस्थापित अपनी मांगों पर अब भी अड़िग है. किसी तरह अपनी जमीन के बदले नियमित नौकरी पाने की चाह पाले हुए हैं. भू-विस्थापितों ने कहा है कि अगर नौकरी नहीं तो राज्यपाल उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दे.
कैसे बिगड़े हालात?
जांजगीर चांपा के मड़वा पावर प्लांट के 400 विस्थापितों और संविदा कर्मचारी लगातार 29 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलन को समाप्त कराने के लिए जिला प्रशासन ने कंपनी प्रबंधन और आंदोलनकारियों के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग से वार्ता तय की थी. रविवार शाम 4 बजे वार्ता के लिए 10 भू-विस्थापित लोगों से प्लांट के अंदर बातचीत हुई थी. जिसके बाद पुलिस ने अन्य विस्थापितों की गिरफ्तारी शुरू कर दी. इसके बाद माहौल और तनावपूर्व हो गया. लोगों ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी. जिसके बाद तनाव खुलकर सामने आ गया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायर ब्रिगेड की मदद से पानी की बौछार की. पुलिस के इस एक्शन का रिएक्शन दिखा. लोगों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया.
पुलिसकर्मियों पर महिलाओं के साथ भी बदसलूकी के आरोप लगे हैं. ग्रामीणों के उग्र रूप के बाद एसपी और कलेक्टर रेस्ट हाउस में बंधक बनाए गए थे. इतना ही नहीं भीड़ ने प्लांट के गेट में जमकर तोड़फोड़ की और कार को आग हवाले कर दिया था. प्लांट के अंदर बंधक बने अधिकारियों को बाहर निकालने और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस लाइन से फोर्स बुलाई गई. जिसके बाद हालातों पर काबू पाया जा सका.
विस्थापितों की क्या हैं मांगें
मड़वा पावर प्लांट छत्तीसगढ़ शासन के अधीन है. जमीन खरीदते समय शासन ने विस्थापितों को नियमित नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन 6 साल बाद भी नियमित नौकरी उन्हें नहीं मिल पाई. यही वजह है कि करीब 400 विस्थापित संविदा कर्मियों ने नौकरी की मांग को लेकर 29 दिन पहले से आंदोलन शुरू कर दिया. रविवार को आंदोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया.