छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

SPECIAL: गली-मोहल्लों में बिखरे हैं प्राचीन मूर्तियों के अवशेष - Ancient sculptures in settlements

रायपुर के चंदखुरी में सैकड़ों साल पुरानी मूर्तियां और शिवलिंग यूं ही गांव के गली-मोहल्लों में रखे हैं. इन्हें संजोने के लिए पर्यटन एवं संस्कृति विभाग रुचि नहीं दिखा रहा है.

sculptures-and-shivling-of-many-old-gods-at-chandkuri-in-raipur
गली-मोहल्लों और बस्तियों में प्राचीन मूर्तियां और शिवलिंग

By

Published : Jan 7, 2021, 7:22 PM IST

Updated : Jan 7, 2021, 10:20 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित चंदखुरी माता कौशल्या के जन्म स्थल को लेकर सुर्खियों में रहा है. अब राम वन गमन पथ को लेकर भी चंदखुरी चर्चा में है. अब पुरातत्व की दृष्टि से भी इस स्थान का विशेष महत्व है. चंदखुरी में ऐसे कई अवशेष मौजूद हैं, जो पुरातत्व इतिहास को उजागर करते हैं. शासन प्रशासन की उदासीनता और स्थानीय लोगों की आस्था की वजह से इतिहास के इन पन्नों को पढ़ने में सफलता नहीं मिल पा रही है.

चंदखुरी में गली-मोहल्लों और बस्तियों में प्राचीन मूर्तियां और शिवलिंग

पढ़ें: राम का ननिहाल: यहां माता कौशल्या ने लिया था जन्म !

इतिहास की नहीं है जानकारी

चंदखुरी में गली-मोहल्लों और बस्तियों में कई प्राचीन मूर्तियां यूं ही बिखरी पड़ी हुई हैं. चाहे देवी मूर्ति हो या फिर विशालकाय शिवलिंग ही क्यों ना हो. ग्रामीण किसी पेड़ या फिर छोटे से मंदिर में स्थापित कर पूजा-अर्चना करते हैं. लेकिन इन मूर्तियों के इतिहास की जानकारी ना तो ग्रामीणों को है और ना ही वहां के पुजारियों को है. संस्कृति एवं पर्यटन विभाग ने भी इसका कोई उल्लेख नहीं किया है.

बस्तियों में प्राचीन मूर्तियां और शिवलिंग

पढ़ें: राम का ननिहाल: यहां माता कौशल्या ने लिया था जन्म !

शोध करें तो कई तथ्य हो सकते हैं उजागर

चंदखुरी में पुरातात्विक महत्व के ऐसे कई जीते जागते अवशेष हैं. जानकार मानते हैं कि अगर वैज्ञानिक तरीके से पुरातात्विक खुदाई की जाए और अध्ययन किया जाए तो न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि भारत के इतिहास में कुछ नए अध्याय चंदखुरी से जुड़ सकते हैं. माता कौशल्या के जन्म से जुड़े कई तथ्य भी उजागर हो सकते हैं.

रायपुर में प्राचीन मूर्तियां

प्रशासनिक और राजनीतिक उदासीनता

प्रदेश के जाने-माने इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र का कहना है कि चंदखुरी क्षेत्र में पुरातात्विक महत्व की कई वस्तुएं प्रामाणिक तौर पर मौजूद हैं. लेकिन प्रशासनिक और राजनीतिक उदासीनता के चलते अबतक चंदखुरी का इतिहास जमीन के अंदर दफन है. उन्होंने कहा कि यदि चंदखुरी की खुदाई कर पुरातात्विक अवशेषों का शोध किया जाए तो माता कौशल्या के जन्म से जुड़े कई तथ्य उजागर हो सकते हैं. प्रशासन को चाहिए कि इसे संजोने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास करें. इस दौरान रमेंद्रनाथ यह भी आरोप लगाते नजर आए कि विभाग के पास इतिहास के जानकारों की कमी है, जिसके कारण भी काम में दिक्कत आ रही है.

चंदखुरी में प्राचीन मूर्तियां और शिवलिंग

संस्कृति विभाग की अपनी दलील

हालांकि संस्कृति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि चंदखुरी के महत्व के बारे में विभाग पूरी तरह से सजग है लेकिन मानव बस्ती की बसाहट और धार्मिक आस्था से जुड़े कारणों के चलते उसका संरक्षण नहीं हो पा रहा है. फिर भी विभाग यहां मौजूद पुरातात्विक अवशेषों पर लगातार नजर बनाए हुए है.

रायपुर के गली-मोहल्लों और बस्तियों में प्राचीन मूर्तियां और शिवलिंग

क्या कोई पहल होगी?

खुले में पुरातात्विक महत्व की मूर्तियां रखी हैं. यह स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था का भी विषय है. इसलिए पर्यटन एवं संस्कृति विभाग को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. देखने वाली बात है कि आने वाले समय में विभाग इस समस्या का समाधान कैसे करता है या फिर इन पुरातात्विक अवशेषों को यूं ही मिटने के लिए छोड़ देता है.

सैकड़ों साल पुरानी मूर्तियां
बस्तियों में प्राचीन मूर्तियां और शिवलिंग
रायपुर के चंदखुरी में कई मंदिर
Last Updated : Jan 7, 2021, 10:20 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details