रायगढ़:प्रदेश में मानसून आ चुका है. बारिश से पहले जिलों में नाले-नालियों की सफाई कराई जाती है ताकि गंदगी न फैले. नालियां ओवरफ्लो न हों, गंदा पानी घरों तक न पहुंचे और बीमारियों का खतरा न बढ़े. लेकिन रायगढ़ में हालात अलग हैं. यहां निगम तैयारियां तो करा रहा है, लेकिन जमीनीस्तर पर उसका असर नहीं दिख रहा है. अब भी शहर के ऐसे कई वार्ड हैं, जहां नालियां गंदगी से पटी पड़ी हैं. कीड़े-मकोड़े और मच्छरों के पनपने के अड्डे बन चुके हैं. जिले में हर साल डेंगू से सैकड़ों लोग पीड़ित होते हैं. ETV भारत ने इसे लेकर रायगढ़ नगर निगम आयुक्त आशुतोष पांडे से बातचीत की और सवाल किए कि इन तैयारियों के साथ निगम कैसे बीमारियों से लड़ पाएगा.
पुराने आंकड़ों के मुताबिक रायगढ़ में जुलाई के पहले सप्ताह में डेंगू फैलता है, जिसे ध्यान में रखते हुए निगम प्रशासन को पहले ही सफाई की तैयारियां कर लेनी थी. लेकिन अब जून का महीना भी निकल गया और नाले-नालियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. इसके साथ ही न ही वार्डों में फॉगिंग हुई है, न ही किसी तरह की दवाइयों का छिड़काव किया गया है और न ही लोगों में डेंगू-मलेरिया से बचने के लिए कोई विशेष जानकारी दी गई है.
'शहरी क्षेत्र से ज्यादा आते हैं डेंगू के मामले'
CMHO डॉक्टर एसएन केसरी बताते हैं कि 2019 के अप्रैल में डेंगू का एक मरीज सामने आया था, जिसके बाद से मई और जून में कोई मरीज नहीं मिला. लेकिन जुलाई में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती गई और कुल 269मरीज हो गए. डेंगू के मामले केवल शहरों तक ही सीमित रहे, लेकिन मलेरिया ने व्यापक तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में अपने पैर पसारे.
अब स्वास्थ्य विभाग के सामने कोरोना के साथ डेंगू और मलेरिया से लड़ने की जिम्मेदारी दोगुनी हो गई है. डॉक्टर केसरी का कहना है कि जमीनी स्तर पर डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है, लेकिन सभी को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे विषम परिस्थिति में भी बेहतर इलाज कर सकें.