रायगढ़:तस्वीरें यादों को सहजकर रखने वाली...तस्वीरें हर लम्हों को जीवनभर के लिए समेट लेने वाली...तस्वीरें जो कहे हजार शब्दों से ज्यादा...आधुनिकता के इस दौर ने हर चीज को जीवंत और ज्यादा खास कर दिया. कहते हैं कि किसी भी कैमरे से बढ़कर अगर कोई खूबसूरत कैमरा है, तो वो हैं हमारी आंखें. कोरोना संकट काल में हर कोई जब परेशानियों से जूझ रहा है, तो वहीं फोटोग्राफर्स की रोजी-रोटी पर भी कोरोना की मार पड़ी है. विश्व फोटोग्राफी दिवस पर रायगढ़ फोटोग्राफी संघ के पदाधिकारियों ने ETV भारत से वर्तमान में हो रही दिक्कतों को साझा किया.
बढ़ते तकनीक ने हर घर में एक फोटोग्राफर तो जरूर बना दिया, लिहाजा स्मार्टफोन के आने के बाद प्रोफेशनल फोटोग्राफर्स की पूछ परख पहले के मुताबिक काफी घट गई. पुराने फोटोग्राफर्स का कहना है कि उनके व्यवसाय पर डिजिटल मार पड़ी है. रायगढ़ फोटोग्राफी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि आज हर किसी के पास महंगे फोन हैं. पहले हर छोटे-बड़े उत्सव, कार्यक्रमों और खास मौकों पर फोटोग्राफर्स को अलग ही दर्जा दिया जाता था. लेकिन आज वे अपनी पहचान के मोहताज हो गए हैं. वे पहले ही कई परेशानियों से जूझ रहे थे और फिर बीते 5 महीनों से कोरोना काल ने जैसे उनसे उनकी रोजी-रोटी भी छीन ली.
आर्थिक तंगी से जूझ रहे फोटोग्राफर्स
फोटोग्राफी संघ के सचिव ने बताया कि मार्च से लेकर अब तक का समय शादी-ब्याह और कई छोटे-बड़े त्योहारों को मनाने का समय होता है. पूरे साल यही वो वक्त होता है जब फोटोग्राफर्स को काम के लिए ऑर्डर मिलते हैं. लेकिन कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन ने सब खराब कर दिया. हालात अब ये हैं कि अनलॉक होने के बाद भी अब उनके पास कोई काम नहीं है. परिवार का भरण-पोषण फोटोग्राफी से मिली कमाई पर ही निर्भर होता था. हाल में फोटोग्राफर्स की माली स्थिति काफी खराब हो चुकी है, वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.