रायगढ़ :रायगढ़ में बढ़ते प्रदूषण से लोग पहले ही परेशान थे. लेकिन अब ठंड के दिनों में आसमान से बरसती काली राख लोगों के लिए आफत बनकर आई है. रात के समय पूरा शहर काली रख के धुंध में समा जाता है.
उद्योगों से निकलने वाले और उद्योगों तक पहुंचाने के लिए गाड़ियों के सहारे कोयले का परिवहन किया जाता है, जो खराब सड़कों की वजह से ओवरलोड ट्रकों से गिरती है और धूल डस्ट के रूप में उड़ती है. प्रदूषण से शहरवासी खासे परेशान हो गए हैं. स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के ऊपर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं.
आसमान से गिरती काली राख बनी मुसीबत घरों की छत पर गिरती है काली रात
तापमान में गिरावट के साथ ही वातावरण में ठंड बढ़ने लगी है. ठंड बढ़ते ही उद्योगों से निकलने वाला धुआं आसमान में ज्यादा ऊंचाई तक नहीं जा पाता. नमी के चलते धुआं राख बनकर नीचे गिरता है. रात में ठंड बढ़ जाती है लिहाजा धूल और धुएं के कारण रात को राख छतों में गिर रही है. कोयले की राख जब छत में गिरती है तब वातावरण पूरी तरह से काला हो जाता है. यह मानव जीवन के लिए तो घातक है ही, साथ ही प्रकृति के लिए भी खतरनाक है. क्योंकि पेड़ों के ऊपर काली परत जम जाने से उनमें भी प्रकाश संश्लेषण खत्म हो जाता है और वे सूख जाते हैं.
ईटीवी भारत ने किया रियलिटी चेक
रात के समय आसमान से राख बरसने और घरों के ऊपर और पेड़ों पर काली परत ढकने की जानकारी के बाद ईटीवी भारत ने इसका रियालिटी चेक किया. हमने देर शाम 7 बजे छत पर सफेद कपड़ा, सफेद कागज और सफेद टाइल्स रख दी. अगले दिन सुबह 8 बजे हमने छत पर रखे सफेद कपड़ा, सफेद कागज और सफेद टाइल्स को देखा तो उसमें राख की काली परत जम गई थी. छत की फर्श में भी राख की परत बिछी हुई थी. आसपास के पेड़-पौधे भी राख में सने हुए दिखाई दे रहे थे.
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स्थानीय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
रायगढ़ के स्थानीय और समाजसेवी जयंत बहिदार ने बताया कि स्थिति इतनी खराब हो गई है कि घर में लगाए फूल को पूजा के लिए तोड़ने में सोचना पड़ता है। क्योंकि सफेद कपड़ा पहन के अगर फूल तोड़े तो कपड़े में धूल लग रहे हैं साथ ही फलों में भी धूल लग रहे हैं जो पौधों की जान ले ले रहे हैं। प्रत्यक्ष प्रमाण के लिए स्थानीय कलेक्टर व एसपी को भी उन्होंने कहा कि उनके घर के गार्डन के हालत ही बदतर हो गई है। उनके घर के गार्डन में भी उद्योग काला राख जा रहा है जिसको वे लोग भी प्रत्यक्ष रूप से देख रहे हैं लेकिन औद्योगिक दबाव की वजह से प्रशासनिक अधिकारी भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधि की लापरवाही और निष्क्रियता के कारण लोग आज इतने बुरे दौर से गुजर रहे हैं।
प्रदूषण को देखते दिवाली में लोगों को नहीं जलाने चाहिए पटाखे
जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसएन केशरी का कहना है कि रायगढ़ में प्रदूषण की स्थिति बदतर हालत पर पहुंच गई है. ऐसे में बढ़ते कोरोना संक्रमण और दिवाली पर पटाखों को चलाना पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाएगा. जिले में मिल रहे लगातार कोरोना संक्रमितों के लिए काफी नुकसानदायक रहेगा, क्योंकि कोरोना संक्रमित मरीज सांस लेने में कठिनाई महसूस करते हैं और ऐसे में ज्यादातर लोगों की जान जा सकती है. इसलिए इस दिवाली कोरना और प्रदूषण की वजह से पटाखा जलाना काफी घातक साबित हो सकता है.
पर्यावरण अधिकारी का कहना है कि स्थिति संतुलित है
क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी एके गेदाम का कहना है कि उद्योगों के प्रदूषण स्तर की मॉनिटरिंग के लिए ईएसपी लगाए गए हैं, जो लगातार उनकी चिमनी से निकलने वाले धुएं की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. यदि उद्योगों की ओर से गड़बड़ी करने या मशीन से छेड़छाड़ का प्रयास किया जाता है तो इसकी सूचना रायपुर और दिल्ली के कार्यालय में पहुंच जाती है. जिसके बाद उनके ऊपर कार्रवाई की जाती है. लेकिन अभी तक रायगढ़ में प्रदूषण की स्थिति हाई अलर्ट से नीचे ही चल रही है. फिर भी जहां पर भी परेशानी या शिकायतें मिल रही हैं, उस जगह की और उस उद्योग की जांच कराई जाएगी.