रायगढ़:जिले के कई ट्रस्टों ने बीते कई वर्षों से अपना बहीखाता और जानकारी ऑडिट नहीं कराया है. इसे लेकर स्थानीय प्रशासन ने नोटिस जारी कर दिया है. ट्रस्ट की संपत्ति में हेरफेर, जमीनों में अवैध निर्माण और किराया संबंधित अनियमितता का आरोप लगाया गया है. एसडीएम का कहना है कि सभी ट्रस्टों के प्रभारी अपने-अपने ट्रस्ट से संबंधित दस्तावेज तैयार करें. साथ ही प्रशासन को सूचित करें. किसी प्रकार की गड़बड़ी या जवाबदेही में आनाकानी करने पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी.
ट्रस्ट की जमीन और संपत्ति का होगा ऑडिट रायगढ़ में एक समय पर धर्मादा ट्रस्ट की भरमार थी, जिन्होंने शासन से न सिर्फ जमीनें ले रखी थीं, बल्कि उनमें धर्मशाला और स्कूल भवनों का निर्माण भी किया था. लेकिन समय बीतने के साथ ही अब इन ट्रस्टों ने न सिर्फ अपना मूल स्वरुप बदल दिया है, बल्कि अब वे शासन को राजस्व की क्षति भी पहुंचा रहे हैं. जानकर हैरत होगी कि जिले में संचालित 55 ट्रस्टों में से तकरीबन 15 ट्रस्टों ने ही शासन से ऑडिट कराया है, जबकि बाकी के ट्रस्ट अवैध रुप से संचालित हो रहे हैं.
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200 से 250 रुपए के किराए पर दिए गए दुकान
इतना ही नहीं इन ट्रस्टों को धर्मशाला के लिए मिले भवनों का भी व्यवसायिक प्रयोग हो रहा है. कहीं शोरूम तो कहीं दुकानें संचालित हो रही हैं. इतना ही नहीं नियमानुसार ट्रस्ट के भवनों को किराए या फिर उप किराए पर नहीं दिया जा सकता, लेकिन शहर में 90 फीसदी मकान उप किराए पर महंगी दरों पर संचालित हैं. प्राइम लोकेशन होने की वजह से इन दुकानों का बाजार मूल्य जहां करोड़ों रुपए का है. वहीं किराये की दरें भी 30 से 40 हजार रुपए तक हैं, लेकिन ट्रस्ट से इन्हें 200 से 250 रुपए के किराए पर दी गई है.
नोटिस के बाद भी नहीं होता बदलाव
बता दें कि इससे पहले भी ट्रस्ट को कई बार नोटिस मिल चुका है, लेकिन आज भी कई सामाजिक संस्थाओं ने निर्धारित किए गए 250 रुपए से 300 रुपए मासिक किराए के दर पर ही बड़ी-बड़ी दुकानें और भवन संचालित हो रही हैं. ऐसे में इस बार स्थानीय प्रशासन ने नोटिस जारी किया है. अब नोटिस ट्रस्ट को कितना प्रभावित करता है, यह आने वाला समय बताएगा.