रायगढ़: शहरी क्षेत्र के नजूल भूमि में अतिक्रमण कर रह रहे लगभग 2,890 लोगों को जिला प्रशासन ने नोटिस जारी किया है. इन लोगों से बाजार मूल्य से जमीन का 150 प्रतिशत ज्यादा की दर से राशि भुगतान करके भू स्वामित्व देने के लिए कहा गया है. ऐसे में दशकों से घर बनाकर रह रहे लोगों के सामने मुसीबत खड़ी हो गई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि वे नजूल पट्टा पाने के लिए मुआवजा भरने को तैयार हैं लेकिन इतनी बड़ी रकम वह देने में असमर्थ हैं. वहीं बीजेपी भी इसे कांग्रेस सरकार की वादाखिलाफी बता रही है.
इस वैश्विक महामारी के दौर में लोगों के पास बेरोजगारी और आर्थिक संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इसी बीच जिले में नजूल भूमि पर अतिक्रमण कर बीते 40-50 साल से रहने वाले लोगों को बाजार कीमत से 150 प्रतिशत ज्यादा राशि मांगी जा रही है. इसके बाद कब्जा धारकों को जमीन का स्वामित्व दे दिया जाएगा. लेकिन यह कम आय वाले और गरीब लोगों के लिए परेशानी बन गई है. उनके लिए घर बचाना मुश्किल हो गया है.
10 से 20 लाख तक राशि की मांग
रायगढ़ के नगरीय निकाय क्षेत्रों में 2 हजार 890 लोगों को नोटिस देकर उनसे बाजार मूल्य से 150 प्रतिशत ज्यादा दर से राशि देने का नोटिस दिया गया है. रायगढ़ शहर के रियापारा, चांदमारी, इंदिरानगर जैसे कई मोहल्ले नजूलभूमि पर काबिज हैं. इन लोगों को 10 लाख से 20 लाख रुपए तो कहीं उससे भी अधिक का नोटिस मिला है. लोग नोटिस मिलने के बाद बैंक के चक्कर लगा रहे हैं. बड़ा आय का साधन नहीं होने के चलते इन्हें बैंक से लोन भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में गरीब मजदूर वर्ग प्रशासन से राहत की गुहार लगा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि ये लोग पट्टे के लिए रुपए नहीं देना चाहते, लेकिन जमीन की कीमत से 150 प्रतिशत ज्यादा की भारी भरकम रकम उनके लिए पहाड़ साबित हो रही है.
ईटीवी भारत ने जाना लोगों का हाल