रायगढ़: कोरोना ने हर व्यवसाय को प्रभावित किया है. इसमें से एक व्यवसाय सैलून भी है, जो कोरोना संकट के बाद से घाटे में चल रहा था. लॉकडाउन तो खत्म हो गया लेकिन समस्या आज भी वैसी की वैसी ही है. सैलून में लोगों की भीड़ नहीं है, जो आ भी रहे हैं उनके लिए सैलून के नियम बदल चुके हैं. अब आसानी से लोग सैलून का लाभ नहीं ले सकते, बल्कि सैलून जाने से पहले सभी गाइडलाइन को फॉलो करना होता है. ETV भारत ने लोगों से बातचीत की जिसपर उनका कहना है कि कोरोना के डर के कारण वो सैलून नहीं आ रहे हैं. कुछ लोग लगभग 2 से 3 महीने बाद सैलून में आए हैं, लेकिन डर अब भी बना है.
रायगढ़ में छोटे-बड़े कई सैलून है. इन दुकानों से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है, जिससे उनका परिवार पलता है. सीधे तौर पर सैलून के कारण इन लोगों के घरों में राशन पहुंचता है, जिससे उनका परिवार चलता है. ये रोज कमाते हैं, रोज खाते हैं. दुकानदारों का कहना है कि रविवार को ज्यादातर लोग सैलून आते थे, लेकिन सप्ताह में एक दिन रविवार को लॉकडाउन लगाया गया है. इसके कारण लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं और उन्हें घाटा हो रहा है. बचे हुए बाकि दिन सुबह 8 बजे से रात के 9 बजे तक दुकान खोलने की अनुमति है, ऐसे में देर रात तक अपना काम करने वाले लोग भी सैलून या पार्लर तक नहीं पहुंच पाते हैं.
सैलून और पार्लर संचालक बताते हैं कि रोजगार आधे से भी कम हो गया है. लोग डर की वजह से दुकान तक पहुंच नहीं रहे हैं. पार्लर में खर्चे बढ़ गए हैं, क्योंकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए बाल काटने और मेकओवर करने के लिए डिस्पोजेबल एप्रोन का उपयोग कर रहे हैं. दुकान के अंदर थर्मल स्क्रीनिंग, बॉडी सैनिटाइजेशन, हैंड वॉश जैसे खर्च दुकानदार अपने खर्च से कर रहे है.
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