रायगढ़: कोरोना वायरस संक्रमण और लगातार जारी किए जा रहे लॉकडाउन ने हर वर्ग को प्रभावित किया है. गरीब मजदूर तबका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. इस कोरोना काल में जब बाजार और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हो गए, तो इसका सीधा असर मछली पकड़ने वाले मछुआरों पर भी पड़ा है. जिले के केलो नदी और महानदी के आसपास दर्जनों गांव बसे हुए हैं. सैकड़ों परिवार का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना और बाजार में जाकर बेचना है.
इन परिवारों के लिए मछली बेचना ही एक मात्र आय का जरिया है. परिवार के लिए राशन और आजीविका का सामान इसी के जरिए लेते थे, लेकिन लगातार लॉकडाउन लगाए जाने से मछुआरों की माली हालत खराब हो गई है. कोरोना की वजह से बाजारों को कम वक्त के लिए खोला जा रहा है. बीच-बीच में लंबे वक्त के लिए लॉकडाउन भी लागू किया जा रहा है. मछुआरों को मिलने वाला रोजगार 6 महीने से प्रभावित है.
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कीमत में भी गिरावट
मछुआरों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ कर बाजार में बेचना है. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बाजारों पर फिलहाल प्रतिबंध लगा हुआ है. काफी कम समय के लिए बाजार खुल रहे हैं. लिहाजा मछुआरों के सामने आजीविका चलाने का संकट आ खड़ा हुआ है. मछुआरों का कहना है कि कभी 200 से 250 रुपए प्रति किलो की दर से मछलियां बिकती थीं, लेकिन खरीददार अब 100-150 रुपए तक में मछली ले जा रहे हैं. जिससे दिन में हजारों रुपए का मुनाफा कमाने वाले मछुआरों को घाटा हो रहा है. इससे पेट चलाना भी मुश्किल हो जा रहा है.
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