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SPECIAL: कोरोना काल में मछली का बाजार मंदा, मछुआरों की माली हालत खराब - व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद

कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में मछली का बाजार मंदा पड़ गया है. रायगढ़ में केलो नदी और महानदी के आसपास कई परिवारों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना है. बाजार के प्रभावित होने से मछुआरों की माली हालत खराब हुई है. ETV भारत ने नदी किनारे बसे गांव में जाकर मछुआरों से ताजा हालातों के बारे में जानकारी ली है. मछुआरों ने कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन से हो रही परेशानियों के बारे में बताया है.

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कोरोना काल में मछली का बाजार मंदा

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Published : Oct 4, 2020, 7:45 PM IST

Updated : Oct 5, 2020, 6:28 AM IST

रायगढ़: कोरोना वायरस संक्रमण और लगातार जारी किए जा रहे लॉकडाउन ने हर वर्ग को प्रभावित किया है. गरीब मजदूर तबका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. इस कोरोना काल में जब बाजार और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हो गए, तो इसका सीधा असर मछली पकड़ने वाले मछुआरों पर भी पड़ा है. जिले के केलो नदी और महानदी के आसपास दर्जनों गांव बसे हुए हैं. सैकड़ों परिवार का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना और बाजार में जाकर बेचना है.

कोरोना काल में मछली का बाजार मंदा

इन परिवारों के लिए मछली बेचना ही एक मात्र आय का जरिया है. परिवार के लिए राशन और आजीविका का सामान इसी के जरिए लेते थे, लेकिन लगातार लॉकडाउन लगाए जाने से मछुआरों की माली हालत खराब हो गई है. कोरोना की वजह से बाजारों को कम वक्त के लिए खोला जा रहा है. बीच-बीच में लंबे वक्त के लिए लॉकडाउन भी लागू किया जा रहा है. मछुआरों को मिलने वाला रोजगार 6 महीने से प्रभावित है.

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कीमत में भी गिरावट

मछुआरों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ कर बाजार में बेचना है. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बाजारों पर फिलहाल प्रतिबंध लगा हुआ है. काफी कम समय के लिए बाजार खुल रहे हैं. लिहाजा मछुआरों के सामने आजीविका चलाने का संकट आ खड़ा हुआ है. मछुआरों का कहना है कि कभी 200 से 250 रुपए प्रति किलो की दर से मछलियां बिकती थीं, लेकिन खरीददार अब 100-150 रुपए तक में मछली ले जा रहे हैं. जिससे दिन में हजारों रुपए का मुनाफा कमाने वाले मछुआरों को घाटा हो रहा है. इससे पेट चलाना भी मुश्किल हो जा रहा है.

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ETV भारत ने लिया जायजा

ETV भारत ने मछुआरों से बात कर ताजा हालातों का जायजा लिया है. उन्होंने बताया कि जब से लॉकडाउन लगा है. तब से बुरा दौर शुरू हुआ है. कभी आर्थिक तंगी नहीं हुई थी. लेकिन आज भूखे रहने की नौबत आ गई है. मछली का बाजार मंदा हो गया कोरोना की वजह से गांव-गांव जाकर मछली बेच नहीं सकते. इसलिए मछली पकड़ना भी बहुत कम हो गया है. आने वाले दिनों को लेकर मछुआरे चिंतित हैं.

मछुआरों का कहना है कि पूर्ण लॉकडाउन के दौरान उन्होंने नदी की ओर जाना पूरी तरह से बंद कर दिया था. जब लॉकडाउन खत्म हुआ तो मछुआरों ने दोबारा काम शुरू किया. लेकिन लगातार रुक-रक कर लॉकडाउन लागू होने लगे. आस-पास के गांव और शहरों में सप्ताहिक बाजार भी बंद हो गए हैं. ऐसे में मछुआरे मछली बेच नहीं पा रहे हैं. जीवन भर से मछली पकड़ने वाले मछुआरों को समझ नहीं आ रहा की आगे क्या करें.

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कोरोना संक्रमण का डर रायगढ़ में आए दिन लॉकडाउन

रायगढ़ जिले में लगातार कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है. ऐसे में शहरी इलाकों के साथ ही ग्राम पंचायत स्तर से लेकर नगरी निकायों तक समय-समय पर लॉकडाउन लगाया जा रहा है. तहसील इलाकों में भी रविवार को पूर्ण लॉकडाउन लागू किया गया है. बता दें हाल ही में जिला प्रशासन ने 7 दिनों के लिए लॉकडाउन लगाया था. 1 अक्टूबर को ही लॉकडाउन खत्म हुआ है. बावजूद इसके अब तक कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आई है. ताजा आंकड़ों की बात की जाए तो शनिवार को रायगढ़ में 219 कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान हुई है. अब तक कुल मिलाकर जिले में 7 हजार 300 से ज्यादा कोरोना केस की पहचान हुई है.

Last Updated : Oct 5, 2020, 6:28 AM IST

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