नारायणपुर: 9 अगस्त को दुनिया भर में आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है. मौके पर छत्तीसगढ़ में भी कई आयोजन हुए. आदिवासी प्रदेश के नाम के प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ में करीब 42 आदिवासी जाति और जनजाति के लोग रहते हैं. आदिवासी दिवस पर आदिवासी समाज के लोगों ने बाइक रैली, पैदल रैली के साथ कई आयोजन में भाग लेने पहुंचे थे.
हर्षोल्लास से मनाया गया आदिवासी दिवस नारायणपुर और अबुझमाड़ के आदिवासी समाज के लोगों ने साथ मिलकर परेड ग्राउंड में धूमधाम से आदिवासी दिवस मनाया. कार्यक्रम में अलग-अलग क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी समाज के लोग हिस्सा लेने आए थे. जशपुर जिले का फेमस कर्मा नृत्य मांदर के मधुर धुन के साथ प्रस्तुत की गई. जिसने लोगों का दिल जीत लिया. इसके साथ ही जिले का प्रसिद्ध नाचा नृत्य ने भी लोगों का मन मोह लिया.
पेड़-पौधे हैं आदिवासियों की कुलदेवी
कार्यक्रम में उपस्थित समाज के बड़े बुजुर्ग से लेकर बच्चे भी मौके पर थिरकते नजर आये. हल्बा समाज के भागेश्वर पात्र ने कहा कि आदिवासी प्रकृति का पुजारी है. जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों का हक है. साल के पेड़, शीशम के पेड़, आम के पेड़ को आदिवासी अपना कुलदेवता मानते हैं.
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जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों का हक
हल्बा समाज के भागेश्वर पात्र ने कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि संविधान द्वारा आदिवासियों को पांचवीं और छठी अनुसूची में रखा गया है. इसके लिए ग्राम सभा में उसे अधिकार मिलना चाहिए. कार्यक्रम में स्थानीय विधायक चंदन कश्यप और कलेक्टर पीएल सलमा, डीएफओ साइलो मंडावी के साथ जिले के तमाम बड़े अधिकारी मौजूद रहे. वहीं कार्यक्रम में करीब 8 हजार आदिवासी समाज के लोग पहुंचे थे.