नारायणपुरः जिले की सरहद पर कांकेर जिले के 58 गांव के ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गए हैं. ग्रामीणों की मानें तो इस बार ये लड़ाई आर-पार (cross fight) की होगी. बुधवार 15 सितम्बर को अनिश्चित कालीन धरना (indefinite strike) का आठवां दिन रहा. क्षेत्र में नवाखाई पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है और ग्रामीणों (villagers) द्वारा सामूहिक रूप से धरना स्थल पर ही नवाखाई का पर्व मनाया गया.
2007 में नारायणपुर जिले का गठन हुआ था तब से कांकेर और नारायणपुर जिले के सरहद पर बसे ग्राम के ग्रामीणों ने नारायणपुर जिले में शामिल होने की मांग की थी. शासन-प्रशासन (Government administration) ने ग्रामीणों की मांग को नजर अंदाज़ (ignore) कर दिया. क्षेत्र के लोगों को उम्मीद थी कि यदि नारायणपुर जिला बनेगा तो हम सभी उसी जिले का हिस्सा होंगे. परंतु इस क्षेत्र को नारायणपुर जिले में शामिल नहीं किया गया.
भले ही यह लोग कांकेर जिले के अंतर्गत आते हैं, परंतु अपनी सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नारायणपुर पर आश्रित रहते हैं. फिर चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य (education, health) की बात हो या फिर अन्य सामानों के आपूर्ति की. धरने पर बैठे ग्रामीणों का कहना है कि नारायणपुर जिले के अस्तित्व में आने के बाद से ही हम क्षेत्रों के लोग नारायणपुर जिला में शामिल होने की मांग को लेकर शासन- प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं. इसके बाद भी हमारी मांगों को लेकर प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में हमारे पास आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है अब जब तक शासन हमारी मांगों को पूरा नहीं करता तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे.
सामूहिक मुंडन होकर भी जताया गया है विरोध
अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन (indefinite strike) में कुछ अलग-अलग तरह के तरीके अपना कर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. धरना-प्रदर्शन के पांचवें दिन अर्द्ध नग्न अवस्था (semi nude) में ग्रामीण मैदान में उतरे हुए थे. छठवें दिन सैकड़ों लोगों ने अपना सिर मुड़वा कर प्रदर्शन (head turn show) किया. 58 गांव के ग्रामीण कोलर चौक के पास अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं. इससे कोलर चौक धरना-प्रदर्शन स्थल के रूप में तब्दील हो गया है.