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नारायणपुर आदिवासी आंदोलन: आश्वासन के बाद घर लौट रहे ग्रामीण, प्रशासन को 15 दिन का अल्टीमेटम - नारायणपुर न्यूज

नारायणपुर के धौड़ाई में 4 दिनों तक चला ग्रामीणों का प्रदर्शन आखिरकार जिला प्रशासन के आश्वासन के बाद खत्म हो गया है. हजारों ग्रामीणों ने प्रशासन को अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपा है. आदिवासियों ने अपनी मांगें पूरी करने के लिए 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया है.

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जल-जंगल-जमीन की लड़ाई

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Published : Dec 8, 2020, 10:48 AM IST

Updated : Dec 8, 2020, 1:47 PM IST

नारायणपुर :ओरछा मार्ग पर 4 दिनों से धरने पर बैठे हजारों ग्रामीणों ने आंदोलन खत्म कर दिया है. जिला प्रशासन से मिले आश्वासन के बाद ग्रामीण अब अपने घरों की ओर रवाना होने लगे हैं. ग्रामीणों की मांगों को राज्य सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन जिला प्रशासन से मिलने के बाद ग्रामीणों ने जल-जंगल-जमीन की लड़ाई पर ब्रेक लगाया. ग्रामीणों ने प्रशासन को 15 दिनों का समय दिया है. पिछले 4 दिनों से धरने पर बैठे 7 जिलों के हजारों ग्रामीण आज पांचवे दिन खाना खाने के बाद पैदल अपने घरों की ओर रवाना हुए.

आश्वासन के बाद घर लौट रहे ग्रामीण

3 दिसंबर- शुरू हुई जल, जंगल और जमीन की लड़ाई

मांगों को लेकर 4 दिनों से धरने पर बैठे थे हजारों आदिवासी

3 दिसंबर से हजारों आदिवासी आमदई खदान को बंद करने और 6 साथियों को छोड़ने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे. आंदोलनकारियों ने छोटे डोंगर से धौड़ाई तक 8 किलोमीटर पैदल रैली निकाली और चक्काजाम कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. वे पुलिस कैंप खोले जाने का भी विरोध कर रहे थे.

4 दिसंबर- नायब तहसीलदार और एसडीओपी समझाने पहुंचे

जल-जंगल-जमीन की लड़ाई

इस दौरान नायब तहसीलदार और एसडीओपी भी उन्हें समझाने पहुंचे लेकिन वे अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे. ग्रामीणों ने एसपी और कलेक्टर से बात करने की जिद की. तहसीलदार ने आदिवासियों से लिखित में समस्या मांगी और हल करने का आश्वासन दिया. साथ ही तहसीलदार ने कहा कि 10 लोग जाकर जिला मुख्यालय बात कर सकते हैं. इस पर आदिवासियों ने सभी के जाने पर अड़े रहे. ग्रामीणों ने कहा कि वे अधिकारियों को लिखकर थक गए हैं. यहां जनप्रतिनिधि, विधायक, सांसद या मंत्री आएंगे तभी बात बनेगी.

पढ़ें: नारायणपुर: किसान आंदोलन से सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने 'हक' के लिए डटे आदिवासी

4 दिसंबर- IG ने की शांति की अपील

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने ग्रामीणों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की. 6 ग्रामीणों के गिरफ्तारी के मामले में आईजी ने कहा कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है जिस पर कार्रवाई जारी है.

पढ़ें: आंदोलन कर रहे आदिवासियों पर सीएम ने उठाए सवाल, 'पुलिस कैंप का विरोध कौन करता है ?'

4 दिसंबर- सीएम ने उठाए सवाल

सड़क पर बैठे हजारों आदिवासियों के प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल उठाए. सीएम ने कहा कि, ' वो वहां कैंप लगाए जाने का विरोध कर रहें हैं और कैंप लगाए जाने का विरोध कौन करता है ?'

6 दिसंबर- सर्व आदिवासी समाज का मिला समर्थन

नारायणपुर में चल रहे आदिवासियों के आंदोलन को सर्व आदिवासी समाज ने भी समर्थन दिया.सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक और पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने कहा था कि 10 दिसंबर को शहीद वीर नारायण सिंह जी की शहादत दिवस पर राजा राव पठार में बड़ा आयोजन होने जा रहा है. पोटाई ने बताया कि इस आयोजन में ही नारायणपुर आंदोलन को लेकर रणनीति तय की जाएगी. उन्होंने कहा कि नारायणपुर के आदिवासियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूरा आदिवासी समाज खड़ा है.

पढ़ें:नारायणपुर कूच करने की तैयारी में प्रदेशभर के आदिवासी, आंदोलन को सर्व आदिवासी समाज ने दिया समर्थन

6 दिसंबर- बीजेपी ने सरकार पर साधा निशाना

बीजेपी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार केवल बयानबाजी में आदिवासियों से हमदर्दी दिखाती है. सरकार की नीतियों से ही नाखुश होकर आदिवासी नारायणपुर में हजारों की संख्या में सड़क पर बैठे हैं. बावजूद इसके कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेसी सरकार आने के साथ ही यह दावा करते रहे हैं कि आदिवासियों की जेल से रिहाई कराएंगे, लेकिन हजारों निर्दोष आदिवासी जेलों में बंद है.

7 दिसंबर- बीच सड़क पर 5 घंटे चली बातचीत

सर्व आदिवासी समाज के समन्वय समिति और ग्रामीणों के बीच बातचीत के बाद चौथे दिन ग्रामीण जिला प्रशासन से बात करने को राजी हुए और विरोध प्रदर्शन बंद किया गया.

'कोर्ट जाकर कर सकते हैं कार्रवाई की मांग'

जिला प्रशासन और ग्रामीणों के मध्य बीच सड़क में लगभग 5 घंटे बातचीत चली. जिसमें ग्रामीणों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए. पुलिस अधीक्षक ने मामले में जवाब देते हुए कहा कि ग्रामीणों को अगर किसी पर आपत्ति है तो वह कोर्ट जा सकते हैं और कार्रवाई की मांग कर सकते हैं.

'साल 2005 में निको को खदान लीज पर दी गई'

आमदई खदान को लेकर ग्रामीणों ने जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया और कहा कि निको कंपनी के साथ जिला प्रशासन ने फर्जी जन सुनवाई कर दलाली की है. खदान की शुरुआत होने पर पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचेगा. साथ ही 84 परगना के जो देवी, देवता इस आमदई खदान में हैं जिनकी पूजा अर्चना वे हजारों सालों से करते आ रहे है वो भी नहीं कर पाएंगे. कलेक्टर ने ग्रामीणों को बताया कि निको खदान को लीज वर्ष 2005 में ही मिल गया था जिसके लिए जन सुनवाई हुई थी, जिसमें आप लोगों के ही बीच के लोगों ने आकर अपनी सहमति प्रदान की थी जिसके बाद निको कंपनी को खदान के लिए लीज मिली थी.

' खुदाई से नहीं पहुंचेगा नुकसान'
कलेक्टर ने बताया कि इसके लिए पर्यावरण का सर्वे भी किया गया था, जिसमें वैज्ञानिकों ने जानकारी दिया है कि इसकी खुदाई शुरू होने से आसपास में किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा. कलेक्टर ने आंदोलनकारियों को आश्वास्त किया कि उनकी मांगों का ज्ञापन राज्य सरकार को सौंपा जाएगा.

ग्रामीणों ने दिया 15 दिनों का समय

इस पूरी बातचीत के बाद आंदोलनकारी हजारों ग्रामीणों ने प्रशासन को 15 दिनों का समय दिया और धरना प्रदर्शन खत्म किया. कलेक्टर अभिजीत सिंह ने कहा कि ग्रामीणों ने अपनी मांगों का ज्ञापन दिया है जिसे राज्य सरकार को भेजा जाएगा. राज्य सरकार द्वारा जो भी निर्णय लिया जाता है ग्रामीणों को बता दिया जाएगा.

पढ़ें: जल-जंगल-जमीन की लड़ाई: पारंपरिक हथियारों के साथ आंदोलन करने निकले हजारों आदिवासी

Last Updated : Dec 8, 2020, 1:47 PM IST

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