नारायणपुर:छत्तीसगढ़ में सैकड़ों आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए आमदई में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. पिछले 4 दिनों से 84 परगना के हजारों ग्रामीण पारंपरिक हथियार के साथ कड़कती ठंड में डटे हुए हैं. शनिवार को एसडीएम अपनी टीम के साथ ग्रामीणों को समझाने के लिए पहुंचे थे. ग्रमीणों ने उनकी बात सुनने से मना कर दिया. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती है वे धरने पर डटे रहेंगे.
रविवार को ग्रामीणों ने नारायणपुर ओरछा मार्ग पर चक्काजाम करने के साथ ही पहाड़ी के ऊपर तैनात फोर्स के जवानों के राशन पानी भी नहीं ले जाने दिया. ग्रामीणों के कहना है कि हम राजपुर के झारा से रैली निकालकर पैदल नारायणपुर आए थे. 3 दिनों तक पैदल चलकर फरसगांव पहुंचने के बाद 28 दिसंबर को प्रशासन ने हमे बातचीत के लिए नारायणपुर बुलाया था. घंटों बातचीत के बाद आमदई खदान के दस्तावेज देने और उसके अध्ययन के लिए एक महीने की मोहलत मांगी थी. इस दौरान आमदई में कार्य बंद रहने की बात कही गई थी. 29 दिसंबर को जब दोबारा आ के देखा गया तो पुलिस कैंप पहाड़ी पर तैनात थी. निको कंपनी के लोग भी वहां मौजूद थे. ग्रामीणों का कहान है कि जब तक पुलिस पहाड़ी से नही उतरेंगे तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा.
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15 दिनों का दिया था अल्टीमेटम
आमदई खदान की लीज को रद्द करने की मांग को लेकर बस्तर संभाग के 7 जिलों के हजारों ग्रामीणों ने धौड़ाई गांव में 4 दिनों तक आंदोलन किया था. इस आंदोलन के चौथे दिन हजारों ग्रामीणों की उपस्थिति में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया. इसके लिए 15 दिनों का अल्टीमेटम जिला प्रशासन को दिया गया. इस आंदोलन के बाद जिला प्रशासन को दिए गए अल्टीमेटम की अवधि आज खत्म होने के बाद भी इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिससे ग्रामीण नाराज है.