नारायणपुर:रासायनिक गुलाल से सजे रंगीन बाजार के बीच नारायणपुर की आदिवासी महिलाएं वनस्पतियों और फल-फूल के प्राकृतिक रंगों से हर्बल गुलाल तैयार किया है. जो बाजार में बिकने के लिए तैयार है. इसी होली आप भी इन स्वसहायता समूह की महिलाओं के बनाए हर्बल गुलाल खरीदिए और घर पर ही होली मनाइए.
होली के लिए बनाए हर्बल गुलाल
प्रशिक्षिण के बाद राधाकृष्ण स्व- सहायता समूह की महिलाओं ने हर्बल गुलाल बनाया. इस गुलाल से अतिरिक्त आय कमाकर अपने समुदाय में अपनी पहचान बना रही है और दूसरों के लिए प्रेरणा बन रही हैं. जिला मुख्यालय के पास ग्राम बिंजली और पालकी की राधाकृष्ण महिला स्व-सहायता समूह हर्बल गुलाल के फायदे और रासायनिक गुलाल से होने वाले हानि को लेकर जागरूकता भी फैला रही है.
प्रशिक्षण के बाद महिलाओं ने बनाए हर्बल गुलाल
तीन महिला स्व-सहायता समूहों को अलग-अलग 2 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. जिसमें उन्हें निर्माण से लेकर पैकेजिंग और मार्केटिंग के बारे में जानकारी दी गई. गुलाल निर्माण में लगी महिलाओं के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के परिसर में एक कार्य गृह का निर्माण भी किया गया है. महिलाएं होली को ध्यान में रखते हुए जोर-शोर से गुलाल उत्पादन कार्य में लगी हुई हैं.
महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर बन रहीं आत्मनिर्भर
1 क्विंटल गुलाल उत्पादन
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. दिब्येंदु दास ने बताया कि उत्पादों की बिक्री के लिए समूह की तरफ से 1 क्विंटल गुलाल उत्पादन कर पैकिंग की गई है. हर्बल गुलाल कलेक्ट्रेट परिसर के पास लगने वाले स्टॉल में 200 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा है. 50 किलोग्राम हर्बल गुलाल इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के भी विक्रय केंद्र में भी बेचने के लिए रखा गया है. ताकि रायपुर वासी भी नारायणपुर के हर्बल गुलाल से वंचित न रहे.