SPECIAL : बंदूक छोड़ थामी कलम, शिक्षा की तरफ बढ़ चले ये कदम
आत्मसमर्पण करने वाले कई नक्सली पढ़-लिख नहीं पाए हैं, जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लिहाजा पुलिस प्रशासन ने इनके पढ़ने के लिए स्कूल खोला है, जहां से पढ़ाई करते हैं.
शिक्षा की तरफ बढ़ चले आत्मसमर्पित नक्सली
नारायणपुर : आओ स्कूल चलें में हम अब तक आपको सरकारी स्कूलों की पॉजीटिव और नेगेटिव तस्वीरें दिखाते रहे, लेकिन इस बार हम जो स्कूल आपको दिखाने वाले हैं उसकी जितनी तारीफ करें वो कम है. यहां पढ़ने वाले 3 सौ छात्र ऐसे हैं, जो या तो आत्मसमर्पित नक्सली हैं या फिर नक्सलियों के सताए हुए हैं.
- लोगों का ब्रेन वॉश करने के लिए नक्सली प्रभावित क्षेत्र के लोगों को पढ़ने से रोकते हैं. ऐसा खुद सरेंडर करने वाले नक्सलियों या उनके साथ काम करने वालों ने बताया है.
- जिला पुलिस ने सरेंडर करने वाले नक्सलियों या उनसे पीड़ितों की शिक्षा पाने में मदद कर रही है. नारायणपुर पुलिस अधीक्षक की इस पहल के तहत जो आत्मसमर्पित नक्सली बिल्कुल नहीं पढ़ पाए हैं, उन्हें आठवीं तक की शिक्षा दी जा रही है.
- नारायणपुर एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि आज के जमाने में साइबर क्राइम बढ़ गए हैं. उन्होंने बताया कि समर्पित नक्सली को पुलिस की मदद करने के लिए नौकरी तो मिल गई है लेकिन इनको जागरूक करने के लिए शिक्षा दी जा रही है.
- उन्होंने बताया कि जिले में करीब 300 से अधिक नक्सल पीड़ित, सरेंडर करने वालों को फोर्स में जगह मिली हुई है. ये या तो पहले नक्सली संगठन में रहने के कारण स्कूल नहीं जा पाए या फिर आधा ही पढ़ पाए, ऐसे लोगों को सक्षम बनाने का बीड़ा उठाया गया है.
- साथी नक्सल पीड़ित बच्चों को कंप्यूटर क्लास लैब में मुफ्त कंप्यूटर ज्ञान दिया जा रहा है. नक्सल पीड़ित बच्चे बड़े उत्साह से कंप्यूटर ज्ञान ले रहे हैं.
- खास बात ये है कि आत्मसमर्पण नक्सलियों ने भी खुद पढ़ने के लिए अपील की थी. अब उनके लिए विशेष क्लासेस का इंतजाम किया गया है. उम्मीद है कि शिक्षा का ये उजियारा इनके जीवन को रोशनी से भर देगा.