Narayanpur Assembly Seat Profile: नक्सलवाद और धर्मांतरण की समस्या वाले नारायणपुर विधानसभा सीट का चुनावी गणित
Narayanpur Assembly Seat Profile छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव है. ETV भारत छत्तीसगढ़ विधानसभा की हर सीट की जानकारी दे रहा है. हम इस सीरीज में विधानसभा सीट की अहमियत, वीआईपी प्रत्याशी, क्षेत्रीय मुद्दे की जानकारी दे रहे हैं. आइए नजर डालते हैं नारायणपुर विधानसभा सीट पर. Chhattisgarh Election 2023
नारायणपुर: कोंडागांव जिले का मर्दापाल ब्लॉक और बस्तर जिले का भानपुरी ब्लॉक मिलकर नारायणपुर विधानसभा बना है. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट में 60 प्रतिशत से ज्यादा लोग आदिवासी रहते हैं. जिनमें गोंड जनजाति, माड़ीया, मुरिया, धुरवा, भत्रा, हलबा जनजाति के लोग रहते हैं. यह विधानसभा कोंडागांव, कांकेर, बस्तर और बीजापुर जिले की सीमा से लगी हुई है. आदिवासियों की बहुसंख्या वाले विधानसभा प्राकृतिक संसाधनों और प्राकृतिक सुंदरता से भरी पड़ी है. यहां की आदिवासी कला और संस्कृति देश विदेश में विख्यात है. अबूझमाड़ के कई हिस्सों में विकास की किरण आजादी के 75 साल बाद भी नहीं पहुंच पाई है. अधिकांश इलाका नक्सली दहशत का दंश जेल रहा है.
केदार और चंदन के बीच मुकाबला: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के लिए नारायणपुर सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला देखा जा रहा है. कांग्रेस ने सीटिंग एमएलए चंदन कश्यप को दोबारा मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने अपने दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री केदार कश्यप को नारायणपुर सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. इस बार
नारायणपुर विधानसभा के मुद्दे और समस्याएं:नारायणपुर विधानसभा में नक्सलवाद सबसे बड़ी समस्या है. क्षेत्रों में बड़ी घटनाएं नक्सलियों के द्वारा अंजाम दिया जा रहा है. इलाके में पुलिस कैंप खोला गया है. बावजूद नक्सल समस्या से अबूझमाड़ जूझ रहा है. दूसरी बड़ी समस्या धर्मांतरण की है. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने की वजह से यहां धर्मांतरण के मामले को लेकर हिंसात्मक घटनाएं हो चुकी है.यहां के ग्रामीणों के लिए आय का मुख्य साधन जंगल में पाया जाने वाला वनोपज है. जिसकी बिक्री कर यहां के ग्रामीण रोजमर्रा की जिंदगी जी रहे हैं.हालांकि यहां के ग्रामीणों की स्किल डेवलपमेंट के लिए सरकार जरूर प्रयास कर रही है, लेकिन बेरोजगारी की समस्या बनी हुई है. पूरे विधानसभा में एक भी फैक्ट्री या बड़ी कंपनी नहीं है. ग्रामीण अंचलों के साथ ही शहरी इलाकों के लोग भी वनोपज पर निर्भर है.
अबूझमाड़ में पिछले 10 माह से अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर इर्कभट्टी,तोयामेटा,ओरछा नदी पारा और ब्रेहबेड़ा में हजारों ग्रामीण धरने पर हैं. तीन सूत्रीय मांग में मूल पेशा कानून लागू करने, वन संरक्षण अधिनियम 2022 और नवीन प्रस्तावित कैंप के प्रस्ताव को रद्द करने की है. मांग पूरी नही होने पर ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव के बहिष्कार करने की चेतवानी दी है.
अबूझमाड़ इलाके में मूलभूत सुविधाओं की कमी है जो ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या है. बारिश के मौसम में अंदरूनी ग्रामीण अंचलों के लोग शहरी इलाकों से पूरी तरह से कट जाते हैं. सड़क और नदी नालों में पुल नहीं होने से कई गांवों से यहां के रहवासियों को अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यहांं के ग्रामीणों को स्वास्थ सुविधाओं लिए पैदल और गर्भवती महिलाओं को कावड़ पर लादकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है. अंदरूनी गावों में पक्की सड़क नहीं होने से एंबुलेस और महितारी एक्सप्रेस सेवाओं का लाभ नहीं मिलता है. ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी कई मुद्दे हैं. यहां के लोगो का कहना है कि जिला बने 16 साल बीत चुके हैं लेकिन जिस तरह से नारायणपुर शहर का विकास होना है वैसा नहीं हो पाया है. सड़कों के चौड़ीकरण का काम भी नहीं हो पाया है. सड़क, बिजली , पेयजल की समस्या आज भी बनी हुई है.
नारायणपुर विधानसभा में 2018 में चुनाव की स्थिति:साल 2018 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी से केदार कश्यप और कांग्रेस से चंदन कश्यप सहित आठ लोग मैदान में उतरे थे. कांग्रेस से चंदन कश्यप को 58 हजार 652 वोट मिले. भाजपा से केदार कश्यप को 56 हजार 5 वोट मिले. चंदन कश्यप ने बीजेपी के प्रत्याशी केदार कश्यप को 2 हजार 647 वोटों से हराया. 74.40 फीसदी कुल वोटिंग हुई थी.
नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके में नक्सलियों की बढ़ती गतिविधियों के चलते हर चुनाव में चुनावी प्रचार प्रसार करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है.आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना जताई जा रही है.