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मुश्किल रास्ते, पैदल सफर और अबूझमाड़ के जंगल भी नहीं डिगा पाते इन कोरोना वॉरियर्स का हौसला - अबुझमाड़ के जंगलों में मेडिकल कैंप

नारायणपुर में ब्लॉक मुख्यालय ओरछा से स्वास्थ्यकर्मी रोजाना कई मीलों दूर का सफर तय कर वनांचलों में स्वास्थ्य सेवा देने पहुंच रहे हैं. सुदूर गांवों में जाकर मेडिकल कैंप लगाया जाता है और ग्रामीणों का इलाज किया जाता है. मेडिकल टीम गांवों में 7-7 दिनों तक रुकती है और सेवा देती है.

abujhmad medical team
नारायणपुर के वनांचलों में पहुंचाते हैं मेडिकल सेवा
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Published : Jun 1, 2020, 7:52 PM IST

नारायणपुर: कोरोना संकट में भी स्वास्थ्यकर्मी योद्धाओं की भूमिका निभा रहे हैं. नारायणपुर के ओरछा विकासखंड में स्वास्थ्यकर्मी सेवा की मिसाल पेश कर रहे हैं. हर दिन ब्लॉक मुख्यालय ओरछा से स्वास्थ्यकर्मी रोजाना कई मीलों का सफर तय कर वनांचलों में स्वास्थ्य सेवा देने पहुंच रहे हैं. कभी बाइक पर सवार होकर या फिर पैदल ही ये कोरोना वॉरियर्स ग्रामीणों की मदद के लिए निकल पड़ते हैं. जंगलों, पहाड़ों और मुश्किल रास्तों को पार कर ये मानव सेवा के लिए तत्पर हैं. सुदूर गांवों में जाकर मेडिकल कैंप लगाया जाता है और ग्रामीणों का इलाज किया जाता है.

नारायणपुर के वनांचलों में पहुंचाते हैं मेडिकल सेवा

BMO डॉक्टर बीएन भनपुरिया ने बताया कि अबूझमाड़ के ग्रामीण क्षेत्रों में वो अपनी टीम के साथ लोगों को कोरोना की रोकथाम के लिए जागरूक करने जाते हैं. वो बताते हैं कि रास्ते आसान नहीं होते और सफर बहुत कठिन हो जाता है. वनांचलों में जाने के लिए सारी तैयारियां करनी पड़ती हैं. वहीं कई रास्ते इतने दुर्गम होते हैं, जहां से गाड़ियों को नहीं ले जाया जा सकता. ऐसे इलाकों में पैदल ही जाना पड़ता है.

कई किलोमीटर का सफर करते हैं पैदल

दुर्गम उप स्वास्थ्य केंद्र कलहाजा जाटलूर मे आने वाले गांव डूंगा, बेड़मा ,रेकावाया, पूसालामा ,पिडियाकोट, आमापारा , कुंजामपारा, लंका ,पदमेटा और कारांगुल में कोरोना से संबंधित लोगों को जानकारी दी गई है. इसके साथ ही एएनसी जांच टीकाकरण किया गया है. मरीजों का अतिरिक्त इलाज भी किया गया. अधिकारी ने बताया कि कई बार 50-60 किलोमीटर चलकर भी ये अपनी सेवा देने पहुंचते हैं. मेडिकल टीम गांवों में 7-7 दिनों तक रुकती है और सेवा देती है.

मेडिकल टीम करती है स्वास्थ्य परीक्षण

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बता दें कि डॉक्टर बीएन भनपुरिया 27 सालों से अबूझमाड़ में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. चिकित्सा क्षेत्र में इनके लगातार समर्पण, निष्ठा और निस्वार्थ सेवा के लिए 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह से अश्वनी श्री की उपाधि मिली है.

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