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नारायणपुर में धर्मांतरण रोकने के लिए आदिवासियों ने बुलाई महापंचायत

narayanpur latest news नारायणपुर में धर्मांतरण का मुद्दा लगातार गरमाता जा रहा है. धर्मांतरण रोकने रेमावंड में आदिवासियों ने महापंचायत बुलाया था. जिसमें तीन जिलों के हजारों सर्व आदिवासी समाज के ग्रामीण शामिल हुए हैं. जनजातीय सुरक्षा मंच छत्तीसगढ़ के प्रांत संयोजक भोजराज नाग ने अपनी संस्कृति को छोड़कर धर्मान्तरित हो रहे लोगों को नकली ईसाई करार दिया है.

mahapanchayat of tribals to stop conversion
आदिवासियों ने बुलाई महापंचायत

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Published : Nov 6, 2022, 9:00 PM IST

नारायणपुर: आदिवासी बहुल नारायणपुर में धर्मांतरण का मुद्दा लगातार गंभीर होता जा रहा है. अपनी मूल धर्म छोड़ ईसाई धर्म अपना चुके ग्रामीणों के शव गांव के श्मशान में दफनाने को लेकर मामला (mahapanchayat of tribals to stop conversion) गरमाया हुआ है. रविवार को बेनूर परगना के ग्राम रेमावंड में कोंडागांव, नारायणपुर और कांकेर जिले के सीमावर्ती परगना क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों की महापंचायत बैठक बुलाई गई. इसमें हजारों की संख्या में सर्व आदिवासी समाज के ग्रामीण शामिल हुए. narayanpur latest news

धर्मांतरण रोकने के लिए आदिवासियों ने बुलाई महापंचायत

धर्मान्तरित हो रहे लोगों को फर्जी ईसाई: जनजाति सुरक्षा मंच छत्तीसगढ़ प्रांत संयोजक भोजराज नाग ने बताया कि "जो अपनी संस्कृति, परम्परा, रीति-रिवाज पुरखा को छोड़कर ईसाई धर्म अपना रहे हैं. वह पूरी तरह से फर्जी ईसाई लोग हैं." उन्होंने कहा कि "जो भी व्यक्ति आदिवासी होकर दूसरे धर्म को अपनाता है, उसे किसी भी प्रकार से आरक्षण नहीं मिलना चाहिए."

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ईसाई मिशनरी पर बस्तर की संस्कृति को बर्बाद करने का आरोप:महापंचायत में परगना एवं समाज प्रमुखों का कहना है कि "बस्तर के सुदूर इलाकों में ईसाई मिशनरी द्वारा आदिवासियों का बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराया जा रहा है. इससे गांवों में धार्मिक सद्भावना बिगड़ने लगा है. ईसाई मिशनरी बस्तर की आदिवासी संस्कृति को नष्ट करने पर तुली है." महापंचायत में उपस्थित लोगों का कहना है कि "वे बस्तर को ईशु का भूमि बनने नहीं देंगे. इसके लिए गांव गांव और परगना स्तर पर विरोध किया जाएगा."



परंपरा और संस्कृति का अपमान करने वालों को गांव में रहने की अनुमति नहीं: महापंचायत में परगना एवं समाज प्रमुखों का कहना है कि "आदिवासियों की जो पेन व्यवस्था, नार्र व्यवस्था को नहीं मानेगा और रूढ़ि, प्रथा, देवी देवता, परंपरा व संस्कृति का अपमान करेगा. उसे गांव में रहने और घुसने की अनुमति नहीं देंगे. अगर रहना है तो पेन पुरखा, आदि संस्कृति को मानना होगा." इस मौके पर समाज के प्रमुखें के अलावा भारी संख्या में सर्व आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे.

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