नारायणपुर: अबूझमाड़ का नाम सुनते ही जेहन में नक्सलियों की तस्वीर उभरने लगती है, लेकिन इन सबके परे भी कई ऐसी तस्वीरें भी होती हैं, जिन्हें कभी-कभी हम अनदेखा कर जाते हैं. ऐसी ही एक तस्वीर तब देखने को मिली जब स्वास्थ्यकर्मियों की टीम अबूझमाड़ को मलेरिया मुक्त करने के लिए जान जोखिम में डालकर नदी पार करते नजर आए.
अबूझमाड़ को ऐसे करेंगे मलेरिया मुक्त स्वास्थ्यकर्मी ग्रामीणों के ब्लड सैंपल की जांच
मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दुर्गम क्षेत्रों में इन सब चुनौतियों को पार कर स्वास्थ्य टीम कुतुल से पैदल चलकर आदिमपार के पहाड़, नदी, नाले पार करते अंधिपार गांव पहुंचती है. जहां मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के तहत स्वास्थ्यकर्मी पांच दिवसीय शिविर का आयोजन कर अलग-अलग गांवों में जाकर लोगों के ब्लड सैंपल लेते हैं और मलेरिया की जांच करते हैं.
स्वास्थ्यकर्मी ग्रामीण का ब्लड सैंपल लेते पढ़े- नारायणपुर: महिला को कांवड़ में बैठाकर दो किलोमीटर चले स्वास्थ्यकर्मी, कीचड़ की वजह से नहीं पहुंच सकी एंबुलेंस
अपनी जान जोखिम में डालकर गांव पहुंचते हैं स्वास्थ्यकर्मी
बारिश का मौसम अभी शुरू हुआ है, लेकिन कई नदी-नाले उफान पर है. स्वास्थ्यकर्मी इस मुश्किल वक्त में भी जज्बे के साथ बस्तर को मलेरिया मुक्त करने पैदल ही निकल पड़े. स्वास्थ्यकर्मियों ने कहा कि पानी के तेज बहाव में पैर रखने में भी डर लगाता है, क्योंकि पानी कमर तक भरा रहता है. घने जंगल में टीम को 30 किलोमीटर अंदर चलना पड़ता है वो भी दवाईयां कंधे पर लादकर. इस पर भी कमर तक नदी का पानी. इस नदी को भी जान जोखिम में डालकर पार करना पड़ता है.
स्वास्थ्यकर्मी ग्रामीण का ब्लड सैंपल लेते मलेरिया सहित कोरोना वायरस पर दी जानकारी
सेक्टर गट्ठाकाल के साथी सोनारू गोटा, चमरू हिचामी, मनोज लामा और कमलेश कुमार नाग, मेनू कुमेटी एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते हुए नदी पार कर गांव में पहुंचे, जहां उन्होंने ग्रामीणों की जांच कर उन्हें सतर्क रहने की समझाइश दी. स्वास्थ्यकर्मियों ने मलेरिया से बचने के लिए दवाईयां, मच्छरदानी भी बांटीं. उन्होंने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बारे में भी ग्रामीणों को जानकारी दी और सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने, मास्क, गमछे से चेहरा ढंकने और साबुन से हाथ-पैर धोने की जानकारी भी दी.
नदी को पार करते स्वास्थ्यकर्मी